विवाहित बेटी भी है अनुकंपा नियुक्ति की अधिकारी, HC का फैसला

Married daughter is also get compassionate appointment:High Court
विवाहित बेटी भी है अनुकंपा नियुक्ति की अधिकारी, HC का फैसला
विवाहित बेटी भी है अनुकंपा नियुक्ति की अधिकारी, HC का फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं रखा जा सकता है। सिर्फ विवाहित होने के आधार पर बेटी को ऐसी नियुक्ति से दूर रखना लैंगिक भेदभाव पैदा करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव व वर्गीकरण को उचित नहीं माना जा सकता। इस तरह की टिप्पणी करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन महामंडल (एसटी महामंडल) में ड्राइवर के रुप में कार्यरत रुद्रप्पा जामदार की अगस्त 2010 में मौत के बाद उनकी बेटी ने एसटी महामंडल के पास क्लर्क-टाइपिस्ट पद पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। स्मिता की मां ने भी एसटी महामंडल से बेटी की नियुक्ति का आग्रह किया था, लेकिन एसटी महामंडल के विभागीय नियंत्रक ने स्मिता को सूचित किया कि वह विवाहित है इसलिए उसकी नियुक्ति नहीं की जा सकती। 

एसटी महामंडल के इस निर्णय के खिलाफ स्मिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति आरएम सावंत व न्यायमूर्ति केके सोनावने की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि स्मिता की मां भी अपनी बेटी को नौकरी दिए जाने के पक्ष में है। इस दौरान खंडपीठ के सामने हाईकोर्ट एक पुराने आदेश की प्रति पेश की गई। जिसमें  विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति के मामले का निपटारा किया गया था।

इस आदेश में साफ किया गया था कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करना लैंगिक भेदभाव पैदा करता है। यह संविधान के खिलाफ है। इसलिए इस तरह की नियुक्ति करते समय सरकार को संवैधानिक प्रावधानों और इसमें दिए गए नीति निर्देशक तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए। इस दौरान खंडपीठ के सामने राज्य सरकार की ओर से 17 नवंबर 2016 को जारी किए गए शासनादेश की प्रति पेश की गई। जिसमें विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। खंडपीठ ने सरकार के इस शासनादेश के आधार पर व कोर्ट के पुराने फैसले पर गौर करने के बाद कहा कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने एसटी महामंडल को याचिकाकर्ता के अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े आवेदन पर 31 दिसंबर 2018 तक निर्णय लेने का निर्देश दिया। 

Created On :   15 Sep 2018 1:00 PM GMT

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