हाईलाइट
  • SC के आदेश के अनुसार पूर्व सीएम सरकारी बंगला हासिल करने का हकदार नहीं
  • अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिले आलीशान सरकारी बंगले उनसे छिन सकते हैं
  • जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद राज्य को मिला विशेष दर्जा खत्म हो गया है

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद राज्य को मिला विशेष दर्जा खत्म हो गया है। ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिले आलीशान सरकारी बंगले उनसे छिन सकते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री स्थायी तौर पर सरकारी बंगला हासिल करने का हकदार नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य होने के कारण अब तक यह आदेश वहां पर लागू नहीं हो पाया था।

फारूक अब्दुल्ला को छोड़कर, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती सहित सभी पूर्व सीएम के पास सरकारी बंगले हैं। लगभग सभी ने अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप इन सरकारी बंगलों को आधुनिक बनाने या पुनर्निर्मित करने पर करोड़ों रुपये खर्च किए। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उमर और महबूबा ने अपने-अपने बंगलों पर करीब 50 करोड़ रुपये खर्च किए, जब वे सरकार में थे। सड़क और भवन विभाग ने कथित रूप से श्रीनगर के बाहरी इलाके में महबूबा के पिता और पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद के निजी घर के नवीनीकरण में बड़ी राशि खर्च की।

फारूक गुप्कर रोड पर स्थित दो आवासों के मालिक है, लेकिन उमर ने आधिकारिक बंगला "नंबर 1" बरकरार रखा है, जो फारूक के आवास से कुछ ही दूरी पर है। उमर के पुनर्निर्मित बंगले में एक जिम और सौना सहित आधुनिकता के सभी आकर्षण हैं। जम्मू-कश्मीर संपदा विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 2009 से 2014 तक उमर के कार्यकाल के दौरान बंगले के नवीनीकरण के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

एस्टेट्स के अधिकारी ने कहा, "उमर के पिता भले ही अपने निजी घर में रहते हैं, लेकिन वह पूर्व सीएम होने के नाते मिलने वाले बंगले का किराया लेते हैं। बंगले में कामकाज के लिए सहयोगियों का एक बड़ा दल है, जिनका वेतन भी सरकार से आता है। कांग्रेस नेता आज़ाद संभवतः जम्मू-कश्मीर के एकमात्र पूर्व सीएम हैं जिनके पास सरकारी बंगला नहीं हैं, वह इसके खिलाफ किराए का दावा भी नहीं करते हैं। उसके पास केवल गुप्कर रोड पर जैतहरी में जम्मू और कश्मीर बैंक के गेस्टहाउस का "अस्थायी कब्जा" है, जहां वह पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हैं। आजाद श्रीनगर में हैदरपोरा में अपने निजी घर में रहते हैं।

महबूबा के सरकारी बंगले का नाम फेयरव्यू है जो गुप्कर रोड पर है। 2005 से महबूबा इस घर में रह रही है। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम मोहम्मद सादिक के पोते इफ्तिखार सादिक ने कथित रूप से खाली संपत्ति के एक हिस्से को बेच दिया था। यह खाली संपत्ति वह है जो 1947 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहने वाले किसी व्यक्ति की थी, जिसने जम्मू-कश्मीर सरकार को अपना संरक्षक बनाया।

बंगलों के अलावा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम के पास अन्य विशेषाधिकार भी हैं, जिनमें बुलेट प्रूफ वाहन और रिटायरमेंट के बाद स्टाफ रखने की सुविधा भी मिलती है। फारूक के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह, जो 1984 से 1986 तक सीएम थे, ने राज्य विधानमंडल के सदस्यों के पेंशन अधिनियम, 1984 में धारा 3C (e) और (f) को जोड़ा था। ये धारा पूर्व सीएम को एक निजी सहायक, एक विशेष सहायक, दो चपरासी और एक बुलेट-प्रूफ वाहन रखने की सुविधा देता है। 1997-98 में धारा 3C (e) और (f) को अधिनियम में शामिल किया गया था, जब फारूक मुख्यमंत्री थे।

Created On :   7 Aug 2019 12:56 PM GMT

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