मराठा आरक्षण विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पारित, लगे जय भवानी-जय शिवाजी के नारे

Maratha Reservation Bill passed by majority in both the Houses
मराठा आरक्षण विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पारित, लगे जय भवानी-जय शिवाजी के नारे
मराठा आरक्षण विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पारित, लगे जय भवानी-जय शिवाजी के नारे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आखिरकार पिछले तीन साल से आरक्षण की मांग कर रहे मराठाओं का संघर्ष रंग लाया और गुरूवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में ध्वनिमत से मराठा समाज को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 16 फीसदी आरक्षण का विधेयक मंजूर कर लिया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानमंडल के दोनों सदनों में यह विधेयक रखा जिसे तालियों की गूंज और जय भवानी जय शिवाजी के नारे के बीच सत्तापक्ष और विपक्ष ने एकमत से मंजूर कर लिया। जब यह विधेयक विधानसभा में मंजूर किया जा रहा था तो उस वक्त दर्शक दीर्धा में युवसेना नेता आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। 

जय शिवाजी के लगे नारे

विधेयक पारित करने के लिए विपक्ष से मिले से सहयोग पर मुख्यमंत्री ने विपक्ष समेत सभी सदस्यों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जिस तरह सभी पार्टियों ने सहयोग किया उससे साफ होता है कि हम साथ आकर सामाजिक मुद्दों का हल निकाल सकते हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील, राकांपा विधानमंडल दल के नेता अजित पवार और वरिष्ठ विधायक गणपत देशमुख ने विधेयक का समर्थन किया। मराठा समाज के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर राज्य के 30 फीसदी मराठाओं के लिए 16 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। विधेयक में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समाज के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए स्पष्ट किया गया है कि समाज को 50 फीसदी की सीमा तोड़कर आरक्षण देना क्यों जरूरी है।

मराठा समाज की सामाजिक स्थिति

-  76.86 फीसदी मराठा परिवार आजीविका के लिए खेती और खेत मजदूरी पर निर्भर हैं। 
-  सिर्फ 6 फीसदी मराठा सरकारी या अर्धसरकारी विभागों में नौकरी पर हैं इनमें भी ज्यादातर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं
-  करीब 70 फीसदी मराठा परिवार कच्चे घरों में रहते हैं
-  सिर्फ 35.39 फीसदी मराठा परिवारों के पास नल के जरिए पानी पहुंचता है
-  31.79 फीसदी मराठा परिवार लकड़ी जलाकर खाना बनाते हैं
-  2013-2018 के बीच 13368 किसानों ने आत्महत्या की इसमें से 2152 यानी 23.56 फीसदी मराठा थे
-  मराठा समाज में पुरानी सामाजिक परंपराएं प्रथाएं आज भी प्रचलित है
-  पिछड़ेपन के मानदंडों के आधार पर 73 फीसदी मराठा आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े
-  10 साल में उपजीविका की तलाश में 21 फीसदी मराठा गांव से शहरों में आए 
-  88.81 फीसदी मराठा समाज की महिलाएं पेट की आग बुझाने के लिए मजदूरी करती है

मराठा समाज की आर्थिक स्थिति

- 93 फीसदी मराठा परिवारों की वार्षिक आय 1 लाख रुपए तक ही है
- 24.2 फीसदी मराठा गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं जो राज्य के औसत की तुलना में 37.2 फीसदी है
- भूमिहीन व अल्पभूधारक (2.5 एकड़ से कम जमीन के मालिक) 71 फीसदी, 10 एकड़ से कम जमीन के मालिक किसान 2.7 फीसदी
मराठा समाज की शैक्षणिक स्थिति
- 6.71 फीसदी मराठा स्नातक या स्नातकोत्तर
- 0.77 फीसदी मराठा तकनीकी या व्यावसायिक डिग्री धारक
- 13.42 फीसदी मराठा निरक्षर
- 31.31 फीसदी ने प्राथमिक शिक्षा हासिल की
- 43.79 फीसदी 10 वीं या 12 वीं तक पढ़े

 केसरिया साफे में नजर आए सत्तापक्ष के विधायक

विधेयक पेश करने के पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पार्टी विधायकों के साथ विधानभवन परिसर में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान भी विधायकों ने शिवाजी महाराज के जयघोष के नारे लगाए। भाजपा और शिवसेना के सभी विधायक केसरिया रंग का साफा पहनकर विधानभवन पहुंचे थे। मराठा आरक्षण विधेयक पेश होने से विधायकों और मंत्रियों के चेहरे पर मुस्कान दिखाई दे रही थी। बाद में शाम को प्रदेश भाजपा कार्यालय पर उत्सव मनाया गया।  

Created On :   29 Nov 2018 12:43 PM GMT

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