मनोरोगी है जजों की अवमानना करने वाला, होगा उपचार

One who contempt judge is mental patient, treatment will be done
मनोरोगी है जजों की अवमानना करने वाला, होगा उपचार
मनोरोगी है जजों की अवमानना करने वाला, होगा उपचार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बीते दिनों जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले ब्रिजलाल गंगवानी की मानसिक जांच कराने के आदेश दिए थे।  शासकीय मनोरुग्णालय ने आरोपी की मानसिक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बताया गया कि गंगवानी पैरोनॉईड पर्सनालिटी डिसऑर्डर से ग्रसित हैं। इसी बीमारी में व्यक्ति को असुरक्षा, भय और तनाव रहता है। मामले में न्यायालयीन मित्र एड.फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट को बताया कि नियमों के मुताबिक ऐसे व्यक्ति को खुला छोड़ना गलत है, उसका सही उपचार कराया जाना चाहिए। लिहाजा, कोर्ट ने जरीपटका पुलिस को गंगवानी को अपने संरक्षण में लेकर उसका मानसिक उपचार कराने के आदेश जारी किए हैं। मामले में अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद रखी गई है।

गंगवानी के खिलाफ कंटेम्ट ऑफ कोर्ट सेक्शन 15 (2) के तहत आरोप तय किए गए हैं। हाईकोर्ट ने आरोपी को बीते जनवरी माह में जरीपटका पुलिस थाने में जाकर समर्पण करने और वहां अच्छे चाल-चलन का बांड देकर जमानत लेने के आदेश दिए थे। साथ ही कोर्ट ने आरोपी को न्यायालय की अवमानना से जुड़ा कोई भी कृत्य करने से प्रतिबंधित किया था। 

यह था मामला
उल्लेखनीय है कि आरोपी के खिलाफ प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश वी.डी.डोंगरे ने हाईकोर्ट में फौजदारी अवमानना याचिका चलाने की प्रार्थना की थी। वर्ष 2012 में सहदीवानी न्यायाधीश कनिष्ठ स्तर के पास गंगवानी के खिलाफ एक प्रकरण आया। इस प्रकरण में 31 अगस्त 2016 को कोर्ट ने गंगवानी के खिलाफ निर्णय दिया। इससे नाराज गंगवानी ने जज की शिकायत प्रधान व जिला सत्र न्यायाधीश से कर दी। प्रधान न्यायाधीश कोई फैसला लेते, इसके पूर्व ही गंगवानी ने उन पर भी आरोप लगाना शुरू कर दिया। गंगवानी ने जजों की शिकायत सीबीआई से कर दी। इसके बाद प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश के रूप में विलास डोंगरे ने पदभार संभाला। उनके पास जब यह प्रकरण सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने गंगवानी के खिलाफ नोटिस जारी किया। साथ ही इस मामले में गंगवानी के खिलाफ फौजदारी अवमानना याचिका चलाने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की।

हाईकोर्ट में मामला पहुंचा तो आरोपी ने हाईकोर्ट के जजों पर भी उसी तरह आरोप लगाने शुरू कर दिए। बता दें कि वर्ष 2007 में भी ठीक इसी तरह गंगवानी ने जजों पर इसी तरह गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद कोर्ट में मांफी भी मांगी थी।

Created On :   13 Feb 2019 5:45 AM GMT

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