दो निकायों के पेंच में उलझी 3.67 करोड़ की लाइब्रेरी

दो निकायों के पेंच में उलझी 3.67 करोड़ की लाइब्रेरी
दो निकायों के पेंच में उलझी 3.67 करोड़ की लाइब्रेरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रशासकीय लापरवाही के चलते जनता के पैसों की कैसी बर्बादी होती है, इसके अनेक उदाहरण देखने और सुनने मिलते हैं। निर्माण कार्य के मामले में तो स्थिति और भी खराब है। आधे-अधूरे निर्माण, रखरखाव और सुरक्षा का अभाव आदि कारणों से अनेक नई और पुरानी इमारतें बदहाली की अवस्था में पहुंच गई हैं। उत्तर नागपुर में ऐसी ही एक इमारत बनकर तैयार है। 2013 में इसका निर्माण पूरा हो चुका है। प्रभाग क्रमांक 6 के लष्करीबाग स्थित बाबू आवले चौक पर विदर्भ की पहली ई लाइब्रेरी के रूप में बाजीराव साखरे वाचनालय बनाया गया है। 2513.80 वर्ग मीटर जमीन पर बनायी गई इस लाइब्रेरी के निर्माण पर 3 करोड़ 67 लाख 67 हजार रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन छह साल बाद भी यह लाइब्रेरी शुरू नहीं हो सकी है। 2017 में नासुप्र ने मनपा को लाइब्रेरी के हस्तांतरण के लिए पत्र दिया था। हाल ही में लाइब्रेरी मनपा को सौंप दी गई है। इसके बावजूद इसे शुरू नहीं किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले छह साल से दो निकायों में पेंच लड़ी है।  

उल्लेखनीय है कि विदर्भ की पहली अत्याधुनिक लाइब्रेरी का प्रस्ताव वर्ष 2011 में तैयार किया गया था। वर्ष 2012 में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी। दलित बस्ती सुधार योजना अंतर्गत इस लाइब्रेरी को बनाने की मंजूरी सरकार ने दी थी। सरकार ने समय-समय पर इसके लिए निधि उपलब्ध करायी थी। यहां 600 विद्यार्थियों की बैठने की आधुनिक व्यवस्था है। प्रतियोगिता परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थियों के लिए डिजिटलाइज्ड अध्ययन कक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा देश-दुनिया की महत्वपूर्ण पुस्तकों की व्यवस्था यहां की जाएगी। यहां बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वतंत्र अध्ययन कमरे बनाए गए हैं। इसके अलावा एमपीएससी व यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए प्रशिक्षण वर्ग चलाए जाने की योजना है। यहां अत्याधुनिक काउंसिलिंग सेंटर और वाई-फाई की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाने वाली है। कुल मिलाकर यह विदर्भ की पहली वातानुकूलित लाइब्रेरी है। 

नहीं ले रहा कोई सुध
वर्ष 2013 में इस लाइब्रेरी का काम पूरा हुआ। नागपुर सुधार प्रन्यास की देखरेख में यह काम हुआ। पहली ही नजर मे लाइब्रेरी की भव्यता दिखायी देती है, लेकिन पिछले छह साल तक नासुप्र और मनपा के बीच हस्तांतरण को लेकर पेंच शुरू था। मनपा चाहती थी कि लाइब्रेरी को हस्तांतरित करने के पहले उसमें प्रस्तावित सारी सुविधाएं हों, लेकिन छह साल तक उसमें आधी-अधूरी सुविधाएं थीं। इसके बावजूद लाइब्रेरी शुरू करने की दिशा में नासुप्र ने 18 मार्च 2017 को मनपा को लाइब्रेरी हस्तांतरण के लिए पत्र दिया, लेकिन मनपा चुप बैठी रही। दो साल यूं ही निकल गए। इसी साल फरवरी में पुन: हस्तांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में यह लाइब्रेरी नासुप्र ने मनपा को सौंप दी है। अब इस लाइब्रेरी को शुरू करने की जिम्मेदारी मनपा की है। यहां भी लाइब्रेरी विभाग और स्थावर विभाग अलग-अलग राय रखकर गुमराह कर रहे हैं। स्थावर विभाग का कहना है कि जैसा लाइब्रेरी विभाग बताएगा वैसे काम होगा, वहीं लाइब्रेरी विभाग स्वयं काे स्थावर विभाग के निर्णय पर निर्भर बता रहा है। कुल मिलाकर करोड़ों की लाइब्रेरी को लेकर दोनों विभाग गंभीर नहीं हैं। 

लाइब्रेरी विभाग लेगा निर्णय 
इमारत का कब्जा लिया है। लाइब्रेरी चलाने का काम किसी संस्था को दिया जा सकता है। इसके लिए प्रस्ताव मंगाए जाएंगे। अभी तक इस दिशा में कोई निर्देश नहीं मिले हैं। लाइब्रेरी विभाग के निर्णयानुसार आगे काम होगा। 
- ए.पी. गेडाम, सहायक अभियंता, स्थावर विभाग

जल्द होगा लोकार्पण
बाजीराव साखरे लाइब्रेरी शुरू करने के लिए हम प्रयासरत हैं। हाल ही में यह लाइब्रेरी नासुप्र ने मनपा को हस्तांतरित कर दी है। इसे चलाने को लेकर बैठक भी हुई है। मनपा इसकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार है। जल्द ही इसका लोकार्पण किया जाने वाला है। आचार संहिता खत्म होते ही लोकार्पण होगा। आगे लगने वाले सारे खर्च मनपा करेगी।
- डॉ. मिलिंद माने, विधायक, उत्तर नागपुर
 

Created On :   6 May 2019 9:49 AM GMT

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