NGO के माध्यम से होगी टीबी के मरीजों की निगरानी

Ngo will be monitoring tuberculosis patients nagpur
NGO के माध्यम से होगी टीबी के मरीजों की निगरानी
NGO के माध्यम से होगी टीबी के मरीजों की निगरानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। टीबी  की बीमारी को लेकर समाज में कई गलतफहमियां है इसे दूर  करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक एनजीओ नियुक्त किया है। एनजीओ के फिल्ड ऑफिसर सरकारी और निजी अस्पतालों में रोग निदान किए गए टीबी के मरीजाें की नियमित निगरानी रखेंगे। एनजीओ की निगरानी में टीबी के मरीजों का उपचार कराने का राज्य में पहला प्रयोग नागपुर में किया जा रहा है। इसमें सफलता मिलने पर इसे राज्य भर में लागू किया जा सकता है।

मरीज के घर जा कर लेते हैं जानकारी
टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इस सच्चाई के बावजूद नियमित उपचार से बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपचार की सुविधा है। रोग निदान होने के बाद औषधोपचार किया जाता है। मरीज नियमित औषधि ले रहा है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी समय-समय पर मरीज के घर जाकर फॉलोअप लेते हैं। इससे अन्य लोगों को बीमारी का पता चल जाता है। टीबी के मरीजों से भेदभाव की मनोवृत्ति समाज में है। इस समस्या से मरीजों को छुटकारा दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने दिशा फाउंडेशन नामक एनजीओ की नियुक्ति की है। इस एनजीओ के फिल्ड ऑफिसर टीबी के मरीजों का नियमित फॉलोअप लेंगे। उनके नियमित औषधोपचार तथा स्वास्थ्य समस्याओं का ध्यान रखेंगे।

इसलिए उठाए गए कदम
टीबी के प्रति समाज में गलतफहमी के चलते लोग बीमारी को छिपाना चाहते हैं। सरकारी अस्पताल में उपचार कराने पर लोगों को पता चल जाता है। इसलिए अनेक लोग निजी अस्पतालों में रोग निदान और उपचार कराते हैं। निजी अस्पताल में जाने वाले मरीज दवा लेने के बाद थोड़ा स्वस्थ हो जाने पर नियमित औषधोपचार नहीं लेते। महंगी दवाइयां भी इसका एक कारण हैं। वहीं मरीजों का नियमित फॉलोअप भी नहीं लिया जाता। नतीजा सामान्य स्टेज में दवाइयां नहीं मिलने से बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। एनजीओ के फिल्ड ऑफिसर फॉलोअप के लिए मरीज के घर जाने पर भी अन्य लोगों को बीमारी का पता नहीं चलेगा। मरीज के साथ भेदभाव भी नहीं होगा। 

दो घंटे में होता है रोग निदान
15 दिन से अधिक चलने वाली खांसी और लगातार वजन कम होना टीबी का प्राथमिक लक्षण है। स्पुटम माइक्रोस्कोपी और अत्याधुनिक सीबीनॉट पद्धति से रोग निदान किया जाता है। नागपुर में शासकीय मेडिकल अस्पताल, मेयो और मनपा द्वारा संचालित इंदिरा गांधी अस्पताल में सीबीनॉट पद्धति से रोग निदान किया जाता है। दाे घंटे में रोग निदान की रिपोर्ट मरीज को दी जाती है। इसी जांच के लिए पहले 3 से 5 दिन इंतजार करना पड़ता था। रोग निदान में टीबी के संक्रमण की पुष्टि होने पर मरीजों को नि:शुल्क औषधि दी जाती है।

200 निजी अस्पतालों में सुविधा
टीबी रोग नियंत्रण विभाग में शहर में लगभग 200 रजिस्टर्ड अस्पताल है। इनमें से कुछ अस्पतालों में स्पुटम माइक्रोस्कोपी रोग निदान की सुविधा है। जिन अस्पतालों में रोग निदान सुविधा नहीं है, उन अस्पतालों से संदिग्ध मरीजों को मेडिकल, मेयो या इंदिरा गांधी अस्पताल में भेजा जाता है। रोग निदान के बाद टीबी के संक्रामक मरीजों का संबंधित अस्पताल निश्चय एप में रजिस्ट्रेशन करते हैं। उन्हें संबंधित अस्पताल से नि:शुल्क दवाइयां दी जाती है। यदि अस्पताल में दवा नहीं रहने पर किसी मेडिकल स्टोर के नाम पर्ची दी जाती है, तो उस मेडिकल स्टोर पर मरीज पर्ची दिखाकर नि:शुल्क दवाइयां प्राप्त कर सकते हैं। 

राज्य में पहला प्रयोग नागपुर में
एनजीओ की निगरानी में टीबी के मरीजों का उपचार कराने का राज्य में पहला प्रयोग नागपुर में किया जा रहा है। मरीज के साथ समाज में भेदभाव की प्रवृत्ति के चलते अनेक मरीज खुलकर उपचार नहीं कराते। निजी अस्पताल में आधा-अधूरा उपचार लेकर बीच में छोड़ देते हैं। ऐसे मरीजों में बीमारी गंभीर रूप धारण करती है। उन्हें नियमित उपचार के लfए प्रोत्साहित करने व उनके स्वास्थ्य की देखभाल अब एनजीओ के फिल्ड ऑफिसर करेंगे। नागपुर में इस प्रयोग को अपेक्षित प्रतिसाद मिलने पर राज्यभर में लागू किया जा सकता है।
- डॉ. के. वी. तुमाने, उपसंचालक, मनपा टीबी रोग नियंत्रण विभाग 
 

Created On :   30 March 2019 10:08 AM GMT

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