10 लाख पौधों में से कितने हैं जीवित, किसी विभाग के पास जानकारी नहीं

No dept has information about remaining number of plants left
10 लाख पौधों में से कितने हैं जीवित, किसी विभाग के पास जानकारी नहीं
10 लाख पौधों में से कितने हैं जीवित, किसी विभाग के पास जानकारी नहीं

डिजिटल डेस्क, अनूपपुर। 2 जुलाई 2017 को नर्मदा सेवा यात्रा के समापन के पश्चात नर्मदा नदी के तट पर वृहद पौध रोपण अभियान की शुरूआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में की गई थी। जिसमें अनूपपुर जिले में नर्मदा नदी के किनारे आने वाली 27 ग्राम पंचायतों के 35 ग्रामों में 10 लाख 50 हजार पौधे रोपे गए थे। ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 4 लाख 6 हजार वहीं वन महकमे द्वारा 6 लाख 18 हजार के साथ ही समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों  व पुलिस महकमे द्वारा भी 26 हजार पौधे रोपित किए गए थे। ग्रामीण विकास विभाग के साथ ही उद्यानिकी विभाग भी शामिल था। 12 महीने बीत जाने के बाद पौधों की कितनी संख्या शेष बची है, इसकी जानकारी किसी भी विभाग के पास नहीं है। मनरेगा व वन विभाग द्वारा पौधों की रक्षा के लिए बकायदा पौध रक्षकों की नियुक्ति भी की गई थी जिन्हें मजदूरी नहीं मिली। बीते 25 मई को एक सैकड़ा पौध रक्षक मजदूरी की मांग को लेकर वन विभाग का घेराव भी कर चुके हैं।

हरियाली को खर्च हुए करोड़ों
नर्मदा तट पर स्थित ग्राम खजुरवार, बसंतपुर, करौदा टोला, बिजापुरी नं.1, रौसरखार, मोहदी, खांटी, थाड़पाथर, सलैया, बैहाटोला, बरसोत, देवरी, दमेहड़ी समेत 35 ग्रामों में  पौध रोपण करने के साथ ही पवित्र नगरी अमरकंटक व जालेश्वर धाम के समीप भी पौधों को रोपा गया था। अकेले ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 3 करोड़ 36 लाख 42 हजार रुपए  सिर्फ मजदूरी के नाम पर खर्च किए गए। वहीं सामग्री के नाम पर 1 करोड़ 29 लाख 44 हजार रुपयों का व्यय किया गया। वन विभाग द्वारा कितनी राशि को खर्च किया गया है इसकी सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में महकमा समय की मांग कर रहा है।

पानी की कमी का उपाय नहीं
नर्मदा तट पर बसे ग्रामों में भौगोलिक स्थिति के कारण वर्षाऋतु बीतने के साथ ही  ग्रामवासियों को पेयजल के लिए नर्मदा नदी या फिर हैण्डपंप के सहारे रहना पड़ता है। मार्च महीने तक हैण्डपंप भी हवा उगलने लगते हैं। थाड़पाथर ग्राम पंचायत में वर्तमान में स्थिति यह है कि पानी के लिए ग्रामीणों को सुबह से ही संघर्ष करना पड़ता है ऐसे में इन पौधों में पानी की सिंचाई के लिए कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी। जिसकी वजह से ये पौधे सूख चुके हैं।

पौध रक्षकों ने घेरा था कार्यालय
वन विभाग द्वारा पौधों की रक्षा के लिए 194 पौध रक्षकों को मुस्तैद किया गया था। इन पौध रक्षकों को 10 महीने में एक भी बार मजदूरी नहीं दी गई। जिसकी वजह से इनकी रूचि भी कम होती गई। 25 मई को पौध रक्षकों द्वारा पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल ङ्क्षसह मार्को के नेतृत्व में वनमंडलाधिकारी के कार्यालय का घेराव भी किया था। जिसके बाद पौध रक्षकों को मनरेगा के दर से मजदूरी भुगतान कराए जाने की बात भी कही गई थी।

इनका कहना है
चूंकि यह मेरे कार्यकाल से पूर्व का मामला है अत: इस संबंध में विस्तृत जानकारी  लिए जाने के साथ ही पौध रोपण भी कराया जाएगा।
श्रीमती सलोनी सिडाना, CEO जिला पंचायम अनूपपुर

 

Created On :   4 Jun 2018 8:41 AM GMT

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