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सुरंग रोधी व्हीकल के तीन मॉडल, नक्सली हमले में ब्लास्ट वाहन है सबसे कम सुरक्षित!
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नक्सली हमले में जिस माइन्स प्रोटेक्टिव व्हीकल के टुकड़े-टुकड़े हुए वह हैं वो विश्वस्तरीय क्वालिटी का, लेकिन अपनी केटेगरी में सबसे कम सुरक्षित भी है। शुरूआती जांच पड़ताल के नतीजे अभी सामने नहीं आए हैं लेकिन यह साफ हो गया है कि सीआरपीएफ को दिए गए एमपीव्ही बेस मॉडल के हैं जो न तो उतने महंगे हैं और न ही उतने ज्यादा सुरक्षित..! व्हीकल फैक्टरी में तैयार होने वाले सुरंगरोधी वाहनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि माइन्स के विस्फोट से जब जवानों की जान नहीं बच पाई तो ऐसे में माइन्स प्रोटेक्टिव व्हीकल के मायने क्या? आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि व्हीएफजे में तीन तरह के एमपीव्ही का निर्माण चल रहा है। सुकमा ब्लास्ट में जो वाहन हमले का शिकार हुआ एमपीव्ही-एमएचए वर्जन है।
एमपीव्ही के तीन मॉडल
श्रेणी कीमत
एमपीव्ही आर्मी वर्जन - 1.05 करोड़
एमपीव्ही एमएचए - 90.97 लाख
एमएमपीव्ही - 1.78 करोड़
इसलिए कम सिक्योर
बुलेट प्रूफ कांच - सामान्य कांच की तरह ही दिखता है, लेकिन सख्त और मुलायम कांच के लेयर्स होती है, सामान्य मॉडल में कांच बाहरी हमले में होने वाली हलचल को झेल पाने में सक्षम होते हैं, पर आर्मी वर्जन के मुकाबले कुछ कमजोर है।
कंपोजिट आर्मर - धातु प्लास्टिक और हवा की लेयर्स से बनती है। यह धातु से कहीं ज्यादा मजबूत है। सामान्य मॉडल यह कंपोजिट आर्मर की तीन लेयर नहीं होती है।
आर्मर्ड प्लेट - 18 से 20 मिमी तक मोटाई वाली धातु की प्लेट वाहन और जवानों को सुरक्षा देती है। बेस मॉडल में पतली प्लेट इस्तेमाल की गईं हैं, जबकि भारतीय सेना को सप्लाई किए जाने वाले मॉडल में मोटाई ज्यादा है।
व्व्हीएफजे में तैयार होने वाली जिस एमपीव्ही को सुकमा में तैनात किया गया उसकी क्षमता तय है। नकस्लियों ने तकरीबन ढाई गुना 24 किग्रा विस्फोटक का इस्तेमाल किया। इससे एमपीव्ही पर सवाल खड़े होने का सवाल ही नहीं। स्पेशिफिकेशन पहले से ही तय है और वाहन उन पर खरा भी उतरा है।
-व्हीके दुबे, अपेक्स कमेटी मेम्बर, ओएफबी।
वित्त मंत्रालय से आई ऑडिट टीम ने अपनी जांच पडताल शुुरू कर दी है। जानकारों का कहना है कि वित्तीय वर्ष के समापन पर हर साल नर्माणी का ऑडिट किया जाता है। इसी सिलसिले में फायनेंस मिनिस्ट्री के अधिकारी सोमवार को व्हीएफजे पहुंचे। दिन भर खातों का मिलान किया गया। इस बात की जांच पड़ताल की गई कि साल के दौरान निर्माणी ने कहां और कितना पैसा आय-व्यय किया। निर्माणी का प्रशासनिक महकमा दिन भर अधिकारियों की आवभगत में दौड़ता-भागता नजर आया।
Created On :   20 March 2018 8:54 AM GMT