नागपुर मनपा का बड़ा टारगेट, करनी है 75 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी

NMC has to do sterilization of 75000 street dogs of City
नागपुर मनपा का बड़ा टारगेट, करनी है 75 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी
नागपुर मनपा का बड़ा टारगेट, करनी है 75 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर में घूमते आवारा कुत्तों से निपटना मनपा के लिए चुनौती बन गया है। शहर में 75 हजार आवारा श्वानों की नसबंदी करनी है, लेकिन पिछले दो महीने में केवल 850 आवारा श्वानों की ही नसबंदी हो सकी है। नसबंदी योजना को सफल बनाने के लिए मनपा ने निजी पशु चिकित्सकों व एनजीआे (स्वयंसेवी संगठन) से कई बार बैठकें की, लेकिन इस योजना में पशु चिकित्सकों व एनजीआे ने दिलचस्पी नहीं ली। केवल दो सेंटरों के भरोसे नसबंदी का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

आवारा श्वानों के आतंक को कम करने व श्वानों की संख्या पर नियंत्रण करने के लिए मनपा पिछले 8 महीने से नसबंदी कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने पर जोर दे रही है। मनपा ने इसके लिए कई बार निजी पशु चिकित्सकों व एनजीआे के प्रतिनिधियों से बैठक कर नसबंदी करने के लिए आगे आने को कहा। मनपा ने एक नसंबदी के लिए 700 रुपए मेहनताना देने का तय किया है। पशु चिकित्सकों व एनजीआे से उचित सहयोग नहीं मिला।

मनपा ने इसके लिए टेंडर जारी किए थे। केवल एक संस्था ने नसबंदी का काम शुरू किया था। नागपुर की संस्था पर नसबंदी के बाद श्वानों के मरने का आरोप लगा। श्वान प्रेमी व एनजीआे के विरोध के बाद मनपा ने इस संस्था का काम बंद कर दिया। यह संस्था दो महीने में 300 श्वानों की नसबंदी कर चुकी थी। मनपा का पशुचिकित्सा विभाग भांडेवाडी में नसबंदी कार्यक्रम चला रहा है। मनपा खुद 550 श्वानों की नसबंदी कर चुका है। 75 हजार में से दो महीने में केवल 850 श्वानों की ही नसबंदी हो सकी है। यह टारगेट कब पूरा होगा, यह बताने में मनपा भी सक्षम नहीं है।

इसी महीने दिया जाएगा आैर एक संस्था को काम
नसबंदी की रफ्तार बढ़ाने में लगी मनपा इसी महीने एक आैर संस्था को काम देने जा रही है। सातारा की इस संस्था की रिपोर्ट संतोषजनक पाई गई। जिसके बाद मनपा ने इस संस्था को काम देने का निर्णय लिया है। मनपा इस संस्था को सोनेगांव में जगह व सेंटर देगी। नसबंदी करनेवाली टीम इस संस्था की रहेगी। एक नसबंदी पर 700 रुपए दिए जाएंगे। श्वान को सेंटर में 3 दिन भर्ती रखना होगा। श्वान पकड़कर लाने व नसबंदी के बाद उसी जगह छोड़ने का काम संस्था को खुद करना होगा। शहर की एक भी संस्था आगे नहीं आई।

शहर में हैं 27 पशु चिकित्सक
मनपा की इस योजना को पलीता लगाने में पशु चिकित्सक भी पीछे नहीं रहे। शहर में 27 निजी पशु चिकित्सक है,जिनके खुद के क्लिनिक व अस्पताल है। एक भी पशु चिकित्सक नसबंदी के लिए आगे नहीं आया। मनपा जो मेहनताना देती है, पशु चिकित्सक उसे नाकाफी मानने की चर्चा है।

पशु चिकित्सालय ने किया किनारा
महाराजबाग स्थित राज्य सरकार के पशु चिकित्सालय ने आवारा श्वानों की नसबंदी करने का काम शुरू किया था। आरोप लगे नसबंदी के बाद कुछ श्वानों ने दम तोड़ा। इसके बाद पशु चिकित्सालय ने आवारा श्वानों की नसबंदी करने से मना कर दिया। यहां केवल घरेलु श्वानों की नसबंदी की जाती है। शहर में 18 हजार घरेलु श्वान है।

एनजीआे से सहयोग कम, उल्टे आरोप लगे
पशु चिकित्सक गजेंद्र महल्ले के मुताबिक आवारा श्वानों के आतंक को कम करने व श्वानों की संख्या पर नियंत्रण करने के िलए मनपा कई कदम उठा रही है, लेकिन एनजीआे व निजी पशु चिकित्सकों से जरूरी सहयोग नहीं मिला। एनजीआे से सहयोग तो नहीं मिला, उल्टे जो संस्था काम कर रही थी, उस पर ही श्वान मरने के आरोप लगाए गए। नसबंदी के बाद टाके खुलने व पकने का डर रहता है। कई बार श्वान को इंफेक्शन हो जाता है।

आरोपों से संस्था हतोत्साहित हो जाती है। इसीतरह के आरोप पशु चिकित्सालय पर भी लगे थे। संस्थाएं काम करने से कतरा रही है। एक संस्था आ रही है, शीघ्र ही काम शुरू हो जाएगा। मनपा खुद भी श्वानों की नसबंदी करा रही है। नसबंदी के लिए जबरन पशु चिकित्सकों को राजी नहीं किया जा सकता। नसबंदी कार्यक्रम किसी चुनौती से कम नहीं हैै। बारीश के दिनों में नसबंदी की रफ्तार कम होती है।

Created On :   2 Sep 2018 2:14 PM GMT

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