कुछ ऐसा रहा है अटल बिहारी वाजपेयी जी का मध्यप्रदेश से नाता..

Memories of Atal Bihari Vajpayee with Madhya Pradesh
कुछ ऐसा रहा है अटल बिहारी वाजपेयी जी का मध्यप्रदेश से नाता..
कुछ ऐसा रहा है अटल बिहारी वाजपेयी जी का मध्यप्रदेश से नाता..
हाईलाइट
  • अटल जी का बचपन ग्वालियर में ही बीता। बाद में 1991 में उन्होंने विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ा
  • और यहां से सांसद भी बने।
  • अटल जी का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा है।
  • उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश आ गए थे।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। लोकप्रिय नेता, प्रभावशाली व्यक्तित्व, सरल-सहज व्यक्ति और बेदाग छवि यही पहचान है अटल बिहारी वाजपेयी जी की। अटल जी का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा है। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश आ गए थे। वो ग्वालियर रियासत में बतौर शिक्षक थे, इसलिए अटल जी का बचपन ग्वालियर में ही बीता। बाद में उन्होंने मध्य प्रदेश से लोकसभा चुनाव भी लड़ा और यहां से सांसद भी बने।

ग्‍वालियर के विक्‍टोरिया कॉलेज से बीए किया
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। माता-पिता की सातवीं संतान अटल जी की तीन बहनें और तीन भाई थे। अटल जी ने ग्‍वालियर के विक्‍टोरिया कॉलेज से बीए किया था। विक्‍टोरिया कॉलेज को अब महारानी लक्ष्‍मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है। बीए करने के साथ ही अटल जी ने वाद विवाद की प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। वह स्टूडेंट्स में काफी लोकप्रिय थे, क्योंकि वह शुरू से ही प्रखर थे। भाषण और कविता के शौकीन थे। कॉलेज में उनके भाषणों ने उन्‍हें हीरो बना दिया और बाद में वो पूरे देश में एक हीरो के तौर पर जाने गए। बीए के बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने कानपुर से की थी।


अटल जी खाने पीने के भी बेहद शौकीन थे। ग्वालियर की कई पुरानी और नामचीन दुकानों से उनकी पुरानी यादें जुड़ी हुई हैं। अटल जी राजनीति में देश से लेकर विदेशों तक के दौरों पर रहे लेकिन कभी ग्वालियर के पकवानों का स्वाद नहीं भूले और जब भी समय मिला वह यहां आकर अपनी पसंद की चीजों का स्वाद चखते रहे। अटल जी को ग्वालियर के बहादुरा के बूंदी के लड्डू और दौलतगंज की मंगौड़ी बेहद पसंद थी। जब भी अटल जी ग्वालियर जाते तो वह इसका स्वाद लेना नहीं भूलते थे। इसके अलावा भिंड मुरैना की गज्जक, जले खोए के पेड़े के साथ-साथ ठग्गू के लड्डू और बदनाम क़ुल्फ़ी का चस्का भी अटल जी को लगा था। अटल जी को नॉनवेज का भी बहुत शौक था।

भोपाल के बड़े तालाब जाते थे कपड़े धोने
भोपाल शहर से भी अटलजी की यादें जुड़ी हुई हैं। पुराने भोपाल में मदीना के मालिक बड़े मियां फ़ख्र से बताते थे कि वह वाजपेयी जी का पसंदीदा मुर्ग़ मुसल्लम पैक करवा कर दिल्ली पहुंचवाया करते थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर बताते हैं कि वर्ष 1973-74 में अटलजी जब भोपाल आते थे तो उनके बरखेड़ी स्थित घर में रुकते थे। अटलजी उस समय बस और ट्रेन से अकेले ही दौरे करते थे। उनके बैग में दो-तीन जोड़ी कुर्ता और धौती रहती थीं। एक जोड़ी कपड़े वह तीन-चार दिन पहने रहते थे। जब भोपाल आते थे तो उन्हें नहलाने और कपड़े धुलवाने के लिए अपनी साइकिल से लेकर बड़े तालाब जाया करते थे। यहां शीतल दास की बगिया में पहले वो कपड़े धोते और जब सूख जाते तो नहाते थे। गौर कहते हैं कि आधे रास्ते वो साइकिल चलाते और आधे रास्ते अटलजी साइकिल चलाते थे।

माधवराव सिंधिया से हार गए थे चुनाव
मध्य प्रदेश से अटल जी की एक खटास भरी याद भी जुड़ी हुई है। वर्ष 1984 में अटल जी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर से लोकसभा चुनाव का पर्चा भरा था। अटल जी को देखकर उनके खिलाफ अचानक कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया को खड़ा कर दिया। जबकि माधवराव गुना संसदीय क्षेत्र से चुनकर आते थे। आम चुनाव में वो सिंधिया से करीब पौने दो लाख वोटों से हार गए थे। इस बात का अटल जी ने एक बार जिक्र भी किया था। उन्होंने बताया था कि संसद के गलियारे में उन्होंने माधवराव सिंधिया से पूछा था कि वे ग्वालियर से तो चुनाव नहीं लड़ेंगे। सिंधिया ने उस समय मना कर दिया था, लेकिन कांग्रेस की रणनीति के तहत अचानक उनका पर्चा दाखिल करा दिया गया। इसके बाद वाजपेयी 1991 के आम चुनाव में लखनऊ और मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से चुनाव लड़े और दोनों ही जगह से जीते। बाद में उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी।

Created On :   16 Aug 2018 3:08 PM GMT

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