भीमा कोरेगांव: नक्सल समर्थन के आरोप में नजरबंद लोगों पर SC की सुनवाई टली

MH Police files affidavit in SC says it has sufficient evidence to establish Maoists links
भीमा कोरेगांव: नक्सल समर्थन के आरोप में नजरबंद लोगों पर SC की सुनवाई टली
भीमा कोरेगांव: नक्सल समर्थन के आरोप में नजरबंद लोगों पर SC की सुनवाई टली
हाईलाइट
  • पुलिस ने कोर्ट से पांचों आरोपियों की न्यायिक हिरासत की मांग की।
  • भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बुधवार को महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में हलफनामा दाखिल किया।
  • सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार तक के लिए सुनवाई टल गई है। इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सभी लोगों को अपनी हिरासत में सौंपे जाने की मांग की थी। पुलिस का कहना है कि ये सभी लोग देश में हिंसा फैलाने और अराजकता पैदा करने की साज़िश में शामिल हैं, आगे की कार्यवाही के लिए इनसे ठोस पूछताछ जरूरी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 सिंतबर को होगी।

 

 

आरोपी कर सकते हैं सबूतों से छेड़छाड़
पुलिस ने कहना है कि जिन पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी हुई है वो समाज में बड़े पैमाने पर हिंसा, अराजकता फैलाने में शामिल थे। महाराष्ट्र पुलिस ने कोर्ट को बताया कि इन एक्टिविस्ट के पास से बरामद कम्प्यूटर, लैपटॉप, पेनड्राइव से पता चलता है कि उनका संबंध न केवल CPI (माओवादी) संगठन से था, बल्कि ये समाज में अस्थिरता और अराजकता फैलाने में लगे थे। इस मामले में पूछताछ के लिए आरोपियों को न्यायिक हिरासत में लिया जाना जरुरी है, क्योंकि नजरबंदी के दौरान उनके फिजिकल मूवमेंट पर रोक रहेगी। इस दौरान आरोपी अन्य लोगों के जरिए दस्तावेजों से छेड़छाड़ करा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से सारे दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को देने को कहा है, जिससे कि साबित हो सके कि पांचों व्यक्ति हिंसा भड़काने में शामिल रहे हैं।

महाराष्ट्र पुलिस को जारी किया था SC ने नोटिस
गौरतलब है कि न्यायालय ने इतिहासकार रोमिला थापर तथा अन्य की याचिका पर महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती दी गयी थी। महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाया कि याचिकाकर्ता रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक, देविका जैन, समाजशास्त्री सतीश देशपाण्डे और कानून विशेषज्ञ माजा दारूवाला ने किस हैसियत से याचिका दायर की है। पुलिस ने कहा कि ये लोग इस मामले की जांच से अनजान हैं। इससे पहले प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को छह सितंबर को घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश देते वक्त स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व’’ है।

 

Created On :   5 Sep 2018 1:17 PM GMT

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