एक वर्ष में मात्र 81 नेत्रदान, अभी भी अंधेरे में जी रहे लाखों लोग

Only 81 eye donations in a year, lakhs of still living in darkness
एक वर्ष में मात्र 81 नेत्रदान, अभी भी अंधेरे में जी रहे लाखों लोग
एक वर्ष में मात्र 81 नेत्रदान, अभी भी अंधेरे में जी रहे लाखों लोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कम नेत्रदान के कारण आज भी लाखों लोग दृष्टिहीनता का सामना कर रहे हैं। नागपुर में एक वर्ष (अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक) केवल 496 नेत्रदान हुए और कर्निया संबंधी 144 ऑपरेशन किए गए। महाराष्ट्र में प्रति वर्ष करीब 8 हजार नेत्रदान होते हैं, जबकि केवल मुंबई जैसे महानगर में एक वर्ष में होने वाली मौत एक लाख से अधिक होती है। मृत्यु और नेत्रदान के आंकड़ों में कमी के कारण लाखों लोगों को अंधेरे में जीवन गुजारना पड़ रहा है। जागरूकता की कमी, अंधविश्वास, धार्मिक विश्वास व अशिक्षा के कारण अब भी नेत्रदान की संख्या काफी कम है। एक वर्ष में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) से केवल 81 नेत्रदान हुए। यह विचार डॉ. ए.एच. मदान, नेत्र विभाग प्रमुख, जीएमसीएच नागपुर ने व्यक्त किए। 

26 को जागरूकता रैली

डॉ. मदान ने बताया कि नेत्रदान के प्रति जारूकता बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा  का आयोजन किया जा रहा है। 25 अगस्त से शहर के विभिन्न स्थानों पर कैंप लगा कर नेत्रदान के प्रति अंधविश्वास, नकारात्मक विचारों को दूर किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन 26 अगस्त को जागरूकता रैली से होगी। उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और प्रमुख अतिथि विधायक सुधाकर कोहले होंगे। नेत्र विभाग में अायोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर राजेश जोशी व कविता धापर्दे, असिस्टेंस प्रोफेसर स्नेहा बोंडे चौरसिया, मीनल व्यवहारे उपस्थित थे।

12 लाख को कर्निया प्रत्यारोण की जरूरत

दृष्टिहीनता का सबसे प्रमुख कारण मोतियाबिंद है। लगभग 55 फीसदी मामलों में कारण मोतियाबिंद होता है। हालांकि इसके सफल ऑपरेशन के कारण इसमें कमी आ रही है। 5 से 7 फीसदी मामलों में दोष कर्निया में होता है। दुनिया में 4.5 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं। इनमें से 1.7 करोड़ भारत में हैं। इनमें खराब कर्निया के कारण नहीं देख पाने वालों की संख्या 12 लाख है। इस संख्या में प्रति वर्ष 40 हजार नए मामले जुड़ते जा रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या बच्चों की है। इस प्रकार की दृष्टिहीनता में कर्निया के प्रत्याराेपण की आवश्यकता होती है। 

मेडिकल में 140 नेत्रदान

जीएमसीएच के नेत्र विभाग में अगस्त 2018 से अगस्त 2019 तक कुल 140 नेत्र दान में उपलब्ध हुए। इनमें से जीएमसीएच अस्पताल से 81, जबकि अन्य आईबैंक से 59 मिले। इस अवधि में जीएमसीएच के नेत्र विभाग में 65 कर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी हुई। इसमें से 16 मामले लैमेलर कीरिटोप्लास्टी के थे। ऐसे मामलों में एक कार्निया से कम से कम दो लोगों के आंखाें में प्रत्यारोपण किया जाता है। डॉ. मदान के कहा कि जीएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल में वर्ष में केवल 81 नेत्रदान होना जागरूकता की कमी है। 

नेत्रदान को बढ़ावा देना जरूरी

डॉ. मदान के अनुसार नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए तत्काल कुछ उपाय करने की जरूरत है। इनमें महानगरों में स्थित बड़े आई बैंक और अस्पतालों के बीच मजबूत नेटवर्क तैयार किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा नेत्रदान और प्रत्यारोपण संभव हो। अंतरराज्यीय स्तर पर नेत्र प्रत्यारोपण पर लगी रोक को हटाया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर भी कर्निया ग्रिड तैयार किया जाना चाहिए, जिससे उपलब्ध कर्निया और स्थानीय जरूरत का पता लगाया जा सके। मरीजों का बायोमीट्रिक पहचान दर्ज हो, ताकि एक ही मरीज का कई जगह पंजीकरण न हो। एक हजार नेत्र विशेषज्ञाें को कर्निया ट्रांसप्लांट सर्जन के रूप में प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें प्रति वर्ष 100 ऑपरेशन का लक्ष्य दिया जाए। इसके साथ ही मेडिको लीगल केस में नेत्रदान को आवश्यक किया जाए और नेत्रदान करने के इच्छुक लोगों के  ड्राइविंग लाइसेंस में यह दर्ज हो। 

चूने से कर्निया को हुई क्षति को सुधारना कठिन

डॉ. मदान के अनुसार कर्निया के खराब होने के कई कारण हैं। इनमें विटामिन ए की कमी, रसायन, संक्रमण, दुर्घटना, जन्मजात, आंख में चोट लगना मुख्य कारण हैं। कर्निया को सबसे ज्यादा खतरा चूने से होती है। चूने से हुई क्षति का उपचार कठिन होता है। विभाग में प्रति वर्ष चूने के कारण कर्निया खराब होने के 12 से 15 मामले आते हैं।

 

Created On :   25 Aug 2019 12:05 PM GMT

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