जानिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे

Miraculous benefits of three Mukhi Rudraksha Beads
जानिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे
जानिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकृतिक रूप से कुछ सीधी धारियां होती हैं। ये धारियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है। जैसे किसी रुद्राक्ष पर तीन धारियां हैं  तो वह रुद्राक्ष तीन मुखी रुद्राक्ष कहलाएगा।

रुद्राक्ष से होने वाले लाभ

रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है। जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहां सदा लक्ष्मी का वास रहता है। रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है। रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिए अर्थ और काम का दाता है। रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है। इसकी पूजा करने से सभी दुःखों से छुटकारा प्राप्त होता है। रुद्राक्ष सभी वर्णों के पाप का नाश करता है। इसे पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही हो जाता है और रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है। रुद्राक्ष को धारण करने से दुष्ट ग्रहों की अशुभता शरीर में होने वाला विषैला संक्रमण और कुदृष्टि दोष, राक्षसी प्रवृत्ति दोष शांत रहते हैं। रुद्राक्ष तेज तथा ओज में अपूर्व वृद्धि करता है।


क्या है तीन मुखी रूद्राक्ष 

तीन मुखी रुद्राक्ष में 3 धारियां होती हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि स्वरूप माना जाता है। यह सत्य, रज, तथा तम इन तीनों का त्रिगुणात्मक शक्ति वैष्णो देवी का रूप है। इस रुद्राक्ष में ब्रह्रा, विष्णु, महेश तीनों शक्तियों का समावेश होता है, इसके साथ-साथ इसमें तीनों लोक अर्थात आकाश, पृथ्वी, पाताल, की भी शक्तियां निहित होती हैं। यह मानव को त्रिलोकदर्शी बनाकर भूत, भविष्य तथा वर्तमान के बारे में बताता है।

इसको धारण करने से व्यक्ति की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का अंत होता है तथा रचनात्मक प्रवृत्ति का उदय होता है। जो विद्यार्थी पढ़ने में कमजोर हों वह इसे धारण करके अदभुत लाभ उठा सकते हैं। इसको धारण करने से मन में दया, धर्म, परोपकार के भाव पैदा होते हैं। यह पर स्त्री गमन के पापों को नष्ट करता है यह धारक अथवा पूजक के सभी पापों का अंत कर उसे तेजस्वी बनाता है।


रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकं मंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र "ओम नमः शिवाय" से प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए।

उक्त जानकारी सूचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहों की स्थिति, बलाबल को भी ध्यान में रखकर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुंचना चाहिए। 

Created On :   20 Jun 2018 10:45 AM GMT

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