संघर्षों से नहीं मानी हार, अब राजपथ पर कदमताल

Nagpur University has successfully organized the Republic Day selection camp recently
संघर्षों से नहीं मानी हार, अब राजपथ पर कदमताल
संघर्षों से नहीं मानी हार, अब राजपथ पर कदमताल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना यूनिट ने हाल ही में गणतंत्र दिवस चयन शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन किया। दिल्ली में 26 जनवरी को राजपथ पर मार्च करने के लिए यहां से 44 विद्यार्थियों का चयन किया गया। इस चयन शिविर में महाराष्ट्र और आस-पास के 6 राज्यों के 200 विद्यार्थी पहुंचे। विद्यार्थियों ने बीते दस दिनों में अपनी शारीरिक और मानसिक मजबूती का परिचय दिया। शहर में विविध राज्यों से अपनी प्रतिभा का परिचय देने पहुंचे विद्यार्थियों से हमने चर्चा की तो पता चला ये विद्यार्थी अपने आप में ऐसी मिसाल हैं, जिनसे ढेरों विद्यार्थी प्रेरित होकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। इनमें एक छात्रा ने महिला सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल पेश की। 18 वर्ष की आयु में यौन उत्पीड़न का शिकार होने के बावजूद हिम्मत और जिद का परिचय देते हुए स्वयं को चयन शिविर में साबित करके अपना लोहा मनवाया। इसी तरह 20 साल की आयु में गिरनाथ, चोटिला पर्वत और छह बार अमरनाथ पैदल चढ़ाई कर चुकी छात्रा यह दर्शाती है कि, छात्राएं किसी भी संकट और परेशानी को कड़ी टक्कर देने की क्षमता रखती है।

शिविर से मिली हिम्मत
बचपन से ही मुझे पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद में खासी रुचि थी। विशेषकर बास्केटबॉल पसंद था। जीवन पढ़ाई और खेल-कूद के बीच अच्छा गुजर रहा था, तभी एक ऐसी घटना हुई, जिसने मुझे अंदर से तोड़ दिया। स्कूली शिक्षा पूरी होने ही वाली थी  कि, 18 वर्ष की आयु में मेरे साथ वह हुआ जिसकी कल्पना भी मैंने कभी नहीं की थी। मैं यौन उत्पीड़न का शिकार हुई। मेरा जीवन रुक सा गया था। अवसाद मुझे कुछ करने नहीं दे रहा था। पढ़ाई से मन तो उठा ही, मैंने बॉस्केटबॉल खेलना भी छोड़ दिया था। मैं निर्दोष होने के बावजूद घंटों रोया करती थी, लेकिन देश की न्यायपालिका ने मेरे साथ इंसाफ किया और दोषी को कोर्ट ने सजा सुना दी। मैंने भी अवसाद में रहने से अच्छा जीवन में आगे बढ़ने और कुछ कर दिखाने का निर्णय लिया। मैंने राष्ट्रीय एकीकरण शिविर में भाग लिया, जिससे मेरे जीवन में अकल्पनीय परिवर्तन आया। यहां मुझे आत्मविश्वास मिला, नए दोस्त और गुरु मिले। धीरे-धीरे मुझ में सुधार होने लगा। मैंने ठान लिया कि, इसी राह को पकड़ कर खुद को कुछ करना ही होगा। साथ ही मेरे जैसी पीड़िताओं को भी जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाने की प्रेरणा चाहिए।   -तेलंगाना राज्य से आयी दुराचार पीड़िता की आपबीती

एवरेस्ट की चढ़ाई करना चाहती हूं
पांचवीं कक्षा में थी, तब से पिता परेड देखने के लिए टी.वी. के सामने बैठा दिया करते थे। भविष्य में पर्वतारोही बनना चाहती हूं। एवरेस्ट की चढ़ाई करना चाहती हूं। गिरनाथ, चोटिला और छह बार अमरनाथ पैदल चढ़ाई कर चुकी हूं। ताइक्वांडो में राष्ट्रीय मेडल हासिल कर परिवार का नाम रोशन करना चाहती हूं।  -हिमानी विजयकुमार जानी, दमन और दीव

असफलताओं से सीखा
मैंने हमेशा असफलताओं से सीखा है। बारहवीं में परेड के लिये जब चयन नहीं हुआ तभी ठान लिया था कि, अब नहीं रुकना है। राज्य स्तर पर बॉक्सिंग कर चुकी हूं। महाविद्यालयीन स्तर पर रग्बी एवं शतरंज की खिलाड़ी हूं। परेड में भाग लेकर अपने परिवार को गौरवान्वित महसूस करवाना चाहती हूं। –अमरीन शेख, गोवा

नारीशक्ति का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं
पिछले आठ वर्षों से राष्ट्रीय सेवा योजना का हिस्सा हूं। कई बार गांवों को हम गोद ले चुके हैं। लोगों की परेशानियां देखते नहीं बनती, इसलिये उनकी सहायता का संकल्प ले चुकी हूं। परेड का हिस्सा बनकर नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं। भविष्य में आर्मी में जाने की भी योजना है।  -डॉ. प्रणीति प्रशांत हिरलकर, आंध्र प्रदेश

बचपन से सपना था परेड करुं
बचपन से मेरा सपना था कि, मैं भी राजपथ पर परेड करुं, परंतु लंबाई ज्यादा होने के कारण मेरा चयन नहीं हो पाता था, परंतु लंबाई को 165 से 169 कर देना मेरे लिये किसी सौगात से कम नहीं था। मैं भविष्य में आईपीएस अफसर बन देश की सेवा करना चाहती हूं। -वंदना चौधरी, गुजरात

प्रधानसेवक जी से मिलकर लौटूंगी
बचपन से ही सामाजिक कार्यक्रमों में रुझान रहा है। आगे भी यही करना चाहूंगी। राज्य आपदा प्रबंधन शिविर में सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक होने का दर्जा प्राप्त होने के बाद तो मन बना चुकी हूं कि, परेड में भाग लेकर प्रधानसेवक जी से मिलकर लौटूंगी।   -शिवानी गोखले, महाराष्ट्र

चयन करना मुश्किल काम
यहां उपस्थित सभी विद्यार्थी प्रतिभाशाली हैं। इनमें से कुछ को चुनना काफी मुश्किल कार्य है। विद्यार्थियों का चयन परेड, सांस्कृतिक कुशलता, साक्षात्कार, फिटनेस के आधार पर केंद्रीय चयन समिति द्वारा किया गया। निश्चित ही पश्चिम से अच्छी प्रतिभाओं को बढ़ावा मिलेगा।    -डी. कार्थिगुएन, क्षेत्रीय निर्देशक

Created On :   5 Dec 2018 8:32 AM GMT

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