नवरात्रि के सातवें दिन होगी मां कालरात्री की पूजा 

Navratri 2018: Worship of Maa Kalratri on Seventh Day of Navratri
नवरात्रि के सातवें दिन होगी मां कालरात्री की पूजा 
नवरात्रि के सातवें दिन होगी मां कालरात्री की पूजा 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। 16 अक्टूबर 2018 का दिन माता कालरात्रि का रहेगा। माता कालरात्रि नवदुर्गाओं में सप्तम हैं। माता दुर्गा की सप्तम शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान दिया गया है। इस दिन साधक का मन "सहस्रार" चक्र में स्थित रहता है। इस दिन साधक के लिये ब्रह्मांड की समस्त अखण्ड सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं।

दुर्गा के रूप वाली माता कालारात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृतित्यू रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और मां दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालारात्री के अन्य प्रसिद्ध नामों में हैं। यह ध्यान रहे कि काली और कालरात्रि ये दो नाम माता के नाम एक दूसरे के पूरक ही हैं, वैसे कुछ लोग इन दो नाम को दो देवियों को अलग-अलग शक्तियों के रूप में मानते हैं।

माना जाता है कि देवी माता दुर्गा के इस रूप से सभी राक्षस, भूत, प्रेत,  पिशाच और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, जो माता के स्मरण करते ही चले जाते हैं। शिल्प प्रकाश में दिया गया एक प्राचीन तांत्रिक पाठ में देवी कालरात्रि का वर्णन रात्रि के नियंत्रा रूप में किया गया है। इस दिन सहस्रार्ध चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णरूप से माता कालरात्रि के स्वरूप में स्थित रहता है।

माता के दर्शन मात्र से मिलने वाले पुण्य फल जैसे- सिद्धि, निधि विशेष रूप से ज्ञान, शक्ति और धन प्राप्त हो जाता है। साधक के समस्त पाप, कष्ट और विघ्न का नाश हो जाता है और अक्षय प्राप्त कर पुण्य-लोकों की प्राप्ति करता है।

देवी कालरात्रि श्लोक:- 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता !
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी !!
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा !
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि !!


श्लोक का अर्थ 

माता की देह का रंग अत्यंत घने अंधकार की तरह बिल्कुल काला है। माथे के बाल बिखरे हुए हैं। कंठ में बिजली के जैसी चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। और ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड की तरह गोल हैं। इनकी देह से बिजली की तरह चमकीली किरणें निकलती रहती हैं।

माता की नासिका के श्वास लेने और छोड़ने से अग्नि की भयंकर ज्वाला निकलती रहती हैं। माता का वाहन गर्दभ (गधा) है। ये अपने ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से भक्तों को वर प्रदान करती हैं। दाहिने भाग का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं भाग के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।

माता कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन माता सदा शुभ फल ही देने वाली होती हैं। जिस कारण से माता का एक नाम "शुभंकारी" भी है। भक्तों को किसी प्रकार भयभीत या आतंकित नहीं करती है। माता कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही डर कर भाग जाते हैं। माता ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली होती हैं। माता के उपासकों को अग्नि, जल, जंतु, शत्रु, रात्रि आदि से भय नहीं होता है। माता की कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।

माता कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में स्थापित कर भक्त को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, और संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए। माता शुभंकारी देवी हैं। माता की उपासना से होने वाले शुभ कर्मों की गणना नहीं की जा सकती। भक्तों को निरंतर उनका स्मरण, ध्यान और पूजा करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती में दिया गया है कि नवरात्रि के समय में सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि की साधना-आराधना करना चाहिए। इनकी साधना पूजा-अर्चना करने से माता के भक्त को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं का नाश होता है, भक्त का तेज प्रताप बढ़ता है। सर्वसाधारण मानव जाती के लिए आराधना योग्य यह एक श्लोक मन्त्र सरल और स्पष्ट रूप से दिया गया है। माता दुर्गा की भक्ति पाने के लिए इस श्लोक मन्त्र को कंठस्थ कर नवरात्रि के सातवें दिन इसका जाप करना चाहिए।

माता कालरात्रि का श्लोक 

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।


श्लोक मंत्र का अर्थ :- 

हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे मेरे पाप से मुक्ति प्रदान कर अपना आशीष दो।

मन्त्र:- 

ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः! 

Created On :   15 Oct 2018 10:18 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story