मनपा से तोड़े सारे नियम, निजी प्लाट हथियाने 65 लाख की बिल्डिंग बना दी

Manpa break the rules, made building in the private land
मनपा से तोड़े सारे नियम, निजी प्लाट हथियाने 65 लाख की बिल्डिंग बना दी
मनपा से तोड़े सारे नियम, निजी प्लाट हथियाने 65 लाख की बिल्डिंग बना दी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। निजी प्लाट हथियाने मनपा ने सारे नियम तोड़ डाले। खाली जमीन पर 65 लाख की बिल्डिंग भी बना दी और अब कोर्ट के आदेश पर भूमि मालिक को जमीन वापस करने की नौबत आन पड़ी ।  मनपा ने कुतर्क दिया कि सर्वे के दौरान यह जमीन खाली मिली, इसलिए इसे कागजों में अपने नाम कर दिया, जबकि असली जमीन मालिक लगातार कागज दिखाकर इस पर आपत्ति लेता रहा। इतना नहीं, मनपा ने इन आपत्तियों को एकतरफ रख 65 लाख की लागत से यहां एक बिल्डिंग और स्केटिंग ग्राउंड तक बना डाला। मामला हाईकोर्ट गया, जहां असली जमीन मालिक के पक्ष में फैसला हुआ। इस पर मनपा को उक्त जमीन उसे लौटाना पड़ी। इस पर बने स्केटिंग ग्राउंड को तो तोड़ दिया गया, जबकि 65 लाख की बिल्डिंग मुफ्त में जमीन मालिक को मिल गई। 

मनपा के दावे
सर्वे के दौरान पांच हजार वर्गफीट जमीन खाली दिखी तो अपने नाम कर ली।
जमीन मालिक का पक्ष।
मनपा को हम बार-बार जमीन के अधिकृत कागजात दिखाए, यहां तक कि नोटिस भी दिया इसके बाद भी मनपा ने कब्जा कर अपनी बिल्डिंग बना ली।
मनपा के नुकसान का  कौन जिम्मेदार।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जमीन असली मालिक को लौटाई और उसमें बनी 65 लाख की बिल्डिंग भी उसे मुफ्त में मिल गई। यह आम आदमी के टैक्स का पैसा था, जो गलत हरकतों से पानी में चला गया। 

कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया  
दीवानी न्यायाधीश (वरिष्ठ स्तर) ने 2018 में मनपा के कब्जे को खारिज करते हुए सतभैया परिवार को जगह लौटाने के आदेश दिए थे। जब इस पर अमल नहीं हुआ तो कोर्ट के बेलिफ को साथ लाकर हाल ही में इस स्केटिंग ग्राउंड को ध्वस्त कर दिया गया। सुरक्षा दीवार भी जमींदोज कर दी गई। सतभैया परिवार को मनपा की इमारत रेडीमेड मिल गई। खाली भूखंड समेत इस इमारत पर सतभैया परिवार का कब्जा हो गया। 

सिटी सर्वे ने खाली दिखी जमीन महाराष्ट्र सरकार के नाम कर दी 
सिटी सर्वे ने इस जमीन के रिकार्ड पर महाराष्ट्र सरकार लिख दिया। कोर्ट में दलील यह दी गई कि सर्वे के दौरान कोई मिला नहीं, इसलिए यह लिख दिया गया। राज्य सरकार ने जमीन का अधिकार मनपा को नहीं दिया था, फिर मनपा ने किस आधार पर यहां कब्जा किया, यह सवाल बना हुआ है। कोर्ट ने मनपा व सिटी सर्वे को कॉस्ट (जुर्माना) भी किया है।

