TATA Sons के खिलाफ साइरस मिस्त्री की पिटीशन खारिज, NCLT ने कहा- सही था कंपनी का फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को झटका देते हुए उनकी पिटीशन को खारिज कर दिया है। मिस्त्री को 2016 में कंपनी के चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था। इसी संबंध में मिस्त्री ने NCLT में एक पिटीशन देते हुए टाटा ग्रुप के डिसीजन को चैलेंज किया था।
साइरस को बर्खास्त करने का फैसला जायज
बी एस वी प्रकाश कुमार और वी नल्लासेनापति की अध्यक्षता में NCLT के मुबंई बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि माइनोरिटी शेयरहोल्डर के द्वारा कंपनी एक्ट 2014 के सेक्शन 241 और सेक्शन 242 के तहत दायर की गई पिटीशन में कोई दम नहीं था। टाटा समूह द्वारा साइरस को बर्खास्त करने का फैसला जायज था। टाटा संस ने यह फैसला कंपनी की भलाई के लिए लिया है और हमारी बेंच भी टाटा समूह के फैसले पर कायम रहते हुए मिस्त्री की पिटीशन को खारिज करती हैं। दरअसल मिस्त्री बाकी शेयरहोल्डर्स का भरोसा खो बैठे थे।
2016 में मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया था
बता दें कि साइरस मिस्त्री को 2011 में टाटा समूह का हेड घोषित किया गया था। इसके बाद दिसंबर 2012 में टाटा के पूर्व चेयरमैन और संस्थापक रतन टाटा के रिटायर होने के बाद मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बना दिया गया था। लगभग चार साल तक चेयरमैन का कार्यभार संभालने के बाद टाटा समूह ने अक्टूबर 2016 में मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटा दिया था। साथ-साथ टाटा ग्रुप की 6 कंपनियों से भी उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। टाटा समूह के इसी फैसले को चैलेंज करते हुए मिस्त्री ने NCLT में इसके विरोध में पिटीशन दायर की थी और टाटा ग्रुप पर उत्पीड़न और मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाया था।
NCLT के फैसले से हैरान नहीं
NCLT के फैसले पर मिस्त्री की कंपनी की तरफ से आए एक बयान में कहा गया है कि वह इस फैसले से हैरान नहीं हैं। हालांकि यह फैसला निराश करने वाला है पर वह गुड गवर्नेंस और शेयरहोल्डर्स के क्रूर फैसलों के खिलाफ लड़ते रहेंगे। बता दें कि टाटा समूह में टाटा ट्रस्ट की 68 प्रतिशत की हिस्सेदारी है वहीं मिस्त्री परिवार का टाटा संस में 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
Created On :   9 July 2018 2:00 PM GMT