महाराष्ट्र : अब जिन्दगीभर जेल में चक्की पीसेंगे मिलावटखोर, विधानसभा में बिल पास

life imprisonment for adulteration, Bill passed in the assembly
महाराष्ट्र : अब जिन्दगीभर जेल में चक्की पीसेंगे मिलावटखोर, विधानसभा में बिल पास
महाराष्ट्र : अब जिन्दगीभर जेल में चक्की पीसेंगे मिलावटखोर, विधानसभा में बिल पास

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दूध में मिलावट करने वालों की अब खैर नहीं होगी। दूध में मिलावट करने वालों को अब पांच, सात और दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। विधान परिषद में प्रदेश के खाद्य, औषध व प्रशासन मंत्री गिरीश बापट ने यह जानकारी दी। इस बीच गुरुवार को इससे संबंधित विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया गया। विधानपरिषद में बापट ने कहा कि खाद्य में मिलावट संबंधी कानून में संशोधन विधेयक विधान परिषद में इसी सत्र में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। गुरुवार को विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस सदस्य भाई जगताप ने दूध में मिलावट का मुद्दा उठाया था।

इसके जवाब में बापट ने कहा कि मौजूदा कानून में दूध में मिलावट किए जाने पर छह महीने की सजा और एक हजार रुपए दंड का प्रावधान है। इससे आरोपी एक दिन में अदालत से छूट जाते हैं, लेकिन अब राज्य में उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कानून में संशोधन होगा। इससे दूध में मिलावट करने वालों को अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी। इससे दूध में मिलावट करने वालों पर नकेल कसी जा सकेगी।

बापट ने कहा मिलावटी दूध पकड़े जाने के बाद लैब की रिपोर्ट 14 दिनों में आनी चाहिए। लेकिन लैब की संख्या इतनी कम है कि रिपोर्ट आने में 6 महीने लग जाते हैं। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को रिपोर्ट मान्य नहीं होगी तो वो गाजियाबाद और हैदराबाद के लैब में जाने की अनुमति होती है। लेकिन वहां की रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है। इससे मिलावट खोर छूट जाते हैं। बापट ने बताया कि साल 2017-18 में 2,138 दूध के नमून लिए गए थे। जिसमें से 1639 नमूने सही निकले थे। जबकि 390 नमूनों का दर्जे कम पाया गया था। वहीं असुरक्षित नमूने मिलने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। अभी तक 9 लाख लीटर दूध की जांच हो चुकी है। बापट ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में दूध की कई जगहों पर जांच की जा सकती है। लेकिन शहरों में आने पर दूध की जांच मुश्किल है। क्योंकि दूध के वितरकों की संख्या हजारों है। 

विधानसभा में विधेयक ध्वनिमत से पारित
दूध, खाद्यपदार्थो और दवाओं में मिलवाट करने वालों को आजीवन कारावस तक की सजा से प्रावधान से जुड़ा विधेयक गुरूवार को विधानसभा में पास हो गया। आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीष बापट ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि मिलावटखोरों से निपटने के लिए मौजूदा कानून अपर्याप्त है। इसीलिए कड़ी सजा का प्रावधान किया जा रहा है। विधेयक दोनों पक्षों के सदस्यों ने ध्वनिमत से मंजूर कर लिया। सरकार ने मिलावट से जुड़ा आईपीसी की धारा 272 से 276 की धाराओं के तहत आने वाले अपराधों को संज्ञेय और गैरजमानती बना दिया है।

बदलाव के बाद न्यायाधीश के पास अधिकार होगा कि वे अपराध को देखते हुए कैद और जुर्माने की रकम के बारे में फैसला करें। इससे पहले इन मामलों में छह महीने कैद व एक हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों सजाओं का ही प्रावधान था। साथ ही आरोपियों को पुलिस स्टेशन से ही जमानत मिल जाती थी। लेकिन अब जमानत के लिए आरोपियों को सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। 

मंत्री बापट ने कहा कि मिलावट के चलते महाराष्ट्र और देशभर में हजारों लोगों ने जान गंवाई है। मिलावटखोर मौजूदा कानून की खामियों का फायदा उठा रहे हैं। सुबह मिलावट के मामले में गिरफ्तार होने वाला शाम तक जमानत पर छूट जाता है। सरकार को उम्मीद है कि कानून में बदलाव के बाद मिलावट के मामले में कमी आएगी। इसी तरह मिलावटी दवाओं के भंडारण, खरीद बिक्री को भी गैरजमानती अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। 

 

Created On :   22 Nov 2018 3:49 PM GMT

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