मनपा बेफिक्र, गायब हो रहे हैं डस्टबिन

Many dustbins placed in the city have disappeared, After lagging behind in the list of smart cities
मनपा बेफिक्र, गायब हो रहे हैं डस्टबिन
मनपा बेफिक्र, गायब हो रहे हैं डस्टबिन

डिजिटल डेस्क, नागपुर । गीला-सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए शहर में लगाए गए कई डस्टबिन गायब हो गए हैं। स्मार्ट सिटी की लिस्ट में पिछड़ने के बाद इसके एक के बाद एक खुलासे सामने आ रहे हैं। बता दें कि स्वच्छ शहरों में उपराजधानी पिछले दिनों चंद 20 शहरों में शामिल थी, लेकिन अब  500 शहरों से पिछड़ गया है। इसमें स्वच्छता को लेकर जनजागरण में सुस्ती मुख्य कारण रही है, वहीं एक बड़ा कारण मनपा का घनकचरा प्रबंधन को लेकर उदासीन रवैया है। यही कारण स्मार्ट सिटी की पहली सूची में नागपुर शहर का नाम शामिल नहीं होने का रहा है और अब यही कारण उसके पिछड़ने का भी बन रहा है। घनकचरा व्यवस्थापन अर्थात गीला-सूखा कचरे का प्रबंधन नहीं होने से स्मार्ट सिटी की पहली सूची में पिछड़ने के बाद मनपा में घनकचरा प्रबंधन पर जोर दिया था। इसके लिए गीला-सूखा कचरा अलग-अलग करने के लिए डस्टबिन योजना लेकर आयी थी। जिसके बाद नागपुर शहर स्मार्ट सिटी की दूसरी सूची में शामिल हो पाया।

डस्टबिन को लेकर प्रत्येक घर में बांटने के दावे किए गए। पहले प्रत्येक घरों में नि:शुल्क बांटने का दावा किया गया। लेकिन कोर्ट द्वारा नि:शुल्क बांटने पर आपत्ति जताने पर मनपा ने नागरिकों से नाम-मात्र शुल्क लेकर इसे  बांटने का निर्णय हुआ। शुरुआत चरण में कुछ घरों में इसे बांटा भी गया। लेकिन कुछ समय के बाद योजना ठंडे बस्ते में चली गई। विशेष यह कि सड़कों पर जो हरे-नीले डस्टबिन लगाए गए थे, वे भी गायब हो गए हैं। यह भी एक बड़ा कारण नागपुर का स्वच्छता में पिछड़ने का माना जा रहा है। 

डस्टबिन गायब
शहरभर में गीला और सूखा कचरा जमा करने के लिए लाखों रुपए खर्च कर जोनस्तर पर डस्टबिन लगाए गए। इसके बाद मनपा प्रशासन ने कभी इनकी सुध नहीं ली। यही वजह है कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि किस जोन में कितने डस्टबिन लगाए गए? कितने टूट गए हैं और कितने चोरी चले गए? यदि चोरी गए तो क्या शासकीय संपत्ति को नुकसान होने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई?

फिर बांटे भी नहीं डस्टबिन  
मनपा ने सूखा और गीला कचरा जमा करने के लिए डस्टबिन बांटने का निर्णय लिया था। इस पर उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि डस्टबिन नि:शुल्क न बांटें। यदि बांटते हैं तो उनसे उसकी कीमत की वसूली करें। मनपा ने न्यायालय के निर्देश के पहले जो डस्टबिन बांटें थे उनको छोड़कर फिर कभी डस्टबिन नहीं बांटे।

सार्वजनिक शौचालय गंदगी से बजबजाए
शहर में जगह-जगह सार्वजनिक शौचालय बने हुए हैं, लेकिन उनकी नियमित सफाई नहीं होती है। इससे आम जनता उसका उपयोग न करते हुए वहीं बाहर गंदगी करते हैं। ऐसी ही स्थिति शहर में कई जगह अस्थायी शौचालय की है, उनमें न तो पानी होता है और न ही उनकी सफाई, जिससे लोग देखकर वापस लौट जाते हैं।

बाहरी क्षेत्र के शौचालय में ताला  
स्वच्छता सर्वेक्षण के समय शहर के बाहरी क्षेत्र में शौचालय बनाए गए थे, जिससे वहां के रहवासी खुले में शौच के लिए न जाएं। वहीं कोई व्यक्ति वहां गंदगी न करते हुए उनका उपयोग करे, लेकिन उन शौचालयों में ताला लगा दिया गया, जिससे उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।

एप डाउनलोडिंग बंद 
सर्वेक्षण के कुछ समय बाद से स्वच्छता एप की डाउनलोडिंग बंद हो गई है। इससे देश में स्वच्छ शहरों की सूची में बढ़ती रैंकिंग एकदम पिछड़ गई है। एप डाउनलोंडिंग के बारे में जागरूकता की कमी के कारण ऐसा हुआ है।

एंबेसेडर भी सुस्त 
स्वच्छता के प्रति जनजागरण करने के लिए शहर के पांच प्रतिष्ठित लोगों का स्वच्छता का ब्रांड एंबेसेडर चुना गया था। कुछ दिन तक ब्रांड एंबेसेडरों ने भी जगह-जगह जाकर स्वच्छता के प्रति लोगों का जनजागरण किया। लेकिन समय के साथ एंबेसेडर सिर्फ ब्रांड बनकर रह गए। एक-दो का नाम छोड़ दिया जाए तो सब इसे ब्रांड के रूप में भुना रहे है। 

 

Created On :   16 Nov 2018 6:48 AM GMT

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