नवरात्र का सातवां दिन : ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्र के सातवे दिन मां दुर्गा के सातवे स्वरूप कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक लगता है पर भक्तों को मां हमेशा शुभ फल देती हैं। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है। मां दुर्गा ने असुर रक्त-बीज का वध करने के लिए अपनी ऊर्जा से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था। इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत, प्रेत, राक्षस, दानव और सभी असुरी शक्तियां भाग जाती हैं। माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने वाले साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है।
मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत ही भयावह है। पर ये शुभ फल देने वाली देवी हैं। इसी वजह से इन्हें शुभंकारी भी कहा जाता है। इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं। माँ का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है। मकर और कुंभ राशि के जातकों को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए।
मां कालरात्रि का रूप
देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में नर-मुण्ड की माला है। इनके चार हाथ हैं जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में खड्ग धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है। इनके तीन नेत्र हैं और मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है।
कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा
- मां कालरात्रि की पूजा का समय सुबह 4 बजे से 6 बजे के मध्य का है।
- मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
- सात या सौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं इससे आपकी परेशानियों का निदान होगा।
- सप्तमी की रात्रि को तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योत जलाएं।
- सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए।
- यदि संभव हो तो इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
Created On :   23 March 2018 11:44 AM GMT