नागपुर में साइबर क्राइम के साथ ऑनलाइन फ्राड तेजी से बढ़ रहे

Online fraud fastly increase with cyber crime in nagpur district
नागपुर में साइबर क्राइम के साथ ऑनलाइन फ्राड तेजी से बढ़ रहे
नागपुर में साइबर क्राइम के साथ ऑनलाइन फ्राड तेजी से बढ़ रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में जहां छोटे अपराधों में कमी आई है, वहीं वाइट कॉलर और साइबर क्राइम के साथ ऑनलाइन फ्राड के मामले तेजी से बढ़े हैं। नागपुर में हर साल वाइट कॉलर, साइबर अपराध के मामले में वृद्धि हो रही है। अगर हम पिछले डेढ़ दशक की बात करें तो नागपुर में 7 हजार से अधिक मामले इस श्रेणी में गिने जा सकते हैं।

हर तरह से नकेल कसने की कोशिश
अपराध शाखा पुलिस विभाग के उपायुक्त संभाजी कदम का कहना है कि नागपुर पुलिस ने अपराध पर रोकथाम लगाने के लिए अपराधियों पर कई तरह की नकेल कसी हैं। पहले इस शहर में अपराधियों के हाथों में तलवारें और चाकू हुआ करते थे। बदलते समय के साथ अपराधियों के हाथों में पिस्टल, देसी कट्टे और बंदूकें आ गई हैं। पुलिस इस पर भी रोकथाम लगाने के लिए अपराधियों की तलाश करते रहती है। बहरहाल, नागपुर में पहले की अपेक्षा अपराधों में कमी आई है, इस शहर में जहां मामूली सी बात पर अपराध हो जाते थे। अब उस तरह का माहौल नहीं रह गया है।

शहर छोड़ भागे
संतरानगरी में पुलिस कमीशनरेट बनने के बाद अब तक करीब 33 पुलिस आयुक्त इस शहर में कानून व सुव्यवस्था की बागडोर संभाल चुके हैं। वर्ष 1966 में इस शहर में एम. जी. मुगवे ने पुलिस आयुक्त की बागडोर संभाली थी। वर्तमान समय में डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय इस शहर के 34वें पुलिस आयुक्त के रूप में कमान संभाल रहे हैं। कभी नागपुर में गैंगवार का बोलबाला हुआ करता था। नागपुर के कुछ जानकारों की मानें तो इस शहर में 150 से अधिक गैंग सक्रिय थी, लेकिन पुलिस ने जब इस गैंग पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया तब कई गैंग के मुखियाओं ने शहर से पलायन कर लिया, जो लोग नहीं सुधरे पुलिस ने उनके खिलाफ एमपीडीए, मकाेका जैसी कार्रवाई करते हुए उनके गैंग का खात्मा कर दिया। एक समय यह भी आया जब गैंग के लोग भूमिगत होने लगे।
कई उतार-चढ़ाव देखे शहर ने

7 नए पुलिस थाने भी कर रहे जांच
वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो हर साल संतरानगरी में वाइट कॉलर और साइबर क्राइम के 300 से अधिक मामले शहर के थानों में दर्ज होते हैं। 16 साल पहले संतरानगरी में 19 थाने हुआ करते थे। 7 नए पुलिस थाने बनाए गए हैं। इस दौरान इस शहर ने अपराध के मामले में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस शहर में गोसीखुर्द प्रकल्प मेंे कई सफेदपोशों के नाम सामने आए, 150 से अधिक निवेश कंपनियों ने यहां कार्यालय खोले। कमाई का अधिक लालच देकर माल समेटा और गायब होते गए। यहां पर पहले 19 पुलिस थानाें में करीब साढ़े 3 हजार पुलिस अधिकारी- कर्मचारी तैनात थे, 16 साल में संतरानगरी में 7 नए थाने बनाए गए, जिसमें मानकापुर, बेलतरोडी, नंदनवन, बजाजनगर, मानकापुर, शांतिनगर और नया कामठी थाना शामिल है। दैनिक भास्कर की कई खबरों पर पुलिस विभाग ने संज्ञान लिया, जिसमें सोनेगांव का मानवी कंकाल शामिल है, इसमें सोनेगांव पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है। कुछ पुलिस अधिकारियों की बदौलत पुलिस के लिए क्वार्टर, स्मार्ट थानों की नींव रखी गई। नए पुलिस आयुक्तालय का निर्माण सबसे महत्वपूर्ण निर्णय है।

