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ताड़ोबा में बिना अनुमति शुरू कर दी गई नाइट सफारी
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। ताडोबा-अंधारी टाइगर प्रोजेक्ट अंतर्गत पर्यटन के बारे में गठित "स्थानीय सलाहकार समितिÓ(एलएसी) की बैठक लिए बिना ही नाइट सफारी शुरू करने के निर्णय का अब वन्यजीवप्रेमी खुल कर विरोध करने लगे हैं। बीते 3 साल में एलएसी की एक भी बैठक नहीं हुई। इस कमेटी के अध्यक्ष विभागीय आयुक्त होते हैं। पर्यटन संबंधी नये निर्णयों पर इस कमेटी की राय लेना अनिवार्य है। लेकिन 1 फरवरी से प्रारंभ नाइट सफारी के लिए ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। उधर सन 2012 से गठित इस समिति में पर्यटन को लेकर गंभीरता नजर नहीं आने की बात भी कही जा रही है।
ताड़ोबा प्रबंधन को सौंपा ज्ञापन
बहरहाल इस नाइट सफारी का पुनर्विचार करने की मांग ताड़ोबा प्रबंधन से की गयी है। जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष चरम पर होने की स्थिति में नाइट सफारी शुरू करना जिले के किसी भी वनक्षेत्र के लिए खतरनाक होने की बात कहते हुए प्रसिद्ध वन्यजीव संस्था इको-प्रो ने नाईट सफारी का विरोध किया है। ताड़ोबा के वनसंरक्षक व उपसंचालक को ज्ञापन भी दिया है। इको-प्रो के अध्यक्ष तथा मानद वन्यजीव रक्षक बंडु धोतरे ने यह जानकारी ताड़ोबा-अंधारी बाघ प्रकल्प के क्षेत्र संचालक तथा मुख्य वनसंरक्षक एन. आर. प्रवीण को दी है। नाइट सफारी पर पुनर्विचार करने की मांग की गयी है। बता दें कि नाइट सफारी के पहले ही दिन पुणे-मुंबई क्षेत्र के 10 से अधिक पर्यटक लाभार्थी बने थे। इसमें से सदानंद नामक पर्यटक का स्वागत आरएफओ मून ने खुद फूल देकर किया था।
ताड़ोबा में शुल्कवृद्धि से नाराजगी
ताड़ोबा में शुल्कवृद्धि से पर्यटक नाराज हैं। ताड़ोबा में 5 जांच नाके शुरू हैं। यहां से प्रवेश शुल्क में वृद्धि की गयी है। दुपहिया 10 से बढ़ा कर 25 रुपए, कार-जीप 100 तथा बस के लिए 150 रुपए की वृद्धि होने से पर्यटकों में नाराजगी है। जांच नाकों पर भी शुल्कवृद्धि से पर्यटक नाराज होने की बात कही जा रही है।
नाइट सफारी नहीं, पेट्रोलिंग
नाइट सफारी शुरू नहीं की है। यह पेट्रोलिंग है। जो टार रोड से नियमित रूप से होती है। इसमें हम असामाजिक तत्वों पर नजर रखने का काम करते हैं। यह बात सही है कि एलएसी की बैठक गत 3 वर्ष से नहीं हुई है। हम सभी से समन्वय कर इसे शीघ्र ही ले रहे हैं। डामरी सड़क से 30 कि.मी. घूमने को पर्यटन नहीं माना जा सकता। -एन.आर. प्रवीण, फील्ड डायरेक्टर, ताड़ोबा प्रोजेक्ट
नाइट सफारी नियमों के विपरीत
नाइट सफारी यह संपूर्ण मामला ही रात के समय में वन्यजीवों की दृष्टि से उनके प्राकृतिक अधिवास में बाधा निर्माण करनेवाला है। वनव्याप्त व वन समीप के गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष भी तीव्र है। ऐसे में 1 फरवरी से 2019 को प्रारंभ नाईट सफारी नियमों के उलटा है। इको-प्रो के सभी सदस्य नाइट सफारी के विरोध में है।
-बंडू धोतरे, अध्यक्ष, इको-प्रो, चंद्रपुर
Created On :   5 Feb 2019 8:35 AM GMT