रुफटॉप सोलर पावर में महाराष्ट्र अव्वल, 60 फीसदी अकेले मुंबई में हो रही उत्पादित

Maharashtra tops in Rooftop Solar Power, mumbai producing 60%
रुफटॉप सोलर पावर में महाराष्ट्र अव्वल, 60 फीसदी अकेले मुंबई में हो रही उत्पादित
रुफटॉप सोलर पावर में महाराष्ट्र अव्वल, 60 फीसदी अकेले मुंबई में हो रही उत्पादित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश में रूफटॉप सोलर पावर में महाराष्ट्र अव्वल स्थान पर है। देश में ‘छत के ऊपर सौर पैनल’ यानी रूफटॉप लगाकर अभी तक 1095 मेगावाॅट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इसमें से 145.09 मेगावाॅट का उत्पादन कर महाराष्ट्र देश में प्रथम स्थान पर है। नव एवं नवीकृत मंत्रालय के अनुसार, देश में अब तक रूफटॉप सौर पैनलों से 1095 मेगावाॅट बिजली बनाई जा रही है। इसमें से 145.09 मेगावॉट बिजली अकेले महाराष्ट्र में बन रही है। प्रदेश में स्थापित क्षमता की 60 प्रतिशत रूफटॉप ऊर्जा मुंबई में उत्पादित हो रही है। शेष में नागपुर पुणे, नाशिक और औरंगाबाद का नंबर आता है। 

नागपुर में 13 मेगावाट क्षमता
अकेले कांग्रेस नगर विभाग में ही 526 उपभोक्ताओं ने इस विकल्प को चुना है। बुटीबोरी में 51 स्थानों पर नेट मीटरिंग का प्रयोग हो रहा है। नागपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में 101 कनेक्शन नेट मीटरिंग पर आधारित हैं। इसके चलते पूरे नागपुर जिले में करीब 4.5 मेगावाॅट बिजली का उत्पादन रूफटॉप सौर पैनलों से हो रहा है। एसएनडीएल के क्षेत्र में भी लोग इस ओर आकर्षित हैं यहां मई तक 657 नेट मीटरिंग कनेक्शन हो चुके हैं, जिससे 3.5 लाख यूनिट बिजली उत्पादित हुई हैं। जानकारी के अनुसार, एसएनडीएल क्षेत्र में ही हर माह 30 से 50 नए रूफटॉप नेट-मीटरिंग कनेक्शन हो रहे हैं। मेडा के अनुसार नागपुर जिले में अब तक रूफटॉप नेट-मीटरिंग में 13 मेगावाॅट क्षमता स्थापित की जा चुकी है। 

इसलिए हो रहे हैं आकर्षित 
रूफटॉप सौर पैनल लगाकर नेट-मीटरिंग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बिजली की परेशानी से मुक्ति रहती है। {रूफटॉप पर बन रही सौर ऊर्जा पहले सीधे वितरण कंपनी के पास जाती है, जबकि घर में बिजली वितरण कंपनी से आती है। माह में जितनी बिजली बनी और ग्रिड में गई और जितनी बिजली का प्रयोग घर में हुआ, उसके अंतर का बिल आता है। ऐसे में सूर्य की रोशनी न होने पर भी जहां रूफटॉप पैनल लगाया गया है, वहां अंधेरा नहीं होता। {पारंपरिक ऊर्जा से हटकर देश प्राकृतिक व पर्यावरण अनुकूल तरीके से जनित विद्युत के प्रयोग पर जागृति बढ़ी है। केंद्र व राज्य सरकार भी ऐसी ऊर्जा उत्पादन पर पूरा जोर लगा रही है और अनुदान भी दे रही है। वर्तमान में सौर जनित ऊर्जा और पवन ऊर्जा को दिए जा रहे बढ़ावे और जागृति के चलते आमजन भी इस ओर आकर्षित हुए हैं। 

उपभोक्ता को ‘डबल’ फायदा 
इसके उपभोक्ता को दो फायदे हुए हैं। एक तो उसे बिजली बिल से छुट्टी मिल गई है, दूसरा यदि छत पर लगे पैनलों प्रयोग से अधिक बिजली का उत्पादन किया तो अतिरिक्त बिजली विद्युत वितरण कंपनी को दे सकती है। इसे नेट-मीटरिंग के नाम से जाना जाता है।

बड़ी क्षमता अभी बाकी है
विदर्भ में रूफटाॅप नेट-मीटरिंग व सौर ऊर्जा की क्षमता काफी है। इसके फायदे से लोग धीरे-धीरे वाकिफ हो रहे हैं और इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। मेडा लोगों में जागृति लाने का कार्य भी कर रही है। अभी नागपुर जिले में करीब 13 मेगावाॅट रूफटाॅप नेट-मीटरिंग की क्षमता स्थापित हो चुकी है। केवल नागपुर जिले में ही अभी कम से कम 50 मेगावाॅट क्षमता और बढ़ सकती है। 
सारंग महाजन, प्रादेशिक निदेशक, मेडा

Created On :   27 July 2018 6:59 AM GMT

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