मदर लैंग्वेज की झिझक होगी दूर, CBSE स्कूलों में लिंग्विस्टिक डायवर्सिटी सेलिब्रेशन ‘भाषा संगम’

Linguistic Diversity Celebration in CBSE Schools for the mother language
मदर लैंग्वेज की झिझक होगी दूर, CBSE स्कूलों में लिंग्विस्टिक डायवर्सिटी सेलिब्रेशन ‘भाषा संगम’
मदर लैंग्वेज की झिझक होगी दूर, CBSE स्कूलों में लिंग्विस्टिक डायवर्सिटी सेलिब्रेशन ‘भाषा संगम’

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बुंदेलखंड, निमाड़ी, भोजपुरी बोलियां हों या बंगाली, मलयाली, कन्नड़, उर्दू, हिंदी जैसी भाषाएं..., अक्सर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को क्लास रूम में अपनी डायलेक्ट का इस्तेमाल करने में कुछ झिझक होती है। बच्चों में उनकी मदर लैंग्वेज और डायलेक्ट्स को लेकर किसी भी तरह की हीन भावना न हो और अपनी लैंग्वेज से जुड़ी डायवर्सिटी को वे सेलिब्रेट करें, इसके लिए अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) से जुड़े सभी स्कूलों में लिंग्विस्टिक डायवर्सिटी सेलिब्रेशन "भाषा संगम" आयोजित किया जाएगा।

एक भाषा में टीचर्स-स्टूडेंट्स कर सकते हैं बात
एमएचआरडी के डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी ने स्कूलों को इस लिंग्विस्टक सेलिब्रेशन में किस-किस तरह की एक्टिविटीज करनी हैं, इसके लिए एक नोटिफिकेशन 19 नवंबर को भेजा है। इस नोटिफिकेशन में भाषा संगम के तहत कुछ एक्टिविटीज आयोजित करने को कहा है। इसमें अलग-अलग राज्यों से बिलॉन्ग करने वाले स्कूल के बच्चों या टीचर्स 5 वाक्यों को सुबह की असेम्बली में पढ़ें। हर दिन एक लैंग्वेज ऑफ द डे तय कर सकते हैं, जैसे वह 5 वाक्य पहले दिन असमी भाषा में बोले जाएं, दूसरे दिन बंगाली में और तीसरे दिन मलयाली में जिसे स्टूडेंट्स रिपीट करें। वहीं सीनियर स्टूडेंट्स इन सेंटेंस पर पोस्टर्स तैयार कर सकते हैं। टीचर्स भी लैंग्वेज ऑफ द डे में भी बच्चों से बात करें और उन्हें इनकरेज करें कि, वे इसी भाषा में क्लास रूम में भी बात करें। यह एक्टिविटीज संविधान में चिह्नित 22 अलग-अलग भाषाओं में आयोजित की जाएगी। सेलिब्रेशन 20 नवंबर से शुरू है, जो 21 दिसंबर तक चलेगा।

हर दिन असेम्बली में एक भाषा चुनकर बोले जा रहे हैं पांच वाक्य
मराठी- तू कुठे राहतो आहेस (आप कहां रहते हो)
आनंद विहार स्कूल में अलग-अलग लैंग्वेज के बच्चे रोज स्टूडेंट्स को सामान्य तौर पर प्रयोग में आने वाले शब्दों को अपनी-अपनी भाषाओं में बोलकर बता रहे हैं। वहीं, इस लिंग्विस्टिक डायवर्सिटी सेलिब्रेशन के तहत सेंट जोसफ को-एड में बच्चों में लैंग्वेज एक्सचेंज के लिए लिटराटी क्लब की शुरुआत हो चुकी है। इसमें बच्चे अलग-अलग लैंग्वेज के लिटरेचर पर बात कर रहे हैं।

यहां शुरू हुई एक्टिविटीज
मलयालम- नन केरलत्तिलन जनिक्कत (मेरा जन्म केरल में हुआ है)
बांग्ला- आमार जन्मोभूमि भारोत (मेरी जन्मभूमि भारत है)
नेपाली- मेरो मनपर्ने खेल हॉकी हो (मेरा पसंदीदा खेल हॉकी है)
तेलुगू- नेनु आंध्रप्रदेशे नुंदी वक्कनु (मैं आंध प्रदेश की रहने वाली हूं)

स्टूडेंट लाइफ में ज्यादा भाषाएं सीख सकते हैं
CBSE का यह एक अच्छा उपक्रम है, जिसमें विद्यार्थी कई तहर की भाषाएं सीख सकते हैं। हम हमारे यहां असेंबली मंे प्रतिदिन दो भाषाओं के वाक्य विद्यार्थियों को सीखा रहे हैं। इसमें किसी खासा चीज या शब्द को अन्य भाषा में क्या बोलते हैं। या फिर अभिवादन कैसे किया जाता है। इस तरह की बातें सिखाई जा रही हैं। ऐसे सराहनीय उपक्रमों से विद्यार्थियों की समझने की क्षमता बढ़ती है। यह कार्यक्रम एक महीने तक जारी रहेगा। 
-के.बालाजी, प्रिंसिपल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, नागपुर

हमारे पाठ्यक्रम का भी हिस्सा, अंतरराष्ट्रीय भाषा सीखने करते हैं प्रेरित
यह लिंग्विस्टिक डायवर्सिटी सेलिब्रेशन तो हमारे पाठ्यक्रम का भी हिस्सा है। हम केवल विविध भारतीय ही नहीं बल्कि, अंतरराष्ट्रीय भाषाएं सीखने को भी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं। हमारे स्कूल में पांचवीं कक्षा से 9वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए यह उपक्रम शुरू किया गया है, जिसमें विद्यार्थियों को विविध भाषाओं का भी ज्ञान मिलता है। इस कार्य में हम शिक्षकों की भी मदद लेते हैं। विद्यार्थियों को विविध प्रतियोगिताओं के माध्यम से नई भाषाएं सीखा रहे हैं। 
- मीनाक्षी भाटिया, सेंट जेवियर्स स्कूल, हिवरी नगर

Created On :   6 Dec 2018 9:36 AM GMT

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