मकराविलक्कु उत्सव शुरू, खुले सबरीमाला अयप्पा मंदिर के द्वार
डिजिटल डेस्क, सबरीमाला। तीर्थयात्रा के मौसम का प्रारंभ करते हुए सबरीमाला में प्रसिद्ध भगवान अयप्पा मंदिर तीन महीने की वार्षिक मंडलम-मकरविलक्कु उत्सव (Mandalam-Makaravilakku festival ) के लिए खोल दिया गया। पहले दिन दिन बड़ी संख्या में भक्त प्रभु के दर्शन के लिए तीर्थस्थल पहुंचे। मंदिर में इस उत्सव में शामिल होने के लिए हर साल ही बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इसके मद्देनजर सुरक्षा को भी कड़ा कर दिया गया है। तिरुवनंतपुरम से 175km दूर पंपा से 5km किमी की दूरी पर पश्चिम घाट से सह्यपर्वत श्रृंखलाओं के घने वनों के बीच, समुद्रतल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर मंदिर स्थित है। कलाकृति के अतिरिक्त यहां की मान्यताओं की वजह से यहां लाखों श्रद्धालु हर वर्ष ही दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
वृश्चिकम के पहले दिन का विधान
पूजा पाठ और अनुष्ठान का क्रम गुरूवार की सुबह अष्टाद्रवीय महा गणपति होमं पूजन से प्रारंभ होगा। मलयालम महीने के वृश्चिकम के पहले दिन इसका विधान है। प्रमुख नेय्याभिषेकम की शुरुआत अष्टविश्वकको के बाद होगी। बीते वर्ष इस उत्सव में शामिल होने के लिए मंदिर में 4.5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की थी।
41 दिन का त्योहार
यह त्योहार 41 दिन तक चलता है। इस वर्ष यह 26 दिसंबर को समाप्त होगा। अंतिम दिन शाम को आधाजापूजा के बाद मंदिर बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद मंदिर 30 दिसंबर को मकरविलक्कू त्योहार के लिए फिर से खोल दिया जाएगा। मकरविलक्कू 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
विशेष रोशनी दिखाई देती है
दक्षिण में इस त्योहार का विशेष महत्व है। यहां हर साल ही इस त्योहार पर एक विशेष रोशनी दिखाई देती है। जिसे देव रोशनी कहा जाता है। यह पहाड़ों के बीच रात के अंधेरे में दिखती है। जिसे लेकर कहा जाता है कि इसे भगवान अयप्पा स्वयं प्रकाशित करते हैं। इससे पूर्व यहां निकाला जाने वाला अयप्पा उत्सव जुलूस भी विशेष आकर्षण का केंद्र होता है।
Created On :   16 Nov 2017 5:03 AM GMT