कीटनाशकों के असुरक्षित उपयोग के लिए कृषि मंत्रालय जिम्मेदार,सीएसई की रिपोर्ट

Ministry of Agriculture responsible for insecure use of insecticides: CSE
कीटनाशकों के असुरक्षित उपयोग के लिए कृषि मंत्रालय जिम्मेदार,सीएसई की रिपोर्ट
कीटनाशकों के असुरक्षित उपयोग के लिए कृषि मंत्रालय जिम्मेदार,सीएसई की रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर/दिल्ली। महाराष्ट्र के अलावा अकेले विदर्भ में ही कीटनाशक छिड़काव से कई किसानों की मौत हो चुकी है, तो सैंकड़ों मजदूर और किसान अलग-अलग अस्पताल में भर्ती किए जा चुके हैं। लेकर जैसे ही खबरें फैलनी शुरु हुई, महाराष्ट्र से दिल्ली तक सियासत गरमा गई। ताजा कड़ी में सेंटर फॉर साईंस एंड एनवायरमेंट यानी सीएसई ने देशभर में कीटनाशकों के असुरक्षित उपयोग के लिए कृषि मंत्रालय और राज्यों के कृषि विभागों को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया कि कीटनाशकों के प्रबंधन में लापरवाही बरतने से महाराष्ट्र में किसानों की मौत हुई। सीएसई ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कीटनाशक प्रबंधन की लापरवाही को मुख्य समस्या बताकर कहा कि देश में हर साल कीटनाशक से विषाक्तता के लगभग 10 हजार मामले दर्ज हो रहे हैं। 

रिपोर्ट में खुलासे

सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में कीटनाशक के आकस्मिक सेवन से करीब 7000 लोगों की मौत दर्ज हुई थी। इसके लिए मुख्य रूप से केन्द्रीय कृषि मंत्रालय और राज्यों के कृषि विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया। सीएसई के उपमहानिदेशक चंद्रभूषण के अनुसार सरकार ने वर्ष 2008 में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक संसद में पेश किया था, लेकिन उसे पारित नहीं किया गया है। बिल को पारित कराने की आवश्यकता पर बल देते हुए चंद्रभूषण ने कहा कि जब तक सरकार अपने कीटनाशकों के प्रबंधन सुबंधी नियमों और विनियामक संस्थानों में सुधार नहीं करती, तब तक कीटनाशक के उपयोग से मृत्यु का यह सिलसिला जारी रहेगा।


मौत और बीमारी के जिम्मेदार कीटनाशक


सीएसई के रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में मोनोक्रोटोफ़ोस, ऑक्सिडेमेटेन-मिथाइल, एसेफेट और प्रोफेनोफोस जैसी कीटनाशकों को मृत्यु और बिमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोनोक्रोटोफ़ोस, ऑक्सिडेमेटेन-मिथाइल को अत्यधिक खतरनाक (वर्ग-1 का) माना है। मोनोक्रोटोफ़ोस को 60, फोरेट को 37, ट्रायाफोस को 40 और फॉस्फैमिडोन को 49 देशों में प्रतिबंधित किया गया है।

ये भी कृषि विभाग की लापरवाही

इसके अलावा पिछले दिनो नासिक के येवला से खबर आई थी, कि जिन खतरनाक कीटनाशकों पर दुनियाभर में बैन लगा है। उसी कीटनाशकों को कृषी विभाग के पोर्टल उपयोगी बताया गया। पोर्टल में एन्डोसल्फान 35 ईसी और  फास्फोमिडान 85 प्रतिशत प्रवाही के छिड़काव की सलाह दी गई। जिसमें एन्डोसल्फान नामक कीटनाशक को दुनिया के कई देशों में बैन है। जिसे साल 2014 को भारत में भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि येवला के तहसील कृषी अधिकारी अभय फलके ने इसे विभाग की गलती बताया था। उन्होंने कहा था कि फसल पर संक्रमण रोकने के लिए  कृषी विश्वविद्यालय से सिफारिशें आती हैं। वो वेबसाईट पर प्रकाशित होती हैं। लेकिन जिन कीटनाशकों का जिक्र है, वो पाबंदी लगाने से पहले ही प्रकाशित हुए होंगें। 


भारत में इन कीटनाशकों का उपयोग करने की अनुमति 


सीएसई के मुताबिक देश में वर्ग 1 के कुल 18 कीटनाशकों का उपयोग करने की अनुमति है। अनुपम वर्मा कमेटी ने 2015 में 18 में 11 कीटनाशकों की समीक्षा कर उक्त चार कीटनाशकों के उपयोग पर रोक लागाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बावजूद कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय 18 कीटनाशकों में केवल 8 पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है। जबकि इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की जरुरत है। सीएसई ने कहा है कि वर्मा समिति की सिफारिशें अपर्याप्त है और सरकार की कार्रवाई इससे उत्पन्न हुई समस्या के अनुरुप नहीं है।

Created On :   20 Oct 2017 9:18 AM GMT

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