जर्जर दीवार गिरने से हुई मौत के लिए मुआवजा दे नगर परिषद : हाईकोर्ट

Nagar parishad compensate for death caused by a collapsed wall high court order
जर्जर दीवार गिरने से हुई मौत के लिए मुआवजा दे नगर परिषद : हाईकोर्ट
जर्जर दीवार गिरने से हुई मौत के लिए मुआवजा दे नगर परिषद : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नगर परिषद के शौचालय की दीवार गिरने के चलते मौत का शिकार हुई सब्जी विक्रेता महिला के परिजन को बांबे हाईकोर्ट ने मुआवजे के लिए पात्र माना है। हाईकोर्ट ने कहा कि शौचालय की दीवार काफी पुरानी थी। यह दीवार किसी प्राकृतिक आपदा के चलते नहीं गिरी थी। इमारत के जर्जर होने के चलते शौचालय की दीवार गिरी है। ऐसे में नगर परिषद अपने निर्माण कार्य को व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है। लिहाजा हम मृतक महिला के परिजन को बार्शी नगरपरिषद को अंशकालिक मुआवजे के तौर पर दो लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश देते हैं।  मृतक मंगल कांबले के भाई अनिल ने मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में अनिल ने दावा किया था कि 50 वर्षीय उसकी बहन अविवाहित थी। वह घर में कमानेवाली महिला थी। यहीं नहीं वह मां की देखभाल भी करती थी। मां पूरी तरह से उसी पर आश्रित थी।

बार्शी नगरपरिषद ने 17 जून 2015 को पत्र लिखकर हमे सूचित किया था कि नगरपरिषद हमें मुआवजा देने पर विचार कर रही है। याचिका के मुताबिक 16 मई 2015 को मंगल कांबले स्थानीय इलाके में सब्जी बेच रही थी। तभी अचानक वहां पर बने पुराने शौचालय की इमारत उसके उपर गिर गई। इस हादसे में कांबले को गंभीर चोट लगी जिससे उसकी मौत हो गई। याचिका में दावा किया गया था कि शौचालय की दीवार काफी पुरानी थी। शौचालय का निर्माण नगरपरिषद ने किया था लेकिन शौचालय के ढांचे के रखरखाव में नगरपरिषद ने लापरवाही बरती जिसके चलते यह हादसा हुआ और मेरी बहन (मंगल) की जान चली गई। इसलिए नगरपरिषद को मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए। 

न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि नगरपरिषद शौचालय के रखरखाव से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकता। क्योंकि शौचालय की दीवार भारी बारिश अथवा भूकंप तथा किसी प्राकृति आपदा के चलते नहीं गिरी है। यह दर्शाता है कि नगरपरिषद शौचालय के रखरखाव को लेकर अपनी जिम्मेदारी का निवर्हन नहीं किया है। मृतक की मां पूरी तरह से अपनी बेटी पर निर्भर थी। इसलिए हम नगरपरिषद को उसकी मां को अंतरिम मुआवजे के तौर पर दो लाख रुपए देने का निर्देश देते हैं। यहीं नहीं हम पीड़ित के परिजन को और मुआवजे की मांग के लिए सिविल कोर्ट में दावा दायर करने की अनुमति प्रदान करते है और मृतक की मां को चार सप्ताह के भीतर दो लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिए गए।

 
 

Created On :   17 Aug 2019 12:45 PM GMT

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