महाराष्ट्र में धूमधाम से पधारीं महालक्ष्मी, तीन दिवसीय पर्व का आगाज

Mahalaxmi, a three-day festival started with excitement in Maharashtra
महाराष्ट्र में धूमधाम से पधारीं महालक्ष्मी, तीन दिवसीय पर्व का आगाज
महाराष्ट्र में धूमधाम से पधारीं महालक्ष्मी, तीन दिवसीय पर्व का आगाज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र के प्रमुख त्यौहारों में एक तीन दिवसीय महालक्ष्मी पर्व का शनिवार को हर्षोल्लास से प्रारंभ हुआ। इस पर्व के तहत महाराष्ट्रीयन परिवार में "महालक्ष्मी आली घरात सोन्याच्या पायानी, भर भराटी घेऊन आली, सर्वसमृद्घि घेऊन आली" ऐसी पंक्तियों के साथ महालक्ष्मी की अगवानी की जाती है। महालक्ष्मी के स्वागत के लिए कई दिनों पूर्व से भव्य तैयारी की जाती है। शनिवार को महालक्ष्मी का आगमन हुआ है। रविवार को भोजन रखा जाएगा। पश्चात सोमवार को महालक्ष्मी को विदाई दी जाएगी।

पीढ़ियों से मनाते आ रहे हैं महालक्ष्मी पर्व
माता लक्ष्मी अपने परिवार के साथ हमारे घर में आएं। घरों में सुख-संपन्नता और सदैव लक्ष्मी का वास हो, कुछ ऐसी ही मनोकामना के साथ महाराष्ट्रीयन परिवार तीन दिवसीय महालक्ष्मी उत्सव का आयोजन करते हैं। इन परिवारों में यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। महालक्ष्मी व्रत में घर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है और तीन दिनों तक विविध आयोजन किए जाते हैं।

जेठानी-देवरानी की कथा
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी से महालक्ष्मी उत्सव का शुभारंभ हो गया। ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी के जिस रूप की पूजा की जाती है वो जेठानी-देवरानी हैं। अपने दो बच्चों के साथ वो इन दिनों मायके आती हैं। मायके में आने पर तीन दिनों तक उनका भव्य स्वागत किया जाता है। पहले दिन स्थापना, दूसरे दिन भोग और तीसरे दिन हल्दी कुमकुम के साथ माता की विदाई। इसके साथ ही महाराष्ट्रीयन समाज में छह दिवसीय गणपति उत्सव की भी समाप्ति हो जाती है।.

कई स्थानों पर महालक्ष्मी उत्सव बेहद ही उत्साह और उम्दा तरीके से मनाया जाता है। महालक्ष्मी उत्सव के दौरान लक्ष्मी जी के पंडाल को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है। महालक्ष्मी की पूजा फुलहरा बांधकर की जाती है। घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। यह पूजा विशेष कर घर की बहुओं द्वारा की जाती है। महिलाएं साथ में मिलकर ढोलक-मंजीरों के साथ भजन-कीर्तन गाती हैं। कहा जाता है कि लक्ष्मी की इन मूर्तियों में कोई भी बदलाव तभी किया जा सकता है जब घर में कोई शादी हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। माता की प्रतिमाओं के अंदर गेहूं और चावल भरे जाते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि घर धन-धान्य से भरा-पूरा रहे।
 

Created On :   15 Sep 2018 12:38 PM GMT

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