इंजीनियर,डाक्टर,वकील,शिक्षक बने बौद्ध भिक्षु, रैली में शामिल हुए 106 श्रामणेर-श्रामणेरी

Many Doctors, engineers, lawyers and teachers became Buddh Monk
इंजीनियर,डाक्टर,वकील,शिक्षक बने बौद्ध भिक्षु, रैली में शामिल हुए 106 श्रामणेर-श्रामणेरी
इंजीनियर,डाक्टर,वकील,शिक्षक बने बौद्ध भिक्षु, रैली में शामिल हुए 106 श्रामणेर-श्रामणेरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सभी का मुंडन कराया हुआ सिर, शरीर पर चिवर का परिधान और हाथ में भिक्षा पात्र। एक के पीछे एक कतारबद्ध चलते बौद्ध भिक्षु। एक-दो नहीं, पूरे 106। उम्र 18 से लेकर 60 तक। कोई इंजीनियर है तो कोई डाक्टर, कोई शिक्षक है तो कोई वकील और कोई छात्र। इतनी बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु को देखकर आप आश्चर्य में पढ़ जाएंगे। यह दृश्य है धम्म रैली का। अनाथपिंडक परिवार की ओर से प्रतिदिन शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से निकाली जाने वाली धम्म रैली एक माह में 600 बुद्ध विहारों का भेंट देगी। 

ऐसे हुई रैली की शुरुआत
धम्म रैली के समन्वयक है सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त इंजीनियर पीएस खोब्रागडे। उन्होंने बताया कि रैली का यह चौथा वर्ष है। श्रमण संस्कृति को बढ़ावा देने और आर्थिक, शैक्षणिक तथा धार्मिक दृष्टि से पिछड़े बौद्ध समाज का जनजागरण करने के लिए धम्म रैली निकालने का विचार मन में आया। इसके बाद उन्होंने अपने सिंचाई विभाग से दो माह की छुट्‌टी लेकर धम्म रैली की रूपरेखा तैयार की। पहले वर्ष में केवल 50 श्रामणेर-श्रामणेरी शामिल हुए। बाद में यह संख्या बढ़ती गई।

उन्होंने बताया कि रैली में इस वर्ष 10 इंजीनियर, 6 शिक्षक, 2-2 वकील तथा डॉक्टर, 35 विद्यार्थी और 53 महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भदंत धम्मपाल की अगुवाई में रैली की शुरुआत दीक्षाभूमि से हुई। प्रतिदिन रैली विभिन्न बुद्ध विहारों को भेंट देते हुए निर्धारित बुद्ध विहार में पहुंचती है। जहां समाज के लोगों का आर्थिक, शैक्षणिक और धार्मिक विषयों पर मार्गदर्शन किया जाता है। धम्म रैली माह भर में शहर के 400 और जिले के 200 बुद्ध विहारों को भेंट देगी।

तीन दिन का प्रशिक्षण
उन्होंने बताया कि धम्म रैली में शामिल लोगों को तीन दिन तक प्रशिक्षण दिया जाता है। ध्यान कराया जाता है। बुद्ध धर्म की जानकारी, गौतम बुद्ध ने संघ का निर्माण क्यों किया, मन कैसे बदलता है, मन को कैसे समझे आदि बातें बताई जाती हैं। भिक्षु बनने के बाद कैसे रहना है, क्या पहनना है, क्या खाना है, कैसे बातचीत करना है आदि के गुर सिखाए जाते हैं। समाज के सामने आदर्श रखने से पूर्व स्वयं आदर्श जीवन जीना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर किसी को एक माह तक भिक्षु बनना चाहिए। इससे विनय का भाव स्वभाव में आता है। विशेषकर बच्चों के जीवन में इससे परिवर्तन आता है। उनकी एकाग्रता बढ़ जाती है। जीवन जीने की कला सीख जाते हैं।

सुबह 4.30 बजे शुरू हो जाती है दिनचर्या 
उन्होंने बताया कि श्रामणेर-श्रामणेरी की दिनचर्या सुबह 4.30 बजे शुरू हो जाती है। 5 से 7 बजे तक ध्यान किया जाता है। जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। 24 घंटे में एक बार भोजन किया जाता है। धम्म रैली से पूर्व भोजन कर रैली की तैयारी में जुट जाते हैं। 10 बजे रैली शुरू होती है। श्रामणेरों के निवास की व्यवस्था वैशालीनगर स्थित तथागत बुद्ध विहार और श्रामणेरी की निवास व्यवस्था बारसेनगर स्थित भीमज्योति बुद्ध विहार में की गई है।

मोबाइल-टीवी पर प्रतिबंध
धम्म रैली के दौरान श्रामणेर-श्रामणेरी एक माह तक दुनिया से दूर रहते हैं। मोबाइल का उपयोग नहीं कर सकते। उनका मोबाइल जब्त कर लिया जाता है। टीवी चैनल देखने की अनुमति नहीं दी जाती। शाम 5 से रात 9 बजे तक धम्म का पाठ पढ़ाया जाता है। गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जाता है। आर्थिक, शैक्षणिक, धार्मिक विषयों पर भदंत व्याख्यान देते हैं।  

Created On :   18 July 2018 6:48 AM GMT

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