मोरयाई छठ व्रत: सूर्य को अर्घ्य देकर करें प्रसन्न 

Morai Chhath: Know the Date and Significance of Surya Pooja
मोरयाई छठ व्रत: सूर्य को अर्घ्य देकर करें प्रसन्न 
मोरयाई छठ व्रत: सूर्य को अर्घ्य देकर करें प्रसन्न 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मोरयाई छठ व्रत किया जाता है। जो इस वर्ष 15 सितम्बर 2018, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस व्रत को सूर्य षष्ठी या मोर छठ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस दिन को सूर्य उपासना एवं व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। सूर्य देव का स्वयं लाल रंग है और उनको लाल रंग अधिक प्रिय भी है। अत: इस दिन उन्हें गुलाल, लाल चंदन, लाल पुष्प, केसर, लाल कपड़ा, लाल फल, लाल रंग की मिठाई अर्पित करके प्रसन्न करने का प्रयत्न किया जाता है।

वैसे धर्म शास्त्र के अनुसार हर महीने में आने वाली शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को हर मनुष्य को सूर्यदेव का यह व्रत अवश्य करना चाहिए। विशेष कर भाद्रपद शुक्ल षष्ठी के दिन यह व्रत करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जो भी इस दिन व्रत करता है उसको मोरयाई छठ व्रत पूर्ण श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक रखना चाहिए। आइए जानते हैं मोरयाई छठ पर कैसे करें पूजन, जिससे सूर्यदेव शीघ्र ही प्रसन्न हों और शुभाशीष प्रदान करें।

इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व मना जाता है, किन्तु किसी कारणवश गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर ही स्नान के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।

इस दिन सूर्य के उदय के साथ ही भगवान सूर्यदेव की उपासना करना चाहिए।

इस दिन पंचगव्य का सेवन अवश्य करना चाहिए। दिन भर में एक बार ही नमक युक्त भोजन करना चाहिए।

भाद्रपद शुक्ल षष्ठी तिथि को जब तक सूर्यदेव प्रत्यक्ष रूप से दिखाई न दें, तब तक सूर्य उपासना नहीं करना चाहिए।

इस दिन सूर्य देव के विभिन्न मंत्रों में से किसी एक का जप अवश्य करना चाहिए।

सूर्य देव को जल चढ़ाएं और कुमकुम अर्पित करें। इसके पश्चात्  मीठा व पुष्प अर्पित करें, फिर सूर्य देव के समक्ष बैठकर सूर्य देव के इन मंत्रों में से किसी भी मन्त्र का यथासंभव जप करें :

ऊँ खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।


त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्। 
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।

ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। 
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

सूर्य को अर्घ्य देते समय इन मन्त्रों में से किसी एक का जाप करें। सूर्य देव ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि के साथ-साथ सभी आकांक्षाओं को पूरा करते हैं। सूर्य देव की आराधना करने से मनुष्य बल, बुद्धि, तेज, मान-सम्मान, धन-सम्पति और स्वास्थ्य से परिपूर्ण होता है। इनके साथ-साथ सूर्य देव की नित्य आराधना करने से मानव जीवन में नव शक्ति का संचार होने लगता है।

सूर्य देव को जल अर्पित करने की विधि :-

सूर्य देव एकमात्र ऐसे देव हैं जो प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं इसलिए सूर्य देव की आराधना घर में पूजा स्थल की जगह बाहर खुले में सूर्य देव के समक्ष करना अधिक फलदायी है। सूर्यदेव आराधना में सूर्यदेव को जल अर्पित करना सबसे अधिक महत्व रखता है।

इसे सूर्य को अर्घ्य देना कहा जाता है। सूर्यदेव को अर्घ्य देने हेतु सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और जैसे ही सूर्य उदय होता है आप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके खड़े हो जाएं। एक ताम्बे के पात्र में जल भरकर इसमें कुछ चावल, कुछ चीनी, पुष्प डालकर कुमकुम द्वारा जल में छींटे लगाएं।

अब आप सूर्य देव के सामने खड़े होकर तांबे के पात्र द्वारा दोनों हाथों से जल नीचे जमीन पर या गमले में छोड़ते हुए अर्घ्य दें।

विशेष रूप से ध्यान दें की तांम्र पात्र अपके सीने के सामने हो तब सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए पात्र को कंधों से ऊपर तक ले जाने का प्रयास करें। पात्र द्वारा नीचे गिरने वाली जलधारा में सूर्य के प्रतिबिम्ब को देखने का प्रयास करें।

सूर्य देव को अर्ध्य देते समय निरंतर सूर्यदेव के इस मंत्र का जप करते रहें: "ॐ सूर्याय नमः"।

सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात् नीचे झुककर जल को स्पर्श करें और अंत में सीधे खड़े होकर हाथ जोड़कर सूर्यदेव को प्रणाम करें। सूर्य देव को जल अर्पित करने का सबसे उत्तम समय सूर्य उदय से लेकर इसके एक घंटे बाद तक होता है। इसलिए इस अवधि में ही सूर्यदेव को अर्घ्य देने का प्रयत्न करें।

सामान्य दिनों में रविवार का दिन सूर्य आराधना के लिए विशेष माना गया है, यदि समय का अभाव रहते आप नियमित सूर्यदेव को अर्घ्य नहीं दे पाते हों तो रविवार के दिन सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें।

सूर्य उपासना, मन्त्र जाप और अर्घ्य देने से लाभ :-

मानसिक व्याधियों (चिंता, तनाव, अवसाद, नकारात्मक सोच) से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की पूजा से जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

सूर्य देव की पूजा से मन से अहंकार, हीन भावना, ईर्ष्या के भाव दूर होते हैं।

जन्म कुंडली में सूर्य दोष होने पर इस दिन सूर्य आराधना करना विशेष फलदायी माना जाता है।

इस दिन सूर्य देव की आराधना से नौकरी में आ रही परेशानियां दूर होती हैं तथा नौकरी में पदौन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं।

जो व्यक्ति इस दिन सूर्य देव की आराधना करते हैं, और उन्हें जल अर्पित करते हैं, उनके चेहरे पर सदैव तेज बना रहता है। उस व्यक्ति में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता विकसित हो जाती है। वैसे सूर्य देव की नित्य अराधना करने वाला व्यक्ति स्वभाव से निडर और शरीर से बलवान हो जाता है

Created On :   12 Sep 2018 7:18 AM GMT

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