अंतिम संस्कार की बजाय शरीर को अस्पताल में किया दान

On the death of teacher the family handed over the body to somaiya hospital
अंतिम संस्कार की बजाय शरीर को अस्पताल में किया दान
अंतिम संस्कार की बजाय शरीर को अस्पताल में किया दान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। परिवार के किसी सदस्य के दुनिया छोड़ने के बाद परिजन पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार को लेकर सक्रियता दिखाते हैं, लेकिन मुंबई के सायन इलाके में स्थित एसआईईएस कॉलेज की उप प्राचार्य वंदना प्रदीप ने अपनी मां के पार्थिव शरीर को अग्नि के हवाले करने की बजाय उसे दान देने में तत्परता दिखाई। जिससे मेडिकल के छात्रों के प्रशिक्षण के लिए उनकी मां का पार्थिव शरीर काम आ सका। हालांकि ऐसा कर उन्होंने अपनी मां की अंतिम इच्छा ही पूरी की थी। 

अपने प्रियजन का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसके पार्थिव शरीर को दान करना किसी के लिए भी बड़ा मुश्किल होता है, लेकिन वंदना ने ऐसा साहस दिखाया। वे कहती हैं, ‘कर्मकांड आत्मा की शांति के लिए किया जाता है, इसका शरीर से कोई संबंध नहीं होता है। इसलिए भले ही मैंने अपनी मां के पार्थिव शरीर को अग्नि के हवाले नहीं नहीं लेकिन मैं मां का पिंडदान करना नहीं भूलती।’  उन्होंने बताया कि मेरी मां ने पहले ही कहा था कि मेरे पार्थिव शरीर को मेडिकल कालेज के बच्चों के शोध के लिए सौप देना। इसलिए मैंने मां के निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर घाटकोपर स्थित सोमैया अस्पताल को सौप दिया। इस काम में वहां के डॉक्टर एसपी सावंत ने न सिर्फ मेरी काफी मदद की और मुझे भी देहदान के लिए प्रेरित किया। 

डॉक्टर सावंत से मिली जानकारी के आधार पर वंदना बताती है कि पुरुष के पार्थिव शरीर ज्यादा दान किए जाते है लेकिन महिलाओं के पार्थिव शरीर बहुत कम मिल पाते हैं। इस दिशा में काफी जागरुकता की जरुरत है। क्योंकि आज हर किसी को अच्छे डाक्टर चाहिए लेकिन जब डाक्टरों को शरीरिक संरचना की जानकारी देने के लिए पार्थिव शरीर ही नहीं मिलेंगे तो वे कैसे सीख सकेंगे। वंदना ने बताया कि मेरी मां पेशे से शिक्षिका थी इसलिए जीते जी उन्होंने लाखों बच्चों को पढाया। उनकी इच्छा थी की मरने के बाद भी वे छात्रों की शिक्षा के काम आए। इसलिए 81  आयु में जब इसी साल दो मार्च को उनका निधन हुआ तो मैंने उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने में कोई कोताही नहीं की। इसके पहले मेरी मां की बहन यानि मेरी मौसी ने भी अपना शरीर दान किया था। वंदना कहती हैं कि लोगों को बदलाव की शुरुआत अपने घर से करनी चाहिए। तभी समाज में बदलाव व जागरुकता फैलेगी। मौसी और मां के बाद वंदना ने भी अपना शरीर दान करने का फैसला किया है।

Created On :   11 March 2019 10:05 AM GMT

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