मोदी मिशन बजट 2019: मास्टरस्ट्रोक लगाने की तैयारी में पीएम, इन्हें मिलेगा लाभ

मोदी मिशन बजट 2019: मास्टरस्ट्रोक लगाने की तैयारी में पीएम, इन्हें मिलेगा लाभ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोदी सरकार में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, इस बात को लेकर विपक्ष लगातार निशाना साध रहा है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी ने 2018 में ही अगले साल को लेकर मास्टरस्ट्रोक लगाने की तैयारी कर ली है। हाल ही में नीति आयोग के महानिदेशक-डीएमईओ और सलाहकार अनिल श्रीवास्तव ने दावा किया था कि "मेक इन इंडिया" से 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई फ्लैगशिप योजना लोगों को काफी उम्मीदें भी हैं। पीएम मोदी खुद इस योजना के बारे में कई बार बहुत कुछ कह चुके हैं। अगर नीति आयोग के महानिदेशक का दावा सच होता है तो ये देश के युवाओं के भविष्य के लिए सबसे बेहतर मौका होगा।

 

 

मोदी सरकार ने मिशन 2019 के लिए की तैयारी


बता दें कि नौकरियों के सृजन और कौशल विकास के उद्देश्य से शुरू की गई इस सरकारी योजना को लेकर युवाओं में आस है। उन्होंने कहा कि,"हम चौथे तकनीकी रेवॉल्यूशन के दौर से गुजर रहे हैं। इसमें तकनीक का काफी इस्तेमाल है। मेक इन इंडिया के जरिए हम 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार सृजित करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।" नई नौकरियों के अवसर पैदा करना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। हर साल एक करोड़ युवा देश में नौकरियों के लिए तैयार हो रहे हैं, जो ऑटोमेशन और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की वजह से कई सेक्टरों में नौकरियों से दूर हो रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार मिशन 2019 को ध्यान में रखते हुए नई नौकरियों के लिहाज से बजट में बड़ा ऐलान कर सकती है।

 

2018-2019 का बजट मोदी सरकार के लिए अहम

आज हर रोजगार देश के लिए काफी महत्वपूर्ण मुद्दा बन बन गया है, और विपक्ष में बैठी सरकारों के लिए भी यह बड़ा मुद्दा बन गया है। यह एक ऐसा मामला है जो आने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। बजट 2018-2019 मोदी सरकार के लिए एक सुनहरा मौका है, जिसके जरिए वह नौकरियों की कमी को दूर कर अपने चुनावी आधार को और मजबूत बना सकती है। बता दें कि देश में नई नौकरियों के मामले में पिछले 6 साल का यह सबसे निचला स्तर है।

 

 

क्या कहते हैं आंकड़े

लेबर मिनिस्ट्री के लेबर ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2015 में 135,000, 2014 में 421,000 और 2013 में 419,000 नई नौकरियां पैदा हुईं। वहीं लेबर ब्यूरो का एक और सर्वे बताता है कि बेरोजगारी दर भी पिछले 5 साल में सबसे ऊपर के स्तर पर है। 2016 में 5%, 2015 में 4.9% और 2014 में 4.7% बेरोजगारी दर थी। 

 

 

हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में साफ नजर आया कि ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के वोट बैंक में कमी रही। ऐसे में मोदी सरकार इस बजट में ऐसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहेगी, जिनका चुनावों में ज्यादा प्रभाव पड़े। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बार बजट में किसानों के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर सकती है, वहीं माना जा रहा है कि इस लिस्ट में किसानों के बाद अगला बड़ा मुद्दा नौकरियों का होगा। उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी की सरकार इस बजट में राष्ट्रीय रोजगार नीति का ऐलान कर सकती है। इस नीति में अलग-अलग सेक्टरों में नई और अच्छी नौकरियां पैदा करने का रोडमैप होगा। 

 

 

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर फोकस

ज्यादातर नौकरियां असंगठित क्षेत्रों में बढ़ती हैं, लेकिन इस पॉलिसी के बाद इस ट्रेंड में बदलाव देखने को मिल सकता है। लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारी असंगठित क्षेत्र से संबंधित नौकरियों से जुड़े हैं, जो किसी सोशल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत नहीं आते। ऐसे में यह भी कहा जाता है कि उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है। मेक इन इंडिया के माध्यम से मोदी सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर फोकस कर रही है। जिससे सरकार को उम्मीदें है कि आने वाले दिनों में ही बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कई कंपनियों का दावा है कि ई-कॉमर्स और इंटरनेट सेक्टर्स से जुड़ी जॉब्स में हायरिंग को लेकर भी इजाफा देखने को मिला है।

 

 

पिछले कुछ सालों में स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए देश में निवेश की नई संभावनाओं को तलाशने और युवाओं के नए आइडियाज पर उन्हें उद्योग लगाने के लिए अच्छा अवसर प्रदान किया गया है। एक अनुमान के मुताबिक, देश के जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 2022 तक बढ़कर 25 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। मेक इन इंडिया के जरिए 25 ऐसे सेक्टर्स की पहचान की गई है, जिन्हें इंसेंटिव्स मिलेंगे और इन सेक्टर्स में इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए पॉलिसीज में भी बदलाव किए जाएंगे। 

 
 

 

ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा भारत


मोदी सरकार मेक इन इंडिया के जरिए देश को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बदलना चाहती है। बता दें कि इन्हीं प्रयासों के चलते पिछले दो सालों में 107 नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की गई हैं। जिनमें से कुछ अन्य यूनिट्स लाइनअप में हैं। वहीं दूसरी तरफ जॉब प्लेसमेंट फर्मों का अनुमान है कि मैन्युफैक्चरिंग, इंजिनियरिंग और इनसे जुड़े सेक्टर्स में तेजी आएगी। बताया जा रहा है कि अगले एक साल में इनमें तकरीबन 7.2 लाख अस्थायी नौकरियां सृजित होंगी। इन सेक्टर्स में कम स्किल्स की जरूरत वाले कंस्ट्रक्शन, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग के साथ ही अधिक स्किल की जरूरत वाले एविएशन, डिफेंस इक्विपमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स भी शामिल हैं। 
 

Created On :   9 Jan 2018 2:44 PM GMT

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