नवोदय अर्बन बैंक घोटाला : सीईओ समीर चट्टे गिरफ्तार, 22 तक पुलिस रिमांड में

Navodaya bank scam sameer chatte arrested
नवोदय अर्बन बैंक घोटाला : सीईओ समीर चट्टे गिरफ्तार, 22 तक पुलिस रिमांड में
नवोदय अर्बन बैंक घोटाला : सीईओ समीर चट्टे गिरफ्तार, 22 तक पुलिस रिमांड में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। करोड़ों रुपए के नवोदय अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला प्रकरण के मुख्य आरोपियों में से बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने धरदबोचा। आरोपी का नाम समीर भास्करराव चट्टे (48) है। आरोपी समीर चट्टे को न्यायालय में पेश करने पर न्यायालय ने उसे 22 अक्टूबर तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है। समीर चट्टे पर आरोप है कि, उसने बैंक में कार्यरत रहने के दौरान खुद प्लॉट खरीदने के लिए 7 लाख 50 हजार रुपए का कर्ज मंजूर कर लिया था। शुरूआत में बैंक से लिया  कर्ज लौटाया, लेकिन बाद में करीब 5 लाख 55 हजार 195 रुपए नहीं लौटाए। इस धोखाधड़ी प्रकरण में अन्य फरार आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने का दावा पुलिस ने किया है। प्रकरण में बैंक के अध्यक्ष अशोक धवड़ सहित अन्य कई आरोपियों पर भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। इन आरोपियों की भी पुलिस जल्द गिरफ्तारी करने वाली है। बैंक में अक्टूबर-2015 से 31 मार्च-2017 के दरमियान कर्ज देने के नाम पर धोखाधड़ी की गई थी। प्रशासक नियुक्त किए जाने के बाद इस बैंक में किस आरोपी ने कैसे धोखाधड़ी की, यह परत-दर-परत खुलता जा रहा है। इस प्रकरण में चट्टे के पहले कई आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। 

पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपी चट्टे नवोदय बैंक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में वर्ष 2007 से 2012 के दौरान पदस्थ था। इस दौरान आरोपी सचिन  मित्तल व बालकिशन गांधी के  ग्लैडस्टोन समूह, हिंगल समूह, झाम समूह, जोशी समूह व अन्य कर्जदारों की कर्ज वापस करने की क्षमता की जांच न करते हुए बैंक अध्यक्ष अशोक धवड़, संचालक मंडल के अन्य पदाधिकारियों ने बैंक की एक्सपोजर लिमिट से कई गुना अधिक कर्ज मंजूर किया। खुद के नाम पर चट्टे ने 7.50 लाख रुपए सीईओ पद पर रहते हुए 30 नवंबर 2009 को प्लॉट खरीदने के लिए कर्ज मंजूर करा लिया। 16 मई 2012 को नौकरी छोड़ने के बाद कर्ज लौटाने की प्रक्रिया चट्टे ने बंद कर दी। 30 जून 2017 के अंत में चट्टे पर मुद्दल रकम 1 लाख 85 हजार 800 रुपए और ब्याज 3 लाख 69 हजार 395 रुपए मिलाकर करीब 5,55,195 रुपए बाकी थे। यह जानकारी भी लेखा परीक्षण में उजागर हुई। मामले की जांच पुलिस  आयुक्त डा. भूषणकुमार उपाध्याय,  सह-पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम, अति. पुलिस आयुक्त नीलेश भरणे के मार्गदर्शन में की जा रही है। आर्थिक अपराध शाखा की उपायुक्त श्वेता खेड़कर के नेतृत्व में आर्थिक सेल के पुलिस निरीक्षक प्रशांत माने मामले की जांच कर रहे हैं। 

15 से अधिक आरोपी पुलिस की राडार पर
सूत्रों ने बताया कि, धंतोली स्थित नवोदय अर्बन को ऑपरेटिव बैंक घोटाला प्रकरण में 15 से अधिक आरोपी पुलिस के राडार पर हैं। इससे पहले पुलिस ने आरोपी व बिल्डर हेमंत सिकंदर झाम व यौवन जीवनदास गंभीर को भी गिरफ्तार कर चुकी है। इन दोनों आरोपियों के पहले भी इस प्रकरण मंे 5 से अधिक आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 

झाम ने बैंक से करीब 2 करोड़ 70 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है।  इस रकम को हासिल करने के लिए उसने एक बैंक में खाता खोलकर उसका भुगतान कर लिया था। इस प्रकरण में पुलिस अब तक 150 से अधिक फाइल्स जब्त कर चुकी है। कांग्रेस के पूर्व नेता अशोक धवड़ के बैंक अध्यक्ष रहने के दौरान 2010 से 2015 के दरमियान बैंक के तत्कालीन संचालक मंडल, पदाधिकारियों ने बैंक के कुछ चिर परिचित कर्जदारों को नियमों की अनदेखी करते हुए 38 करोड़ 75 लाख 20 हजार 641 रुपए का घोटाला किया। इस प्रकरण में पुलिस सभी आरोपियों को  लुक आऊट नोटिस जारी कर चुकी है। इस प्रकरण में आरोपी प्रसाद पिंपले, राजेश बांते व राजेश बोगुल को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। 

धवड़ को तीन सप्ताह में समर्पण करने का आदेश
नवोदय को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 38 करोड़ रुपए के घोटाले में घिरे पूर्व विधायक अशोक धवड़ को देश की सर्वोच्च अदालत से भी झटका लगा है। नागपुर सत्र न्यायालय और हाईकोर्ट की ही तरह सर्वोच्च अदालत ने भी धवड़ को अग्रिम जमानत देने से साफ इनकार करते हुए धवड़ की विशेष अनुमति याचिका रद्द कर दी है। सर्वोच्च अदालत ने धवड़ को तीन सप्ताह के भीतर पुलिस के सामने समर्पण करने का आदेश दिया है। हां, इसके बाद वे चाहे तो जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार वर्ष 2010 से 2015 के बीच बैंक के तत्कालीन संचालक मंडल और पदाधिकारियों ने बैंक के चुनिंदा लोगों को कर्ज बांटा। कर्जदारों पर बैंक की रकम बकाया होने के बावजूद एनओसी जारी करके उनकी गिरवी रखी संपत्ति आैर कागजात लौटा दिए। संचालकों और पदाधिकारियों ने बैंक से रकम उठाई। रिजर्व बैंक की पाबंदी के बाद भी बैंक का व्यवहार जारी रखा। इस तरह आरोपियों ने कुल 38 करोड़ 75 लाख 20 हजार 641 रुपए की हेरा-फेरी की। सहकारी संस्था के जिला विशेष लेखा परीक्षक (भंडारा) श्रीकांत श्रीधर सुपे की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ धंतोली पुलिस मंे मामला दर्ज किया गया। इस घोटाले में करीब 40 लोग शामिल हैं। अब देश की सर्वोच्च अदालत ने धवड़ को समर्पण के आदेश दिया है। 

Created On :   19 Oct 2019 11:22 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story