खाली पड़े हैं आदिवासी हॉस्टल, जिम्मेदार डकार रहे नास्ता भोजन के हजारों रुपए

No residents in the tribal hostels, responsible spending fund
खाली पड़े हैं आदिवासी हॉस्टल, जिम्मेदार डकार रहे नास्ता भोजन के हजारों रुपए
खाली पड़े हैं आदिवासी हॉस्टल, जिम्मेदार डकार रहे नास्ता भोजन के हजारों रुपए

डिजिटल डेस्क, कटनी। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित बालक-बालिका छात्रावासों में व्यापक गड़बड़ियां सामने आई हैं। शिक्षा सत्र शुरू होने के साथ ही हॉस्टलों में एडमीशन भी प्रारंभ हो गए। कहने को तो 50 सीटर हॉस्टलों में सीटें फुल हो गई हैं, लेकिन उपस्थिति दस फीसदी भी नहीं रहती। कुछ हॉस्टल तो ऐसे भी हैं जो आए दिन खाली पड़े रहते हैं, लेकिन उनके नाम पर नाश्ता, भोजन और अन्य सुविधाओं पर खर्च सौ प्रतिशत उपस्थिति मानकर किया जा रहा है। इस तरह जिम्मेदार अधिकारी नास्ता भोजन के हजारों रुपए डकार रहे हैं।

हॉस्टलों का निरीक्षण भी होता है, लेकिन निरीक्षण रिपोर्ट आदिम जाति कल्याण विभाग में दफन होकर रह जाती है। पिछले दिनों आदिम जाति कल्याण विभाग की टीम ने जब हॉस्टलों का निरीक्षण किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एक जुलाई से शुरू हुए 50 सीटर हॉस्टलों में ढाई माह बाद तक एक भी छात्र-छात्रा उपस्थित नहीं मिले। भोजन, नाश्ता के लिए शासन से हर माह प्रति छात्र-छात्रा एक हजार रुपये की राशि आवंटित होती है। अधीक्षक से लेकर जिले में बैठे अधिकारी छात्र-छात्राओं की राशि डकार रहे है।

पति-पत्नी अधीक्षक, स्टूडेंट एक भी नहीं
जानकारी के अनुसार आदिम जाति कल्याण विभाग की टीम ने पिछले दिनों आदिवासी बालक छात्रावास बरही एवं अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास बरही का निरीक्षण किया था। दोनों छात्रावास 50-50 सीटर हैं। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को दोनों छात्रावासों में एक भी स्टूडेंट नहीं मिले। आदिवासी बालक छात्रावास बरही में रुपलाल विश्वकर्मा अधीक्षक हैं, जबकि कन्या छात्रावास में उनकी पत्नी जानकी विश्वकर्मा अधीक्षक हैं। पति-पत्नी के अधीक्षक पदस्थ होने के बाद भी हॉस्टल में बालक-बालिकाओं की उपस्थिति शून्य मिलना गंभीर मामला है।

बहोरीबंद में मिले दस छात्र
अधिकारियों ने अनुसूचित जाति बालक छात्रावास बहोरीबंद का भी निरीक्षण किया था। 50 सीटर हास्टल में निरीक्षण के दौरान मात्र दस छात्र उपस्थित मिले थे। छात्रों की कम उपस्थिति पर अधीक्षक भी कोई संतोषजनक जवाब अधिकारियों को नहीं दे पाए। उस दौरान यहां पदस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी अनुपस्थित पाए गए थे। जुलाई माह से प्रारंभ हुए नए सत्र में एक माह तक मेस बंद रहा। छात्रों की शिकायत के बाद मेस चालू किया गया।

अधिकारियों की मिलीभगत से यहां पदस्थ अधीक्षक छात्रों के भोजन, नाश्ता की राशि डकार रहे हैं। यदि छात्र शिकायत नहीं करते तो शायद मेस भी चालू नहीं होता। बताया गया है कि आठ सितम्बर को जिला संयोजक अजीज सिद्दकी ने अनुसूचित जाति छात्रावास बहोरीबंद का निरीक्षण किया था लेकिन उन्हे कोई कमी नजर नहीं आई। क्षेत्रीय संयोजक एवं मंडल संयोजक ने 12 सितम्बर को निरीक्षण किया तो 50 में से 40 छात्र अनुपस्थित मिले।

दस साल से दो हॉस्टल का एक अधीक्षक को प्रभार
आदिम जाति कल्याण विभाग के नियमों के अनुसार एक अधीक्षक को दो हॉस्टलों का प्रभार नहीं दिया जाना चाहिए। एक ही हॉस्टल में किसी अधीक्षक की पदस्थापना तीन साल से अधिक नहीं होना चाहिए। कटनी जिले में एक ही हॉस्टल में अधीक्षकों की लम्बे समय तक पदस्थापना के रिकार्ड बन रहे हैं। आदिवासी बालक छात्रावास विजयराघवगढ़ एवं अनुसूचित जाति बालक छात्रावास विजयराघवगढ़ में नीतेश त्रिपाठी दस साल से अधीक्षक हैं। पिछले दिनों क्षेत्रीय संयोजक एवं मंडल संयोजक को निरीक्षण में 50-50 सीटर हॉस्टलों में बालकों की उपस्थिति 50 प्रतिशत भी नहीं मिली। इसी तरह आदिवासी कन्या हॉस्टल ढीमरखेड़ा एवं अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में एक ही अधीक्षक है।

इनका कहना है
निरीक्षण दलों की रिपोर्ट पर संबंधित हॉस्टल अधीक्षकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। हॉस्टलों में शत-प्रतिशत उपस्थिति के निर्देश दिए जाएंगे।
अजीज सिद्दीकी जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग

 

Created On :   15 Sep 2018 12:31 PM GMT

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