PHD में होंगे कई तरह के बदलाव, यूनिवर्सिटी कर रहा विचार

Nagpur University is planning to do small changes in the PHD
PHD में होंगे कई तरह के बदलाव, यूनिवर्सिटी कर रहा विचार
PHD में होंगे कई तरह के बदलाव, यूनिवर्सिटी कर रहा विचार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अपने यहां होने वाली पीएचडी के मापदंडों में आंशिक बदलाव करने पर विचार कर रहा है। इसमें मुख्य  मुद्दा पीएचडी प्रवेश परीक्षा (पेट) से जुड़ी नेगेटिव मार्किंग का है। बता दें कि बीते दिसंबर में  यूनिवर्सिटी की पेट एग्जाम हुई थी। अब आगामी जून में एम.फिल के अभ्यर्थियों के लिए पेट-1 परीक्षा ली जाएगी। इसके पूर्व यह बदलाव देखने को मिल सकते हैं। बता दें कि कुछ समय पूर्व ही यूजीसी ने नागपुर यूनिवर्सिटी को पत्र जारी किया है। जिसके मुताबिक यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले शोधार्थी को यूनिवर्सिटी से प्रमाणपत्र लेना होगा कि उसने यूजीसी के मापदंडों के अनुसार ही पीएचडी पूरी की है। वहीं एक अन्य बदलाव के अनुसार एक बार यूनिवर्सिटी में थीसिस जमा करते ही शोधार्थियों को एक और प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।

पीएचडी करने वालों को मिलेगी राहत
दरअसल, पीएचडी की लंबी प्रक्रिया में एक बार थीसिस जमा करने के बाद महीनों तक शोधार्थियों को डिग्री के लिए इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब इस इंतजार से उन्हें राहत मिलेगी। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने विचार करते हुए शोधार्थी के थीसिस जमा करते ही उन्हें एक प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला लिया है, जिसमें उनके थीसिस सब्मिशन को प्रमाणित किया जाएगा। शोधार्थी इस शपथपत्र को कहीं भी प्रस्तुत करके निर्धारित लाभ प्राप्त कर सकेंगे। ठीक ऐसा ही प्रमाणपत्र उनका वायवा होने के बाद भी मिलेगा। नागपुर यूनिवर्सिटी  में को हुई बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन की बैठक में इस निर्णय को मंजूरी दी गई है। नागपुर विवि से पीएचडी के लिए हर साल सैकड़ों अभ्यार्थी आवेदन करते हैं। पीएचडी प्रवेश परीक्षा और अन्य प्रक्रिया पूरी करने के बाद वे रजिस्ट्रेशन करके शोध शुरू करते हैं। रिसर्च की अवधि पूरी होने पर थीसिस जमा की जाती है। वायवा और अन्य प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें पीएचडी नोटिफाई होती है, लेकिन इस कवायद में कई वर्षों का समय लग जाता है।

Created On :   18 April 2019 7:46 AM GMT

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