केजरीवाल, सिसोदिया और योगेंद्र यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी

Non-Bailable Warrant against Kejriwal, Manish Sisodia and Yogendra Yadav in Defamation Case
केजरीवाल, सिसोदिया और योगेंद्र यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी
केजरीवाल, सिसोदिया और योगेंद्र यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी
हाईलाइट
  • इसके साथ ही मनीष सिसोदिया और योगेंद्र यादव के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी किया है।
  • दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
  • यह वारंट एक अपराधिक मानहानि मामले में कोर्ट के समक्ष पेश नहीं होने को लेकर जारी किया गया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वराज इंडिया के चीफ योगेंद्र यादव के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। उनके खिलाफ यह वारंट एक अपराधिक मानहानि मामले में कोर्ट के समक्ष पेश नहीं होने को लेकर जारी किया गया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई बुधवार तक टाल दी है। यह शिकायत 2013 में टिकट की चाह रखने वाले एक व्यक्ति ने दायर की थी। 

एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं के साथ-साथ योंगेद्र यादव के खिलाफ भी वारंट जारी किया। योगेंद्र यादव उस वक्त AAP के सदस्य थे। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार द्वारा दायर शिकायत पर सुनवाई के दौरान AAP की ओर से कोई उपस्थित नहीं था।

सुरेंद्र कुमार शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2013 में उन्हें AAP के कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया था। AAP ने उन्हें पार्टी के टिकट पर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था। कार्यकर्ताओं ने उनसे यह कहा था कि केजरीवाल उनकी सामाजिक सेवाओं से प्रसन्न हैं।

सुरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा था कि उन्होंने मनीष सिसोदिया और योगेंद्र यादव के कहने पर चुनाव लड़ने के लिए आवेदन पत्र भरा था। मनीष सिसोदिया और योगेंद्र यादव ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि AAP की राजनीतिक मामलों की समिति ने उन्हें टिकट देने का फैसला किया है। हालांकि, बाद में इन लोगों ने टिकट देने से मना कर दिया था।

सुरेंद्र कुमार शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 14 अक्टूबर, 2013 को छपे प्रमुख अखबारों में आरोपियों ने उनके खिलाफ अपमानजनक और गैरकानूनी शब्दों का प्रयोग किया था जिससे बार और समाज में उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है।

वहीं शिकायत का विरोध करते हुए AAP नेताओं ने दलील देते हुए कहा था कि चुनावी टिकट को रद्द करना या आवंटित करना पार्टी का विशेषाधिकार है और शिकायतकर्ता ने अपने खिलाफ लंबित मामलों की सही जानकारी नहीं दी थी। शिकायत के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने इस मामले को लेकर तीनों नेताओं को अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था।

Created On :   23 April 2019 6:51 PM GMT

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