रैंकिंग सुधारने में जुटी यूनिवर्सिटी, आई-केयर कंपनी से ली जाएगी टिप्स

Nagpur university crossed 150 in the UGC rankings, begin to improve its position
रैंकिंग सुधारने में जुटी यूनिवर्सिटी, आई-केयर कंपनी से ली जाएगी टिप्स
रैंकिंग सुधारने में जुटी यूनिवर्सिटी, आई-केयर कंपनी से ली जाएगी टिप्स

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूजीसी की रैंकिंग में 150 के पार स्थान पाने वाला राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अब अपनी स्थिति सुधारने की कवायद में जुट गया है। यूनिवर्सिटी राज्य सरकार के निर्देश पर अपनी रैकिंग सुधारने के आई-केयर नामक कंपनी की सेवाएं लेगा। यह एक प्रकार की कोचिंग होगी। यूनिवर्सिटी कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे के अनुसार कंपनी विवि को टिप्स देगी, उन्हें अपने यहां कौन-कौन से सुधार लाने चाहिए या फिर कौन सी सुविधाएं और बेहतर करने की जरूरत है। फिलहाल नागपुर यूनिवर्सिटी की रैंकिंग 150 के पार है।

डॉ. काणे को उम्मीद है कि आई-केयर की सेवाएं लेने के बाद वे देश के टॉप 50 शैक्षणिक संस्थानों की सूची में शामिल हो जाएंगे। यूनिवर्सिटी को रैंकिंग में पिछाड़ने के लिए काफी हद तक यूनिवर्सिटी के रिक्त पद भी जिम्मेदार है। बीते दिनों राज्य उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक पदों की नियुक्ति की घोषणा करने के बाद नागपुर विश्वविद्यालय ने पदभर्ती के लिए राज्य सरकार को भेजने के लिए  फिर एक बार आकृतिबंध भेजेगा। इसमें यूनिवर्सिटी ने अपने यहां 1214 गैर-शिक्षक और 549 शिक्षक पदों पर नियुक्तियां जरूरी बताया है। इन मुद्दों पर मैनेजमेंट काउंसिल से मंजूरी लेने के लिए हाल ही में बैठक बुलाई गई थी। काउंसिल ने इस आकृतिबंध को राज्य सरकार को भेजने की अनुमति दे दी है। 

रैंकिंग में पिछड़ा है विश्वविद्यालय
नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क द्वारा वर्ष 2017 देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में सुविधाएं, शिक्षा प्रणाली व अन्य पहलुओं के मद्देनजर रैंकिंग जारी करता है। पिछली रैंकिंग में नागपुर विश्वविद्यालय का इसमें प्रदर्शन बेहद खराब रहा। यूनिवर्सिटी को 150-200 के बीच स्थान दिया गया।यूनिवर्सिटी में रिक्त शिक्षक पद और प्लेसमेंट सेल का न होना महंगा पड़ गया। इसके पूर्व 2016 में तो यूनिवर्सिटी के अधिकार वक्त पर डाटा ही नहीं भेज पाए थे। जिसके कारण यूनिवर्सिटी का मूल्यांकन ही नहीं हुआ था। बीते वर्ष यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने डाटा भेजा, तो राष्ट्रीय संस्थानों के बीच विवि की स्थिति पता चली। ऐसे में कहा जा सकता है कि यूनिवर्सिटी का इंटरनल क्वालिटी एशुरेंस सेल भी बीते कई वर्षों से रैंकिंग सुधारने के पुरजोर प्रयास करने का दावा कर रहा है, मगर फिर भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसे में राज्य सरकार के निर्देश पर आय केयर कंपनी से सेवाएं ली जाएंगी। देखना होगा कि यह कंपनी विवि की स्थिति में कितना सुधार ला पाती है। 

Created On :   21 Nov 2018 7:12 AM GMT

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