सर्जिकल स्ट्राइक एक्शन नहीं मिशन था : लेफ्टिनेंट जनरल हुड्‌डा

Lt. general D.S. Hooda shared his experiences
सर्जिकल स्ट्राइक एक्शन नहीं मिशन था : लेफ्टिनेंट जनरल हुड्‌डा
सर्जिकल स्ट्राइक एक्शन नहीं मिशन था : लेफ्टिनेंट जनरल हुड्‌डा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी.एस. हुड्डा ने  कहा कि 29 सितंबर 2016 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक ने न केवल सेना के साहस और मनोबल का परिचय दिया, बल्कि पाकिस्तान और आतंकवादियों को भी करारा संदेश दिया। भारत की इस बड़ी कार्रवाई के विषय में जानने के लिए आम नागरिकों में बड़ी जिज्ञासा है। दैनिक भास्कर द्वारा चिटणवीस सेंटर में आयोजित "इंटरेक्टिव सेशन विथ लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा कार्यक्रम" में  उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी कई जिज्ञासाओं का समाधान किया। 18 सितंबर 2016 को उरी में हुए हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। उन्होंने कहा कि यह हमला उनकी 40 वर्ष की सेवा में देखा गया सबसे भयंकर हमला था, जिसने भारत के मनोबल को झकझोर कर रख दिया था। हालांकि इसके 11 दिन के बाद भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया, लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक महज 11 दिन में रची गई कार्रवाई नहीं, बल्कि एक लंबी और गहन योजना के बाद अंजाम दिया गया मिशन थी। ‘दैनिक भास्कर’ के संचालक सुमित अग्रवाल ने लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा का स्वागत किया। कार्यक्रम में उपस्थित विशेष अतिथि एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) सूर्यकांत चाफेकर का स्वागत समाचार संपादक संजय देशमुख ने किया। समूह संपादक प्रकाश दुबे ने लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा को सम्मानचिह्न प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन श्वेता शेलगांवकर ने तथा आभार प्रदर्शन समन्वय संपादक आनंद निर्बाण ने किया।

सही-सलामत वापसी  था मुख्य उद्देश्य
श्री हुड्डा ने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक मिशन का सबसे अहम् हिस्सा भारतीय जवानों की सही-सलामत वापसी था, यही भारत की प्राथमिकता भी थी। जवानों की वापसी के लिए विशेष मार्गों का चयन किया गया। सही प्लानिंग से किसी भी जवान को बिना खरोंच आए वापस आने में सफलता मिली। 
यह हुआ हासिल
श्री हुड्डा ने कहा कि उनसे सबसे ज्यादा सवाल यह पूछा जाता है कि, सर्जिकल स्ट्राइक से क्या हासिल हुआ, पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियां अब भी जारी हैं।  उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक कोई पाकिस्तान का आतंकवाद पूरी तरह समाप्त कर देने की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह संदेश देना था कि भारत हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है, पाकिस्तान पहले कहता था कि वह भारत की हर कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देगा।  सर्जिकल स्ट्राइक के बाद डरा हुआ पाकिस्तान कह रहा था कि, कोई सर्जिकल स्ट्राइक ही नहीं हुई है। सही मायनों में यही सर्जिकल स्ट्राइक की अचिवमेंट है, जिससे भारतीय सेना और जनता दोनों का मनोबल बढ़ा है। 

पाकिस्तान में ऐसे दाखिल हुए भारतीय कमांडो
सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान के किसी एक प्वाइंट पर नहीं हुई, बल्कि भारतीय सेना के जवान जम्मू और कश्मीर के दो प्वाइंट से पाकिस्तान मंे दाखिल हुए, जो एक दूसरे से 300 किमी दूर थे। यहां तक कि सर्जिकल स्ट्राइक सिर्फ झटके में नहीं की गई, बल्कि पहली स्ट्राइक रात 12 बजे और दूसरी सुबह 6 बजे की गई। दोनों हमलों में पाकिस्तानी सेना और आतंकियों को संभलने का मौका भी नहीं मिला। भारतीय सेना, पाकिस्तानी मिलिटरी बेस काे पार करते हुए आतंकियों के लांच पैड पर पहुंची और उन्हें खत्म कर दिया। 
पहले और अब की सर्जिकल स्ट्रइक में अंतर
कई लोग कहते हैं भारत ने इसके पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक की है, लेकिन इसके पहले हुई और इस बार हुए सर्जिकल स्ट्राइक में अंतर यह है कि इस बार की कार्रवाई पिछली कई सर्जिकल स्ट्राइक से अलग थी। पहली बार भारत ने इतने बड़े स्तर पर ऐसी कार्रवाई काे अंजाम दिया था। पहली बार ही भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा के इतने अंदर घुसकर आतंकियों को ढेर किया था। 

यह रहे प्रमुखता से उपस्थित 
कार्यक्रम के दौरान एनसीसी कैडेट्स की आंखों में देशभक्ति का जज्बा नजर आ रहा था। साथ ही उपस्थितजन लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा से मिलने के लिए सभी आतुर थे। जैसे ही लेफ्टनेंट का आगमन हुआ सभी लोगों ने उनका स्वागत तालियों की गड़गडा़हट से किया। लेफ्टिनेंट जनरल ने जब सीमा पर जवानों की स्थिति को दिखाया तो सभी की आंखें नम हो गईं। सर्जिकल स्ट्राइक पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान एवीएसएम, एससी रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल सूर्यकांत सी. चाफेकर ने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। कार्यक्रम में दैनिक भास्कर नागपुर के महाप्रबंधक सतीश रांका, उपमहाप्रबंधक मारकॉम यशवंत सिंह चंदेल, ग्रुप कमांडर एनसीसी, कमांडर पी.पी, जोशी, इंडियन नेवी, विंग कमांडर समीर गंगाखेडकर, पीआरओ डिफेंस मुख्य रूप से उपस्थित थे।
 

Created On :   9 Dec 2017 8:50 AM GMT

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