पिता से मिलने के लिए बच्चों की इच्छा जानना जरूरी नहीं - हाईकोर्ट

Not necessary to know wish of children to meet father - High Court
पिता से मिलने के लिए बच्चों की इच्छा जानना जरूरी नहीं - हाईकोर्ट
पिता से मिलने के लिए बच्चों की इच्छा जानना जरूरी नहीं - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बच्चों की इच्छा जाने बगैर पिता को उनसे मिलने के लिए कोर्ट द्वारा दी गई अनुमति को रद्द किए जाने की मांग बांबे हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह आम धारणा है कि यदि बच्चा मां अथवा पिता में से किसी एक के साथ लंबे समय तक रहता है तो वे दूसरे के प्रति बच्चे के मन में जहर भर देते हैं। जिससे बच्चे की सही इच्छा सामने ही नहीं आ पाती है। ऐसे में बच्चों से मिलने के मुद्दे को तय करते समय बच्चों की इच्छा  का पता लगाना जरुरी नहीं है। 

महानगर कि पारिवारिक अदालत ने पिता को अपने नाबालिग बच्चों से मिलने की इजाजत प्रदान की थी। जिस पर रोक लगाने की मांग को लेकर बच्चों की मां ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में निचली अदालत के आदेश को खामिपूर्ण बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने बच्चों की इच्छा जाने बगैर पिता को उनसे मिलने की इजाजत प्रदान की है। इसलिए निचली अदालत की ओर से पिता को बच्चों से मिलने की अनुमति देने वाला 18 अप्रैल 2019 के आदेश को रद्द किया जाए। 

अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एनजे जमादार के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने पाया कि मामले से जुड़े दंपति का विवाह 9 मई 2006 को विवाह हुआ था। विवाह के बाद दंपति को दो बेटे हुए। इस बीच दंपति के वैवाहित जीवन में कलह बढ गई जिसके चलते दोनों 15 अप्रैल 2016 को एक दूसरे से अलग हो गए। वर्तमान में एक बेटे की उम्र नौ साल है जबकि दूसरे की उम्र पांच साल है। पत्नी के अलग होने की वजह से पति की मांग पर मुंबई की पारिवारिक अदालत ने बच्चों से मिलने की इजाजत प्रदान की। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि बच्चों की कस्टडी से जुड़े मुद्दे में पति-पत्नी के अधिकारों की बजाय बच्चों का हित, संरक्षण व कल्याण महत्वपूर्ण होता है। यदि बच्चा लंबे समय तक मां के पास रहता है तो इससे बच्चे के मन में पिता को लेकर अलगाव का भाव पैदा होता है। जिससे बचने के लिए जरुरी है कि बच्चे अपने मां व पिता दोनों के साथ रहे। इस प्रकरण में पहला मौका नहीं है जब पिता को बच्चों से मिलने की इजाजत दी गई है। इससे पहले बच्चे अपने पिता से मिलते रहे हैं। यदि बच्चे पिता से मिलेंगे तो उनका रिश्ता पिता के साथ प्रगाढ होगा। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने निचली अदालत के आदेश को यथावत रखते हुए बच्चों की मां की ओर से की गई मांग को अस्वीकार कर दिया। 

जमानत आवेदन के निपटारे बाद फिर सुनवाई पर हाईकोर्ट नाराज - दिए जांच के आदेश

इसके अलावा एक मामले में निपटाए हुए जमानत आवेदन को दोबारा सुनवाई के लिए लगाए जाने पर बांबे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कोर्ट प्रशासन को इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए है। मामला हुसैन खान नामक आरोपी से जुड़ा है। खान पर एक युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद इस मामले में खान को 20 हजार रुपए के मुचलके और एक अथवा दो जमानतदार के साथ जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था। उस वक्त जमानतदार न दे पाने के चलते खान ने अदालत से और समय की मांग की थी। जिसे मंजूर कर कोर्ट ने खान को और समय देते हुए आवेदन का निपटारा कर दिया गया था। लेकिन अवकाशकालीन न्यायमूर्ति अजय गड़करी के सामने फिर यह मामला सुनवाई के लिए आया। इस पर न्यायमूर्ति ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि निपटाया हुआ मामला दोबारा कैसे सुनवाई के लिए आ सकता है। यह कोर्ट कर्मचारियों की गलती से हो रहा है। लिहाजा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) इस पूरे मामले की जांच करे और 10 जून तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। 

Created On :   21 May 2019 2:57 PM GMT

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