नंदनवन बना  था 20वां थाना
जब नागपुर में 16 वर्ष पहले 19 थाने के दम पर पुलिस का कार्यभार चल रहा था, तब शहर की आबादी बढ़ने पर और थानों की जरुरत महसूस होने लगी। तब 20वां थाना नंदनवन को शुरू किया गया था। उसके बाद हुडकेश्वर थाना बनाया गया। दक्षिण नागपुर में कई गैंग सक्रिय हो गए थे। इस क्षेत्र में अभी भी अवैध शराब, जुआ अड्डे संचालित हो रहे हैं। पुलिस गाहे-बगाहे कार्रवाई करती है। उसके बाद बजाजनगर थाना, शांतिनगर, मानकापुर थाना शुरू किया गया। 

इन कंपनियों ने किया फ्रॉड, एसआईटी की रही चर्चा

कलमना अर्बन क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसाइटी, श्री सूर्या, वासनकर समूह, मैत्रेय समूह सहित अन्य कई कंपनियों ने नागरिकों से फ्रॉड किया। नागपुर में भूमाफियों पर शिकंजा कसने के लिए नागपुर पुलिस विभाग के तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. के. व्यंकटेशम ने एक एसआईटी का गठन किया था। इस एसआईटी ने कई भूमि पीडितों को उनकी जमीनें, खेती, प्लॉट दिलाकर पुलिस की एक अलग छवि को समाज के सामने पेश किया था। इसके बर्खास्त होने पर नागरिकों में काफी रोष था। एसआईटी ने 2500 से अधिक मामले थे, जिसमें करीब 1800 मामले को पुलिस ने खुद सुलझाया था। 

नागपुर में तीन हिस्सों में बंटी पुलिस
कहते हैं कि 1861 के पुलिस अधिनियम द्वारा पूरे भारत में एक संस्था के रूप में पुलिस शुरू की गई थी। कहा तो यह भी जाता है िक ब्रिटिश राज में पुलिस का उदय हो चुका था। नागपुर पुलिस का इतिहास तीन हिस्सों में बांटा गया है। 1861 में पुलिस के पुनर्गठन में, नागपुर में नियुक्त एक शहर पुलिस अधीक्षक या कोतवाल होता था और 7 इंस्पेक्टरों, 7 चीफ कांस्टेबल और 18 हेड कांस्टेबल के साथ जिला अधीक्षक पुलिस के अधीनस्थ था। इनमें से 300 पुलिस सिपाही तैनात किए गए थे। नागपुर में उस समय पुलिस का अनुपात 402 लोगों के लिए 1 पुलिस कर्मी हुआ करता था। कोतवाली थाने को महल के एक पुराने हिस्से में शुरू किया गया था। शुरूआती दौर में नागपुर जिले में 7 पुलिस स्टेशनों के साथ विभिन्न कस्बे और गांव जुडे हुए थे। प्रत्येक स्थान पर 4 से 10 कॉन्स्टेबल , 35 हेड कांस्टेबल और 106 कांस्टेबल तैनात किए गए थे। सबसे कम वेतन कांस्टेबल को मिलते थे। उस समय 5 कांस्टेबल को, हेड कांस्टेबल को 8 रुपए , मुख्य कांस्टेबल को 20, इंस्पेक्टर को 65 वेतन मिलता था। 
 

Created On :   10 Dec 2018 10:33 AM GMT

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