पति के कहने पर नौकरी छोड़ने से हुए नुकसान पर भी गौर करे निचली अदालत - हाईकोर्ट

Lower court should consider the damage the job loss of wife during divorce
पति के कहने पर नौकरी छोड़ने से हुए नुकसान पर भी गौर करे निचली अदालत - हाईकोर्ट
पति के कहने पर नौकरी छोड़ने से हुए नुकसान पर भी गौर करे निचली अदालत - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। तलाक के पहले पति के कहने पर नौकरी छोड़ने वाली पत्नी को बांबे हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया है कि वह गुजारा भत्ते की रकम तय करते समय नौकरी छोड़ने के चलते पत्नी को हुए नुकसान पर भी गौर करे। इससे पहले निचली अदालत ने पत्नी को गुजारेभत्ते के रुप हर माह पांच हजार रुपए व पांच हजार रुपए मकान किराया तथा 50 हजार रुपए घरेलू हिंसा के चलते हुई मानसिक यातना के लिए मुआवजा प्रदान किया था। निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस पीडी नाइक के सामने पत्नी की याचिका पर सुनवाई हुई। 

इस दौरान पत्नी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने दावा किया कि मेरे मुवक्किल के पति ने उसके चरित्र पर संदेह किया और उसे नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया। मेरी मुवक्किल के मोबाइल फोन में कई लड़कों के फोन नंबर थे इस बात पर मेरी मुवक्किल का पति उससे रोजाना झगड़ा करता था। मेरी मुवक्किल एक कंपनी में अधिकारी के रुप में काम करती थी उस दौरान उसका वेतन 15 हजार 208 रुपए थे। एक दिन झगड़े के बाद मेरी मुवक्किल के पति ने कहा कि यदि वह अपनी नौकरी छोड़ेगी, तो ही उसे अपने साथ रखेगा। इस वजह से मेरी मुवक्किल ने नौकरी छोड़ दी फिर भी यातना कम नहीं हुई। इससे तंग आकर वह अपने माता-पिता के घर रहने के लिए चली गई। इस बीच मेरे मुवक्किल के पति ने तलाक के लिए नोटिस भेजा। तब मेरी मुवक्किल ने 15 हजार रुपए के गुजारा भत्ते की मांग को लेकर घरेलू हिंसा कानून के तहत मुलुंड कोर्ट में आवेदन दायर किया। 

आवेदन में मेरी मुवक्किल ने नौकरी छोड़ने के चलते हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी मांग की थी लेकिन निचली अदालन ने इस पहलू पर विचार नहीं किया। यहीं नहीं गुजारा भत्ते की रकम भी काफी कम दी। क्योंकि मेरे मुवक्किल के पति का वेतन 77 हजार रुपए प्रति माह है। इसके विपरीत पति के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक पढ़ी लिखी महिला है। उसे गुजारेभत्ते की जरुरत नहीं है। वह अपना पालन पोषण कर सकती है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने निचली अदालत की ओर से गुजारेभत्ते के आदेश को रद्द कर दिया और निचली कोर्ट को कहा कि वह गुजारा भत्ता तय करते समय याचिकाकर्ता को नौकरी छोड़ने के चलते हुए नुकसान के पहलू पर भी विचार करे। 

Created On :   11 Jan 2019 12:13 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story