संविधान की शपथ लेकर एक दूजे का हुआ यह कपल और रक्तदान भी किया

Odisha Couple Gets Married by Taking Oath on Indian Constitution, Organising Blood Camp
संविधान की शपथ लेकर एक दूजे का हुआ यह कपल और रक्तदान भी किया
संविधान की शपथ लेकर एक दूजे का हुआ यह कपल और रक्तदान भी किया

डिजिटल डेस्क, बेरहामपुर। धार्मिक एवं पारंपरिक रीति रिवाज से अलग हटकर ओडिशा के गंजाम जिले में एक जोड़े ने अनूठे अंदाज में शादी रचाई। इस जोड़े ने भारतीय संविधान की शपथ लेकर एक दूसरे को अपना जीवन साथी बनाया। शादी में ना ही बाजा बजा और ना ही आतिशबाजी करते हुए झांकी में दूल्हे को मंडप तक लाया गया। इतना ही नहीं ना ही लगन के लिए पत्रा देखा गया और ना ही किसी प्रकार का दहेज या कोई और कार्यक्रम हुआ। दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को वरमाला पहनाकर सात जन्मों तक साथ निभाने की शपथ लेकर विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए। इसके साथ ही विवाह उत्सव के दौरान रक्तदान शिविर आयोजित कर पूरे समाज के लिए एक उदाहरण पेश करते हुए दोनों ने रक्तदान कर अपने वैवाहिक जीवन का शुभारंभ किया। नए ढंग से हुई इस शादी का गवाह संविधान को बनाया गया। 

यह अनूठी शादी ओडिशा के गंजाम जिला अन्तर्गत बरहमपुर में हुई। बरहमपुर के कमापल्ली स्थित वैदनाथेश्वर मंदिर के कल्याण मंडप में यह अनूठी शादी सम्पन्न हुई। फार्मास्युटिकल फर्म के कर्मचारी 31 साल के बिप्लब कुमार ने रविवार को अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और मेहमानों की उपस्थिति में सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) 23 साल की अनीता से शादी की। शादी में आए कई लोगों ने भी रक्तदान शिविर में हिस्सा लिया। सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी बिद्युत प्रभा रथ ने नवविवाहित जोड़े को शपथ दिलाई।

समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, फिजूल खर्च और कुसंस्कार को खत्म करने के लिए फुलवाणी के विप्लव एवं बरहमपुर गोइलूण्डी की अनीता दोनों ने आपसी सहमति से मंदिर में इस अनूठे ढंग से शादी करने का फैसला किया था। शादी में बिना वजह के पैसे न खर्च कर समाज के लिए कुछ करने के उद्देश्य से ही इस नए दंपत्ति ने शादी समारोह में रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया। इसके साथ ही शादी समारोह में फैले कुछ अंध विश्वास एवं कुसंस्कार को खत्म करने का फैसला भी किया था। 

मानवतावादी हिंदू संगठन की मदद से शादी के दिन आयोजित इस रक्तदान शिविर में रक्तदान करने के बाद एक विधवा महिला के हाथ से वरमाला लेकर विप्लव एवं अनीता ने एक दूसरे को पहलनाई और सात जन्म के लिए एक दूसरे के हो गए। समाज में फैले अंधविश्वास तथा कुसंस्कार को खत्म करने के उद्देश्य से सम्पन्न हुई यह अनूठी शादी निश्चित रूप से आगामी दिनों में युवा वर्ग के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगी।

युगल ने कहा, "हमारी शादी कुंडली मिलान के बिना या भजन के बिना की गई"।  दूल्हे के पिता मोहन राव एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि, बच्चों ने शादी को इस तरह से आयोजित करने का फैसला किया, जो समाज के लिए एक मिसाल होगी। "मैं एक तर्कवादी हूं और मैं पारंपरिक विवाहों में विश्वास नहीं करता, जहां पुजारी भजन गाते हैं। 

दुल्हन अनीता ने कहा कि, वह खुश थी जिस तरह से शादी का आयोजन किया गया था। रक्तदान शिविर के बारे में बात करते हुए दूल्हे बिप्लब ने कहा, "हमने अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि, इस अवसर पर 36 यूनिट रक्त एकत्र किया गया। मानवतावादी और तर्कवादी संगठन (HRO) और एसोसिएशन ऑफ़ वालंटियर ब्लड डोनर्स (AVBD) ने युगल के इन प्रयासों की सराहना की है।
 

Created On :   23 Oct 2019 9:49 AM GMT

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