यह है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मनपा कर्मचारी रामलाल सतभैया की जलालपुरा पुलिस चौकी के सामने 5 हजार वर्गफीट जगह है। रामलाल परिवार सहित सुभेदार ले-आउट में रहने चले गए थे। मनपा ने 2012 में यह खाली भूखंड हथियाने की कोशिश शुरू की। मनपा की चाल को भांपते हुए सतभैया परिवार ने मनपा को पत्र लिखकर जमीन पर दावा पेश किया। मनपा प्रशासन ने सतभैया परिवार के पत्र को तवज्जो न देते हुए इमारत निर्माण संबंधी प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद सतभैया परिवार ने मनपा की प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए निर्माण कार्य नहीं करने को कहा। साथ ही जमीन के संबंध में दस्तावेज भी दिखाए। मनपा ने इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए यहा एक हिस्से में 2 मंजिला भव्य इमारत बना दी। इसके बाद भी चार हजार वर्गफीट से ज्यादा की जमीन खाली पड़ी थी। मनपा ने इस खाली भूखंड पर स्केटिंग ग्राउंड का प्रपोजल लाई। 2014 से टेंडर फ्लोट किए गए। ठेकेदार तय हुआ। इसके बाद ठेका जारी हुआ और पार्ट-पार्ट में यहां स्केटिंग ग्राउंड व चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाई गई। इसके अलावा रेलिंग व बड़ा गेट भी लगाकर सुरक्षा रक्षक तैनात कर दिए गए। इसके साथ एक इमारत का निर्माण भी किया गया। यह निर्माण कार्य 2018 तक चला। सतभैया परिवार लगातार कोर्ट के माध्यम से मनपा प्रशासन की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए जमीन पर दावा करता रहा, लेकिन उनकी आपत्ति व दावों पर विचार नहीं किया गया।

आखिर किसने किया यह अवैध काम 
पहले यह क्षेत्र पूर्व महापौर प्रवीण दटके के प्रभाग में आता था। अब यह क्षेत्र पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष दयाशंकर तिवारी के प्रभाग में आता है। इतनी बड़ी निधि खींचकर लाने में पदाधिकारियों का सहयोग लगता है। अधिकारियों ने किन पदाधिकारियों के दबाव में आकर ‘धृतराष्ट्र’ की भूमिका निभाई यह जांच का विषय है। बहरहाल, जनता के पैसे की बर्बादी हो गई। इस ग्राउंड की सुरक्षा के लिए अब तक 3 गार्ड तैनात किए गए थे, जिसका वेतन भुगतान मनपा की तिजोरी से होता था। 

एक नहीं मानी 
जमीन के सारे मूल दस्तावेज हमारे पास होने के बावजूद मनपा ने जान-बूझकर जमीन हथियाने का काम किया था। 2012 से लगातार पत्राचार जारी है, लेकिन हमारा पक्ष मनपा नहीं सुनी। ऐसे लगा जैसे मनपा पर कब्जा का भूत सवार हो गया था। वे किसी भी कागजात को देखने तक तैयार नहीं थे। बड़े नेताओं के दबाव में मनपा प्रशासन ने यह कारनामा किया। कोर्ट के आदेश के बाद इमारत के साथ खाली भूखंड हमें मिल गया है।  -अश्विन कैलाश सतभैया, रामलाल के नाती

आखिर कैसे यह हुआ  जिम्मेदारी तय होगी
जिस वक्त इमारत व स्केटिंग ग्राउंड बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, उस वक्त सतभैया परिवार की तरफ से कौन से शिकायत पत्र मिले, क्या आब्जेक्शन लिया गया था और कौन से जमीन संबंधी दस्तावेज पेश किए गए थे, इसे देखा जाएगा। कोर्ट के आदेश को भी देखा जाएगा। हमारा पक्ष मजबूत होगा तो आदेश काे चुनौती दी जाएगी। सतभैया परिवार के दावे में दम था, तो क्यों सुनवाई नहीं हुई और इतना पैसा खर्च करने की जरूरत क्यों महसूस हुई, इसे भी देखा जाएगा। हर काम मेरिट पर होगा। पैसे की फिजूलखर्ची बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारी दोषी पाए गए तो संबंधितों की जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई की जाएगी।
-अभिजीत बांगर, मनपा आयुक्त 
 

Created On :   28 Feb 2019 6:39 AM GMT

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