पे एंड पार्क सुविधा पर अब डीबीए व एनएमसी मिलकर बनाए प्लान- हाईकोर्ट

Now the DBA and NMC have created plans on Pay and Park facility High Court
पे एंड पार्क सुविधा पर अब डीबीए व एनएमसी मिलकर बनाए प्लान- हाईकोर्ट
पे एंड पार्क सुविधा पर अब डीबीए व एनएमसी मिलकर बनाए प्लान- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर । सिविल लाइंस स्थित जिला व सत्र न्यायालय (न्याय मंदिर) की पार्किंग व्यवस्था पर केंद्रित जनहित याचिका पर  हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें महानगरपालिका के अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने कोर्ट को बताया कि पार्किंग व्यवस्था के लिए मनपा ने जिला न्यायालय के बगल में स्थित पुराने हाईकोर्ट परिसर में प्रबंध किए हैं। प्रबंध करने के लिए मनपा ने एक बड़ी रकम भी खर्च की है, ऐसे में मनपा को इसकी प्रतिपूर्ति डीबीए से मिलनी चाहिए। लेकिन डीबीए के अधिवक्ता उदय डबले ने कोर्ट में साफ किया कि इस वक्त डीबीए इतना खर्च वहन नहीं कर सकता।

ऐसे में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने यहां पे एंड पार्क सुविधा उपलब्ध कराने का मुद्दा उपस्थित किया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने डीबीए और मनपा को मिल कर पे एंड पार्क सुविधा पर प्लान बनाने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता एड. मनोज साबले ने विदर्भ के विविध न्यायालयों की अव्यवस्था के मुद्दे याचिका में उठाए हैं। याचिकाकर्ता की दलील है कि शहर के जिला न्यायालय परिसर में जगह की इतनी कमी है कि यहां आपातकाल में न्यायालय परिसर में फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस तक दाखिल नहीं हो सकती।

सिविल लाइंस स्थित जिला न्यायालय में पार्किंग की समस्या है। जगह कम है और वाहन अधिक। इसके समाधान के लिए न्याय मंदिर परिसर में पार्किंग प्लाजा बनाने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। सिविल लाइंस स्थित भवन को वर्ष 1976 में जिला न्यायालय के लिए हस्तांंतरित किया गया था। उस वक्त लगभग 600 वकील थे। आज यह संख्या 6 हजार के करीब पहुंच गई है। ऐसे में सुविधाओं में वृद्धि के लिए नागपुर खंडपीठ के कार्यक्षेत्र में आने वाले विभिन्न जिला न्यायालयों की सुविधाओं में सुधार करने का मुद्दा जनहित याचिका में उठाया गया।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए सरकार से मांगे 62 करोड़
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सोमवार को अंबाझरी तालाब संवर्धन के मुद्दे पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें वाड़ी नगर परिषद ने कोर्ट को बताया कि तालाब को प्रदूषण से बचाने के लिए वाड़ी में जो सीवरेज ट्रीटमंेट प्लांट प्रस्तावित है, उसकी प्रशासकीय मान्यता के लिए परिषद ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है, साथ ही 62 करोड़ रुपए निधि जारी करने की विनती भी की है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस पर चार सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि बगैर प्रोसेस किए ही उद्योगों से रसायनयुक्त पानी अंबाझरी तालाब में छोड़ा जा रहा था।

समीपस्थ रिहायशी इलाकों से भी प्रदूषित जल अंबाझरी तालाब में मिल रहा था। वाड़ी नगर परिषद मंे सीवरेज ट्रीटमंेट प्लांट नहीं होने से सीवरेज का सारा पानी तालाब में मिल रहा था। इससे तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो गई, जिससे मछलियां मरने लगीं। तालाब किनारे जब मरी हुई मछलियों का ढेर इकट्ठा हुआ, तो यह मुद्दा चर्चा में आया। ऐसे में हाईकोर्ट में वाड़ी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के मुद्दे ने जोर पकड़ा। इसके लिए वाड़ी नगर परिषद ने 52 लाख रुपए जीवन विकास प्राधिकरण को दिए है। तकनीकी मान्यता मिलना शेष है। मामले में नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे, परिषद की ओर से एड. मोहित खजांची व महेश धात्रक तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एड. एस.एस सान्याल ने पक्ष रखा।
 

Created On :   14 Nov 2019 8:46 AM GMT

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