अजय सिंह ने बीजेपी पर लगाए मां को भड़काने के आरोप, शिवराज बोले- यह घटियापन की पराकाष्ठा

MP CM says Ajay Singh Allegations are Height Of Cheapness
अजय सिंह ने बीजेपी पर लगाए मां को भड़काने के आरोप, शिवराज बोले- यह घटियापन की पराकाष्ठा
अजय सिंह ने बीजेपी पर लगाए मां को भड़काने के आरोप, शिवराज बोले- यह घटियापन की पराकाष्ठा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के आरोपों को घटियापन की पराकाष्ठा करार दिया है। दरअसल अजय पर उनकी मां ने घरेलू हिंसा और संपत्ति से बेदखली का आरोप लगाया है। इस मामले में उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया है। इन आरोपों पर सफाई देने के लिए अजय सिंह ने बुधवार को मीडिया से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी मां ने किसी के बहकावे में आकर ऐसा किया है। इस मामले में उन्होंने बीजेपी पर षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया था।

 

 


बहकावे में आकर मां ने लगाए आरोप
अजय सिंह ने कहा, "मैं इन आरोपों से बेहद दुखी हूं। मां ने किसी के बहकावे में आकर मुझ पर ये आरोप लगाए हैं। मां से मेरा अनुरोध है अगर इस मसले को अदालत से बाहर सुलझाएं तो अच्छा रहेगा। हमारी परिवार की एक सदस्य की वजह से ही ये परेशानी हुई है। मां को कई बार भोपाल बुलाया, उनसे मिला। इसके बाद भी वह मेरे साथ नहीं आईं।" उन्होंने इस मामले के लिए बीजेपी पर साजिश के आरोप लगाते हुए कहा कि जिस वकील ने मेरी मां की तरफ से केस दायर किया है। इसी वकील ने मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह की तरफ से मानहानि के केस में पैरवी की थी।

अजय सिंह ने लिखित बयान में क्या कहा?
यह दु:खद है और किसी परिवार के लिए अत्यंत दर्दनाक भी है, जब घरेलू विवादों को चौराहे पर घसीटी जाए। खासकर जब पूरे तमाशे का इरादा केवल राजनीतिक हो। मेरी मां निश्चित वृद्ध है पर लावारिस नहीं क्योंकि उनके दो बेटे हैं। मेरे पूज्यनीय पिताजी के स्वर्गवास के बाद गई सालों तक मैं माताजी को भोपाल लाने का प्रयास और अनुरोध करता रहा, पर मैं असफल और असमर्थ रहा। कोई ऐसी शक्ति थी जो उन्हें हमसे ज्यादा प्रभावित और संचालित कर रही थी। दुर्भाग्य से वह हमारे ही परिवार की सदस्य है।

वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि वे हमारी बहन श्रीमती वीना सिंह के बगैर कहीं और रहना नहीं चाहती और वीना सिंह हमारे साथ रह नहीं सकती क्योंकि राजनीतिक कारणों से हमारे उनके रिश्ते कई वर्षों से मामान्य नहीं हैं। इतने सबके बावजूद मैं उनसे मिलने और उनके संबल बनने की हमेशा कोशिश करता रहा हूं। उन्होंने न तो मुझसे बात करना उचित समझा और न ही इश दुविधा को सुलझाने में कोई रुचि दिखाई।

मेरे पिताजी की मेरे जेहन में गौरवशाली और प्रतिष्ठित आदरणिय छवि है। इसलिए इस पारिवारिक विषय पर उनकी प्रतिष्ठा और छवि को कम से कम मैं जरूर ध्यान रखूंगा। क्योंकि एक पुत्र पिता की प्रतिष्ठआ को बढ़ाता है जिसका मैंने सदैव अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में प्रयास किया है, इसलिए इस पर ज्यादा नहीं कहूंगा।

यह पूरा मामला कोर्ट में है, तो सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि मुझ पर लगाए गए आरोपों से मैं अत्यंच दुखी और व्यथित हूंस क्योंकि मेरी मां ने किसी के बहकाने पर दो कुछ कहा वह सरासर झूठआ और असत्य है। वक्त मुझे इंसाफ देगा। मैं अपनी मांले एर प्रार्थना करते हुए एक संदेश देना चाहूंगा कि वे अपने आपको उन लोगों से स्वतंत्र कल लें जिन्होंने आपको भावनात्मक रूप से अपने वश में कर रखा है। बेहतर यह होगा कि अदालत या सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर चर्चा करने के बजाए आप और मैं साथ बैठे और समस्याओं का समाधान करें।

Created On :   20 Jun 2018 7:13 PM GMT

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