केवल औपचारिक साबित होकर न रह जाए विधानमंडल का मॉनसून सत्र, फिर सीधे चुनाव की तैयारी!

Opposition doubting : Monsoon session can be prove only formal
केवल औपचारिक साबित होकर न रह जाए विधानमंडल का मॉनसून सत्र, फिर सीधे चुनाव की तैयारी!
केवल औपचारिक साबित होकर न रह जाए विधानमंडल का मॉनसून सत्र, फिर सीधे चुनाव की तैयारी!

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानमंडल के मानसून सत्र की नई परंपरा एक साल में ही टूट गई है। नागपुर के बजाय यह सत्र मुंबई में होनेवाला है। सत्तापक्ष इस मामले में चुप है। लेकिन विपक्ष संदेह जता रहा है कि यह अधिवेशन केवल औपचारिक साबित होकर रह सकता है। गौरतलब है कि राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना के अनुसार राज्य विधानमंडल का मानसून सत्र 17 जून 2019 को मुंबई में होगा। विधानमंडल का मानसून सत्र मुंबई में ही होता रहा है। लेकिन 2018 में यह सत्र नागपुर में हुआ था। उससे पहले 1961 व 1966 में नागपुर में मानसून सत्र हुआ था। नागपुर करार के अनुसार राज्य विधानमंडल का कम से कम एक अधिवेशन उपराजधानी नागपुर में होना चाहिए। लिहाजा शीतसत्र यहां होता रहा है। 52 साल बाद यहां हुए मानसून सत्र को लेकर सवाल भी उठे थे। जिस पर सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पहल पर मानसून सत्र नागपुर में किया जा रहा है। 2018 मेें मुंबई में विधायक निवास व मंत्रालय के कुछ हिस्सों का पुननिर्माण कार्य चल रहा था। यह भी कहा गया कि मुंबई में बारिश के समय सड़कों की स्थिति ठीक नहीं रहती है। बाढ़ की स्थिति बन जाती है।

यातायाज जाम रहना आम बात है। लिहाजा मानसून सत्र को मुंबई से नागपुर शिफ्ट किया जा रहा है। 4 जुलाई 2018 से 13 दिन तक नागपुर में मानसून सत्र हुआ। लेकिन उस दौरान काफी अड़चन आयी थी। नागपुर में भारी बारिश हुई। विधानभवन में भी पानी घुस गया था। लिहाजा कामकाज के दिन भी विधानमंडल के दोनों सदन को अवकाश देना पड़ा था। इस मामले पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री के बालहठ के कारण मानसून सत्र नागपुर लाया गया। लेकिन नागपुर में भी बारिश से बचाव की व्यवस्था नहीं है। इस पर सत्तापक्ष की ओर से कहा गया था कि बरसों बाद हुई नागपुर में भारी बारिश के कारण जो स्थिति बनी है वह प्राकृतिक है। ऐसी स्थिति कम ही बनती है। जनवरी 2019 में मुंबई में शीतसत्र हुआ तो वह भी जल्द निपट गया। खैर, विधानमंडल के मानसून सत्र को उपराजधानी में कराने की नई परंपरा को कायम रखने का दावा सरकार की ओर से किया जा रहा था। लेकिन एक साल में ही यह परंपरा टूट गई है। अक्टूबर 2019 में विधानसभा के लिए चुनाव होने के आसार है। इसके लिए जुलाई के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है। माना जा रहा है कि मानसून सत्र को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। 

पिछले साल अड़चन थी

भाजपा प्रवक्ता गिरीश व्यास के मुताबिक पिछले साल मुंबई में निर्माण कार्य के कारण विविध अड़चन थी। मुंबई मेट्रो का काम चल रहा था। बारिश के दौरान दफ्तरों में आने जानेवाले अधिकारियों व कर्मचारियों की यातायात समस्या भी कम नहीं थी। विधायक निवास व मंत्रालय के पुनर्निमाण का काम चल रहा था। अब वह स्थिति नहीं हैं। इसलिए मानूसन सत्र मुंबई में ही कराया जा रहा है। 

एक दिन सूखे पर हो चर्चा

कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे के मुताबिक राज्य में सूखे की स्थिति गंभीर है। मानसून सत्र में कम से कम एक दिन सूखे पर चर्चा होना चाहिए। पिछली बार सरकार के सामने काफी संकट थे। नोटबंदी व किसानों के मामले पर जवाब देते नहीं बन रहा था। किसानों के मुद्दे पर सरकार लगातार मुंह छिपाये जा रही है। निर्माण कार्य के नाम पर सत्र काे शिफ्ट करने की बात निराधार लगती है। मुंबई में मनोरा विधायक निवास का काम अब भी पूरा नहीं हो पाया है।

पोल खुलने की आशंका

राकांपा प्रवक्ता प्रवीण कुंटे पाटील के मुताबिक शहर में बाढ़ के मामले में मुंबई की हालत तो सबको मालूम है। लेकिन नागपुर को सबसे सुरक्षित शहर दर्शाने का काम सरकार की ओर से होता रहा है। पिछले साल बाढ़ ने सरकार के दावों की पाेल खोल दी। विधानसभा में पानी घुस गया। इस बार भी संकट गहराने के आसार है। सीमेंट रोड ने घरों से पानी निकासी का मार्ग ही बंद कर दिया है। जगह जगह पर निर्माण कार्य अधूरा है। चुनाव के पहले नागपुर की जल व बाढ़ समस्या सरकार के लिए संकट का कारण बन सकती है। इसलिए बचने का प्रयास किया जा रहा है।

Created On :   15 May 2019 3:24 PM GMT

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