शिवराज सरकार के इन दो संत मंत्रियों ने राज्यमंत्री का दर्जा लेने से किया इंकार

शिवराज सरकार के इन दो संत मंत्रियों ने राज्यमंत्री का दर्जा लेने से किया इंकार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का एलान किया था। जिसके बाद इंदौर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। पत्रकार राम बहादुर शर्मा नाम ने याचिका दायर करते हुए सरकार के इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। जिसके बाद अब खबर है कि खुद भय्यूजी महाराज और नर्मदानंद महाराज ने ये पद लेने से इंकार कर दिया है। 

 

भोपाल में एक कार्यक्रम में किया इनकार

राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के बाद नर्मदानंद महाराज पहली बार भोपाल पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक कार्यक्रम में ये बात कही। उन्होंने कहा कि "मैने कभी इस पद को स्वीकार नहीं किया और ना कर पाऊंगा, इसलिए अभी ये पद त्यागता हूं। नर्मदानंद जी महाराज शिवराज सरकार द्वारा राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले नर्मदानंद बाबा मध्य प्रदेश के नामी संतों में से एक हैं। हनुमान जयंती और राम नवमी के अवसर पर वह हर बार यात्रा निकालते हैं। उन्होंने पिछले साल कई सारी शोभा यात्राओं का आयोजन किया था।  

 

भय्यूजी बोले, पद का उपभोग नहीं किया

वहीं आध्यात्मिक संत भय्यूजी महाराज ने भी इस पद को स्वीकार करने से मना कर दिया। भय्यू महाराज ने कहा कि नर्मदा की सेवा समाज की सेवा है। उन्हें सरकार द्वारा राज्यमंत्री का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन जब से उन्हें यह पद दिया गया है, उन्होंने ना तो इस पद का उपयोग किया है और ना ही उपभोग। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मुझे इस पद के दिए जाने के पीछे मंशा शायद मेरे समाजसेवा के कार्यों को सम्मान देने की रही होगी।" भय्यू महाराज के निजी सहायक संजय यादव ने भी स्पष्ट किया कि भय्यू महाराज ने राज्यमंत्री का पद स्वीकारने से इन्‍कार कर दिया है।  

 

ऐसे ही भय्यू जी महाराज की शख्सियत

भय्यू महाराज जमींदार भी हैं, उनका वास्तविक नाम उदय सिंह देशमुख है। भय्यू महाराज अपनी शान ओ शौकत के कारण अधिक जाने जाते हैं। भय्यू महाराज पिछले साल तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने इंदौर की डॉ. आयुषी से शादी की थी। उनकी पहली पत्नी माधवी का 2015 में निधन हो गया था। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का भी सद्भावना उपवास भय्यू महाराज ने ही तुड़वाया था। भय्यू महाराज को 2011 में लोकपाल आंदोलन के समय अन्ना का अनशन तुड़वाने के लिए केंद्र सरकार ने दूत बनाकर भेजा था।  

 

शिवराज सरकार ने किया था ऐलान

गौरतलब है कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का एलान किया था। इन पांच संतों में नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज एवं पंडित योगेंद्र महंत का नाम शामिल था। शिवराज सरकार ने 31 मार्च को आदेश जारी कर कहा था कि नर्मदा किनारे विक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूक्ता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति बनाई गई है और इस समिति के पांच सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा रहा है। हालांकि इन संतों में वे संत भी शामिल हैं जिन्होंने शिवराज सरकार के खिलाफ काफी समय से मोर्चा खोल रखा था, और सभी सरकार के खिलाफ नर्मदा आन्दोलन छेड़ने वाले थे।

 

कांग्रेस ने बताया स्वांग


वहीं सरकार के इस कदम को राजनीतिक चाल बताते हुए कांग्रेस ने कहा था कि यह चुनावी साल है और साधुओं का राज्यमंत्री का दर्जा देकर बीजेपी सरकार साधुओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने शिवराज सरकार के इस फैसले को स्वांग करार देते हुए कहा था कि संतों को राज्यमंत्री बनाकर बीजेपी अपने पापों को धोने की कोशिश कर रही है। 

Created On :   18 April 2018 6:42 AM GMT

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