कोर्ट को कागज मुक्त बनाने सिर्फ 40 फीसदी निधि हो सकी खर्च

Only 40 percent of funds spent on making paper free work in courts
कोर्ट को कागज मुक्त बनाने सिर्फ 40 फीसदी निधि हो सकी खर्च
कोर्ट को कागज मुक्त बनाने सिर्फ 40 फीसदी निधि हो सकी खर्च

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अदालतों के कामकाज को कागज मुक्त बनाने की दिशा में ई-प्रोजेक्ट के तहत शुरु की गई ‘ई-कोर्ट परियोजना’ के लिए दी गई 116 करोड़ रुपए की निधि में से बांबे हाईकोर्ट सिर्फ 40 प्रतिशत निधि का उपयोग कर सकी है। हाईकोर्ट के पास अभी इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मार्च 2019 तक का समय है। बेहतर मुकदमा प्रबंधन के उद्देश्य से साल 2010 में ई-कोर्ट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। जिसके बाद वर्ष 2013 में बांबे हाईकोर्ट में ई-कोर्ट का आगाज हुआ था। जिसके तहत सिर्फ व्यवसायिक व कंपनी से जुड़े मामले दायर किए जाते हैं। 

हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध आकड़ों पर नजर डाले तो देश की पुराने हाईकोर्ट की सूची में शामिल कोलकाता और मुंबई हाईकोर्ट ने ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए मिली राशि में से 50 प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं हो सका है। बांबे हाईकोर्ट इकलौती ऐसी कोर्ट है जिसे इस प्रोजेक्ट के तहत 116 करोड़ रुपए मिले हैं। इसमे से उनसे सितंबर 2018 तक सिर्फ 40 प्रतिशत रकम खर्च की है। यह निधि मुख्य रुप से कम्प्यूटर हार्डवेयर को अपग्रेड करने व आनलाइन फाइलिंग के लिए मजबूत सिस्टम तैयार करने के लिए खर्च की गई है। 

कोलकाता हाईकोर्ट को ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत 32.15 करोड़ रुपए मिले थे, इसमे से सिर्फ 34 प्रतिशत राशि खर्च की गई है। मद्रास हाईकोर्ट को इस प्रोजेक्ट के तहत 60 करोड़ रुपए मिले थे इसमे से उनसे 90 प्रतिशत राशि खर्च की है। खर्च के मामले में मद्रास हाईकोर्ट सबसे आगे है। दिल्ली हाईकोर्ट को इस प्रोजेक्ट के तहत 20 करोड़ रुपए मिले थे। इसमे से 46 प्रतिशत रकम खर्च की है। यह निधि ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए बनाई गई कमेटी ने जारी की है।  

अदालतों के ई-कोर्ट प्रोजेक्ट कमेटी के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन लोकुर ने उच्च न्यायालयों को इस विषय को लेकर सक्रियता दिखाने को कहा है। ताकि प्रभावी ढंग से इस प्रोजेक्ट को लागू किया जाए और अदालतों में कामकाज कागज मुक्त हो सके।

Created On :   15 Nov 2018 4:33 PM GMT

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