आदिशक्ति की पूजा में गलती से भी शामिल ना करें ये चीजें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुप्त नवरात्रि को माघी नवरात्र भी कहा जाता है। इस काल में मां के शक्ति रूप को प्रसन्न किया जाता है। भक्त गुप्त साधनाएं करते हैं, ताकि मां भगवती को प्रसन्न किया जा सके। साल में चार नवरात्र पड़ते हैं। इनमें से दो गुप्त नवरात्र होते हैं, जो गुप्त साधनाओं के लिए ही जाने जाते हैं। यह मुख्यतः तांत्रिक क्रियाओं के लिए प्रसिद्ध है और साधक गुप्त साधना के जरिए ही माता को प्रसन्न करके शक्तियां अर्जित करते हैं।
साल में आते चार नवरात्र
साधारणतः लोग दो नवरात्रि के बारे में जानकारी व व्रत रखते हैं, चैत्र या वासंतिक नवरात्र एवं दूसरी है आश्विन या शारदीय नवरात्र। इसके अतिरिक्त भी दो और नवरात्र हैं। जिनमें विशेष शक्तियां, सिद्धियां अर्जित करने के लिए माता की साधना की जाती है।
ग्रंथों में बताया गया है महत्व
गुप्तनवरात्रि माघ शुक्ल पक्ष और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में आती है। इस तरह से कुल 4 नवरात्रि आती हैं, जिनमें दो सभी भक्तों के लिए होती हैं, जबकि दो अर्थात गुप्त नवरात्रि में साधक रात्रिकालिन पूजन सिद्धियां अर्जित करने के लिए ही करते हैं। ग्रंथों में भी इसका महत्व बताया गया है जिनमें विशेष प्रकार की इच्छा या सिद्धि प्राप्त करने के लिए ही गुप्त साधना एवं अनुष्ठान किए जाते हैं।
नौ दिनों तक कलश पूजा, अनुष्ठान
गुप्त नवरात्रि की सामान्य पूजा नवरात्रों से मिलती-जुलती हैं। माता के आगे अखंड ज्योत, घट स्थापना, दीप-कलश जलाकर 9 दिनों तक पूजा अनुष्ठान किया जाता है एवं अंतिम दिन कन्याभोज कराकर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
ऐसे करें मां शक्ति की उपासना
-गुप्त नवरात्रि में चालीसा या सप्तशती का पाठ करना उत्तम बताया गया है।
-दोनों वक्त आरती कर माता को भोग लगाएं।
-लौंग और बताशा सबसे उत्तम भोग है। साथ ही मां को लाल पुष्प अत्यंत प्रिय है।
-देवी शक्ति को आक, मदार, दूब और तुलसी गलती से भी अर्पित ना करें।
-नौ दिनों तक ब्रम्हचर्य व्रत का पालन कर सात्विक भोजन करें।
Created On :   19 Jan 2018 2:36 AM GMT