बाघों के लिए फिक्रमंद सरकार को मानव जीवन से नहीं कोई सरोकार - एड. गोस्वामी

No worries about human life due to concern for tigers says Paromita Goswami
बाघों के लिए फिक्रमंद सरकार को मानव जीवन से नहीं कोई सरोकार - एड. गोस्वामी
बाघों के लिए फिक्रमंद सरकार को मानव जीवन से नहीं कोई सरोकार - एड. गोस्वामी

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर।  बाघ, तेंदुआ व अन्य वन्य जीवों को बचाने के लिए सरकार आनन-फानन में नया बिल पेश कर कानून बनाने की तैयारी में हैं। बीते अनेक वर्षों से जिले के जंगलों से सटे गांवों में वन्य जीवों के हमलों में मरने वाले मृतकों के परिजनों पर सरकार का ध्यान नहीं है। मानव व वन्य जीवों के बीच का संघर्ष थम सके, इसके लिए सरकार के पास कोई प्लान नहीं है। बाघों के लिए चिंतित सरकार मनुष्यों की जान बचाने की फिक्र क्यों नहीं कर रही है, यह सवाल श्रमिक यलगार की अध्यक्ष एड. पारोमिता गोस्वामी ने किया। वे पत्र परिषद में वे बोल रहीं थीं। इस समय उन्होंने बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जिले की स्थिति से अवगत कराया गया है। ब्रम्हपुरी के हलदा-आवलगांव परिसर में भी वन्य जीवों का उत्पात जारी है। 

अब गांव से उठा ले जाते हैं:

यह धारणा अब टूटने लगी है कि बाघ व अन्य वन्य जीव खेत व जंगल परिसर में केवल चरवाहों व किसानों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। गांव के चौराहे व आंगन में खेलते बच्चे भी हिंसक वन्य जीवों का शिकार होने लगे हैं। स्थिति नियंत्रण से बाहर होने के पूर्व सरकार को उपाय खोजना चाहिए।

हथियार उठा लेंगे :

बीते दिनों शिवसेना विधायक बालू धानोरकर ने मानव व वन्य जीव संघर्ष में सरकार की अनदेखी पर टिप्पणी करते हुए खुद की रक्षा के लिए हथियार चलाने का ग्रामीणों को लाइसेंस देने की मांग की थी। इस मुद्दे का पारोमिता गोस्वामी ने समर्थन करते हुए कहा कि जान बचाने के लिए लोग अब यह कदम उठा सकते हैं।

ग्राम विद्युत प्रबंधकों पर अन्याय : 

सरकार ने ग्राम स्तर पर ग्राम विद्युत प्रबंधक की नियुक्ति करने वर्ष 2016 में जीआर जारी किया था। सभी ग्राम ने चयनित उम्मीदवारों की सूची महावितरण कार्यालय को भेजी। सैंकड़ों आईटीआई प्रशिक्षितों को महावितरण द्वारा न तो प्रशिक्षण दिया गया और न ही वे नियुक्ति आदेश दे पाएं। रोजगार सम्मेलन लेने, मेगा भर्ती करने के सरकार के दावे यहां फेल दिखाई दे रहे हैं।

पालकमंत्री ने हल नहीं की समस्या : 

गोस्वामी ने बताया कि बीते 24 दिसंबर को पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से भेंट कर उन्हें विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए ज्ञापन सौंपा गया था, परंतु उसमें से एक भी समस्या हल नहीं की जा सकी। माह बीत गया, परंतु सिंदेवाही के 23 गांवों के लिए बस शुरू नहीं की। शराबबंदी पर कठोरता से अमल करने का उनका वादा विफल साबित हुआ है।

Created On :   29 Jan 2019 10:11 AM GMT

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