सोने के लिए केवल रूटीन की जरूरत, दिन य रात की नहीं

No need  night or day for a good sleep, just necessary a routine
सोने के लिए केवल रूटीन की जरूरत, दिन य रात की नहीं
सोने के लिए केवल रूटीन की जरूरत, दिन य रात की नहीं


डिजिटल डेस्क । आज की यंग जेनरेशन सारा दिन, पढ़ाई, ऑफिस, फ्रेंड्स या थोड़ा टाइम फैमिली में स्पेंड करती है। बिजी शेड्यूल और वक्त की कमी के चलते वो खुद के लिए रात में ही वक्त निकाल पाते हैं। दरअसल हर इंसान को दिनभर में खुद के लिए थोड़ा समय जरूर निकालना चाहिए और यही वजह होती है कि यंगस्टर्स रात के वक्त देर रात तक खुद को पैंपर करते है। मूवी देखना, बुक पढ़ना, पर्सनल केयर, दिन भर के कामों का आकलन या अगले दिन की तैयारी। इन सबके लिए वो रात का ही समय बेहतर समझते है, लेकिन जैसा सभी को मालूम है कि सोने के लिए 8 घंटे पूरे मिलने चाहिए ये तभी संभव है जब हम जल्दी सोए। वहीं कई एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि सोने के लिए दिन और रात, घड़ी के अनुसार नहीं, बल्कि हमारे अपनी लाइफस्टाइल से तय होते हैं। ऐसे में बस एक रूटीन बनाए रखना जरूरी होता है। आइए जानते है कि क्या वाकई जल्दी सोना अच्छा है या देर तक जागने से भी हमें फायदे हो सकते हैं। 

 

 

समय नहीं केवल लगातार नींद है जरूरी

बहुत सी स्टडीज कहती हैं कि रात में जगकर काम करने से आपकी बुद्धिमता और कल्पनाशीलता बढ़ती है। ये जरूरी है कि आप समझें ये ज्यादातर जन्मजात होता है। बुद्धिमान, कल्पनाशील व्यक्ति ज्यादातर सामाजिक नियमों और प्रथाओं के विरोधी होते हैं। उसी तरह सुबह जल्दी उठने वाले भी ज्यादा सक्रिय और आशावादी हो सकते हैं, इसलिए नहीं कि वो सुबह समय पर उठते हैं बल्कि इसलिए क्योंकि जेनेटिकली उनका झुकाव इस तरफ होता है। अपनी बॉडी को नियमानुसार सोने की आदत डालें। ये आपकी इच्छा के साथ सहज होता है। फिर भी खुद को ज्यादा बुद्धिमान न बनाएं और आपकी अच्छी नींद के साथ खिलवाड़ करने से बचें, ये आप पर अच्छे की जगह बुरा प्रभाव डाल सकता है।
 

बॉडी के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप बिना बाधा के लगातार नींद पूरी करें। रुकावट भरी नींद का चक्र आपकी अच्छी नींद में बाधक हो सकता है। बेशक कुछ घंटे आपके प्रयोग में आ सकते हैं लेकिन ऐसी नींद आपको तरोताजा और जोश से भरा हुआ नहीं बना सकती। गहरी नींद सोने के तीसरी अवस्था होती है जोकि ज्यादातर लोग लगभग कोशिश करके भी 4 घंटे तक ले पाते हैं। नींद का ये समय आपके शरीर को रिपेयर करने और रिचार्ज करने के लिए औषधि का काम करता है। इस समय के दौरान आर्गन रसायन से मुक्त होते हैं, किडनी रक्त को साफ करती है, शरीर सेल्स को बदल देता है और आपके मसल्स के नुकसान की भरपाई हो जाती है।"

 

क्यों बदल रही है धारणा

यूं तो तमाम डॉक्टर्स रात में देर तक जागने के सेहत पर पड़ने वाले नुकसान के बारे में आए दिन बात करते रहते हैं, लेकिन इन दिनों एक बार फिर सोने के समय को लेकर एक थ्योरी पर बहस छिड़ चुकी है जिसके अनुसार, देर से जागने वाले लोग अगर नियम से एक ही वक्त पर सोते हैं, तो उन्हें इसका ज्यादा नुकसान नहीं होता है। 

लेयने लामबर्ग और माइकेल स्मोलेनस्की ने अपनी किताब "द बॉडी क्लोक गाइड टू बैटर हेल्थ" में बताया, "लगभग 20 प्रतिशत लोग रात को जगने वाले वर्ग में रखे जा सकते हैं, और 10 पर्सेंट लोग सच में खुशहाल या समय पर उठने वाले हो सकते हैं। वो सभी इन दो किनारों के बीच में कहीं भी गिने जा सकते हैं। वो या तो दिन में या फिर रात में जागने वाले हो सकते हैं। ये चयन आमतौर पर उनके जेनेटिक मेकअप पर आधारित होता है, साथ ही ये बेहद मुश्किल है कि किसी एक को दूसरे में बदल दिया जाए।"

 

 

ये है पुरानी थ्योरी

इस बहस के पीछे जो थ्योरी काम कर रही है, उसके अनुसार, पहले के जमाने में बहुत से लोगों ने पाया कि अपनी नींद को सूरज के हिसाब से मैनेज करना आसान होता है। दृश्यता की कमी, सूर्यास्त की स्थिति, मतलब आपके पास रात में सोने के अलावा बहुत कम काम होता है। मगर बिजली के आविष्कार ने सब बदल दिया है। अब ये मुमकिन है कि आप समय पर जल्दी उठ पाएं और अंधेरे में भी अच्छे तरीके से काम कर सकें और यदि जरूरत हो तो ये देर रात तक जारी भी रह सकता है। इस बदलाव के बाद ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो देर रात तक जगकर काम करते हैं और दुनिया में लगातार ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।

 

Created On :   4 May 2018 6:44 AM GMT

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