प्रस्तावित बिजली प्रकल्पों से विदर्भ में नुकसान का संकट

Loss in Vidarbha due to proposed power projects
प्रस्तावित बिजली प्रकल्पों से विदर्भ में नुकसान का संकट
प्रस्तावित बिजली प्रकल्पों से विदर्भ में नुकसान का संकट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदर्भ में बिजली प्रकल्प नया संकट लेकर आ रहे हैं। िबजली मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तावित बिजली प्रकल्पों से विदर्भ को काफी नुकसान होनेवाला है। विदर्भ में पहले से विविध औष्णिक बिजली प्रकल्पों से 17,000 मेगावाट बिजली का निर्माण किया जा रहा है। लोगों की आवश्यकता व मांग नहीं होने के बाद भी 1320 मेगावाट का एक और विद्युत प्रकल्प कोराडी में शुरु किया जा रहा है। कोयला के जलने से अत्यंत हानिकारक सल्फरडाई आक्साइड व रेडियोएक्टिव कण उत्सर्जित हाेते हैं। पहले के प्रकल्पाें से प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है।

पर्यावरण व स्वास्थ्य की समस्या खड़ी हुई है। ऐेसे में नया प्रकल्प नागपुर के लोगों के लिए जानलेवा साबित होगा। सामाजिक संस्था जनमंच की ओर से शनिवार को बाबूराव धनवटे सभागृह में जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कोराडी का प्रस्तावित बिजली प्रकल्प नागपुर के लोगों की जान लेगा क्या, इस विषय पर चर्चा सत्र का आयोजन किया गया था। चर्चासत्र में विदर्भ पर्यावरण कृति समिति के संयोजक सुधीर पालीवाल व महाविदर्भ जनजागरण समिति के संयोजक नितीन रोंघे ने प्रमुखता से कहा कि ये प्रकल्प लोगाें के लिए नुकसानदायक साबित होंगे। जनमंच के अध्यक्ष प्रमोद पांडे, उपाध्यक्ष राजीव जगताप मंच पर उपस्थित थे।

पालीवाल ने कहा  कि विश्व में सबसे अधिक बिजली प्रकल्प नागपुर के आसपास के क्षेत्र में हैं। 10 वर्ष पूर्व हरित लवादा ने प्रदूषण नियंत्रण सिस्टम लगाने के निर्देश दिए थे। लेकिन कोराडी में वह नहीं लगाया गया। लिहाजा प्रदूषण के कारण कई लोग बीमार हुए। कुछ लोगों की मृत्यु हुई। नितीन रोंघे ने प्रस्तावित बिजली प्रकल्प का विरोध किया। गौरतलब है कि राज्य के ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले कोराडी के ही हैं। यह भी आरोप लगता रहा है कि सबसे अधिक बिजली उत्पादन करने के बाद भी विदर्भ को कम बिजली मिलती है। कार्यक्रम की प्रस्तावना राजीव जगताप ने रखी। संचालन मनोहर रडके ने किया।

 

Created On :   22 Sep 2019 12:21 PM GMT

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